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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुक्तोपाध्याय के सम्पादकत्व में वैष्णव साहित्य के प्रकाशन हेतु इस पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह 1914 तक प्रकाशित होती रही। वैष्णवसर्वस्वम् - ले.-हलायध। ई. 12 वीं शती। पिताधनंजय। ब्राह्मणसर्वस्व में उल्लिखित । वैष्णवसिद्धान्त-दीपिका- ले.-रामचंद्र । पिता- कृष्ण । टीकाकारविठ्ठल। वैष्णवानंदिनी ले.- बलदेव विद्याभूषण। यह भागवत की महत्त्वपूर्ण टीका है। इसमें अद्वैतवादियों के मायावाद का तथा रामानुज के विशिष्टाद्वैती सिध्दान्तों का बड़े आवेश के साथ खंडन किया गया है। इस टीका से भागवत का तत्त्व सर्वसाधारण जनों के लिये सरल सुबोध एवं सरस बना है। वैष्णवामृतम् - ले.-भोलानाथ शर्मा। श्लोक: 1572। विषयसद्गुरु का लक्षण, निषिद्ध गुरु का लक्षण, शिष्य का लक्षण, दीक्षा के अधिकारी निर्णय, मन्त्र तथा दीक्षा, शब्द की व्युत्पत्ति, आगम शब्द का अर्थ, नक्षत्र, राशिचक्र आदि का विचार, वैरी मन्त्र के परित्याग का प्रकार, दीक्षा में मास, तिथि, वास आदि का कथन , जपमाला का निर्णय, जपसंख्या गणना करने में विहित और अविहित द्रव्य आदि का निर्देश, विष्णुपूजा विधि, विष्णुपूजा में दिशा का निर्णय माला के संस्कार की विधि, आसनभेद, हरिनाम ग्रहण की विधि विष्णु मन्त्रोपदेश, वैष्णवों की षट्कर्मविधि का निर्देश इ.। वैष्णवामृतसंग्रह - ले.-प्राणकृष्ण। श्लोक 21101 व्रजभक्तिविलास - ले.नारायण। ई. 16 वीं शती। व्रजविहारम् - ले.-श्रीधर स्वामी। कृष्णचरित्रविषयक काव्य । व्रजेन्द्रचरितम् - ले.-सदानन्द कवि।। व्रजोत्सवचंद्रिका - ले.-नारायणभट्ट। ई. 16 वीं शती । व्रजोत्सवाहलादिनी - ले.-नारायणभट्ट। ई. 16 वीं शती। व्रतकथाकोश - ले.-सकलकीर्ति । जैनाचार्य। ई. 14 वीं शती। पिता- कर्णसिंह। माता- शोभा। व्रतकमलाकर - ले.-कमलाकरभट्ट । व्रतकालनिर्णय - ले.-भारतीतीर्थ । 2) ले.- आदित्यभट्ट। व्रतकालनिष्कर्ष - ले.- मधुसूदन वाचस्पति । व्रतकालविवेक - ले.-शूलपाणि । व्रतकौमुदी - ले.- शंकरभट्ट । ई. 17वीं शती। विषय- धर्मशास्त्र । 2) ले.- रामकृष्णभट्ट । व्रतखण्ड - हेमाद्रिकृत चतुर्वगचिन्तामणि का प्रथम भाग। व्रततत्त्वम् - ले.- रघु। व्रतनिर्णय - ले.- औदुम्बरर्षि । व्रतपंजी - नवराज। पिता- द्रोणकुल के देवसिंह। व्रतबन्धपद्धति- ले.- रामदत्त मंत्री। पिता- गणेश्वर । यह पद्धति वाजसनेयी शाखा के लिए है। व्रतपद्धति - ले.- रुद्रधर महामहोपाध्याय । व्रतप्रकाश - ले.- अनन्तदेव । यह वीरमित्रोदय का एक अंश है। 2) ले.- विश्वनाथ। पिता- गोपाल । सन् 1636 में वाराणसी में लिखित। लेखक शाण्डिल्य गोत्री चित्तपावन ब्राह्मण थे। रन्तागिरि जिल्हे से काशी में जाकर बसे थे। व्रतप्रतिष्ठातत्त्वम् - ले.- रघु। (देखिए "व्रततत्व") व्रतबोधविवृति-(या व्रतबोधिनीसंग्रह):- तिथिनिरूपण, व्रतमहाद्वादशी, रामनवम्यादिव्रत, मासानिरूपण, वैशाखादिचैत्रान्त मासकृत्यनिरूपण । ग्रंथ वैष्णवों के लिए है। पांच परिच्छेदों में पूर्ण । व्रतमयूख : ले.- शंकरभट्ट । ई. 17 वीं शती । विषय- धर्मशास्त्र । व्रतमौक्तिक - ले.- चंद्रशेखर भट्ट। ई. 16 वीं शती। व्रतरत्नाकर - ले. - सामराज। सोलापूर (महाराष्ट्र) में, सन 1871 में मुद्रित। व्रतोद्यापनकौमुदी- ले.-रामकृष्ण । हेमाद्रि पर आधृत। विषयगौड वैष्णवों के व्रत। व्रतावदानमाला- उपगुप्त-अशोक संवादरूप। महायान सम्प्रदाय से सम्बध्द ग्रंथ। विषय- धार्मिक क्रियाओं तथा व्रतों का माहात्म्य दर्शानवाली कथाएँ। व्रतराज - ले.-कोण्डभट्ट । व्रतविवेकभास्कर- ले.- कृष्णचंद्र। व्रतसंग्रह - कर्णाटवंश के राजा हरिसिंह के आदेश से रचित । ई. 14 वीं शती। व्रतसार- ले.- उपाध्याय। इ. 13-14 वीं शती। 2) ले.- रत्नपाणि शर्मा गंगोली। संजीवेश्वर शर्मा के पुत्र । खण्डबल कुल के मिथिला नरेश महेश्वरसिंह की आज्ञा से लिखित । 3) ले.- दलपति (नृसिंहप्रसाद ग्रंथ का एक अंश) 4) ले.- गदाधर। व्रतार्क - ले.- शंकरभट्ट । नीलकण्ठ के पुत्र। ई. 17 वीं शती। इन्होंने कुण्डभास्कर सन 1671 में लिखा है। सन 1877 में लखनऊ में मुद्रित । 2) गदाधर दीक्षित। व्रतोद्यापनकौमुदी - ले.- शंकर। बल्लालसूरि के पुत्र। "घोर" उपाधिधारी एवं महाराष्ट्रीय चित्तपावन शाखा के ब्राह्मण सन 1703-4 में प्रणीत। व्रतोद्योत - दिनकरोद्योत का एक अंश । व्रतोपवासंग्रह-ले.- निर्भयराम भट्ट । व्रात्यताप्रायश्चित्तनिर्णय- (नागोजीभट्ट के प्रायश्चित्तेन्दुशेखर से 354 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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