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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वृत्तमणिमालिका - ले.- श्रीनिवास । वृत्तमाला - ले.- कवि कर्णपूर। ई. 16 वीं शती। (2) ले.- रामचंद्र कविभारती। ई. 15 वीं शती। (3) ले.विरूपाक्षयज्चा। (4) ले.- वल्लभजी। वृत्तमुक्तावली - ले,- गंगादास (छंदोमंजरीकार से भिन्न) (2) ले. हरिशंकर। वृत्तमौक्तिकम् - ले.- चन्द्रशेखर भट्ट। ई. 16 वीं शती। वृत्तरत्नप्रदीपिका - ले.- वात्स्य वेदान्तदास। विषय- द्वादशी को उपवास तोड़ने का उचित काल। वृत्तरत्नाकर - ले.- रामवर्म महाराज। त्रावणकोर नरेश। (2) ले.- केदारभट्ट। ई. 11 वीं शती। रचना छह अध्यायों में पूर्ण। मल्लिनाथ शिवशर्मा आदि टीकाकारोंने इसी वृत्तरन्ताकर के अवसरण उद्धृत किये है। इस ग्रंथ पर अनेक टीकाएँ निर्दिष्ट हैटीकाकार :- (1) पण्डित चिन्तामणि (2) रामेश्वरसुत नारायण (3) श्रीनाथ (4) हरिभास्कर (5) जनार्दनविबुध (6) महादेवसुत दिवाकर (7) अयोध्याप्रसाद (8) आत्माराम (9) कृष्णवर्मा (10) गोविन्दभट्ट (11) चूडामणि दीक्षित (12) नरसिंहसूरि (13) रघुनाथ (14) विश्वनाथ कवि (15) श्रीकण्ठ (16) सोमसुन्दरगणी (17) भास्कर (18) सोमपण्डित (19) सारस्वत सदाशिव मुनि, (20) सोमचन्द्र गणी (21) कविशार्दूल (22) रघुसूरि का पुत्र त्रिविक्रम (23) नारायणभट्ट (24) नृसिंह, (25) कृष्णसार (26) तारानाथ (27) भास्करराय (28) प्रभावल्लभ, (29) देवराज (30) इत्यादि। भास्कर के अभिनव वृत्तरत्नाकर पर श्रीनिवास की टीका है। रघुसूरिपुत्र त्रिविक्रम ने वृत्तरत्नाकरसूत्र की टीका लिखी है। वृत्तरत्नाकरपंजिका - ले.- रामचंद्र कविभारती। यह केदारभट्ट प्रणीत "वृत्तरत्नाकर" पर भाष्य है। ई. 15 वीं शती। वृत्तरत्नार्णव - ले.- नृसिंह भागवत । वृत्तरत्नावली - ले.- चिरंजीव शर्मा (ई. 18 वीं शती) ढाक्का के दीवान यशवन्तसिंह की प्रशस्तिपर श्लोकों का उदाहरणों के रूप में प्रयोग। (2) ले.-रामदेव। रायपुर (बंगाल) के निवासी। ई. 18 वीं शती । वृत्तों के उदाहरणों में आश्रयदाता यशवन्तसिंह की स्तुति है। (3) ले.- दुर्गादत्त (4) नारायण (5) रविकर (6) रामदेव। (7) वेंकटेश, पिता अवधानसरस्वती (8) रामस्वामी शास्त्री (9) कृष्णाराम (10) मल्लारि (11) दुर्गादास (12) गंगादास (13) हरिव्यास मिश्र (ई. 16 वीं शती)। (14) यशवंतसिंह (15) सदाशिव मुनि (16) कालिदास (17) कृष्णराज (18) मिश्र सामन्त। वृत्तरागास्पदम् - ले.- क्षेमकरण मिश्र। विषय- वृत्त और रागों के संबंध का प्रतिपादन। वृत्तवार्तिकम् - ले.- रामपाणिवाद। ई. 18 वीं शती। (2) ले.- उमापति। (3) ले.- वैद्यनाथ। वृत्तविनोद - ले.- फत्तेहगिरि । वृत्तविवेचनम् - ले.- दुर्गासहाय । वृत्तसंग्रह- ले.- महेश्वर। पिता- मनोरथ। ई. 12 वीं शती। ग्याहर प्रकारणों में यागविधि, नक्षत्रविधि, राजाभिषेक, यात्रा, गोचरविधि संक्रांति, देवप्रतिष्ठा आदि विषयों का ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से विवेचन किया है। वृत्तशंसिच्छत्रम् (रूपक) - ले.-लीला राव दयाल । कथासार12 वर्ष की मीरा का 28 वर्षीय पति अपनी 26 वर्षीय सास पर मोहित होता है। सास के फटकारने पर गांव छोड देता है। घूमते घूमते रेलदुर्घटना से स्मृति खो बैठता है और फलमूल खाकर "त्यागीबाबा' के नाम से विख्यात होता है। एक दिन रामी नामक विधवा को डूबने से बचाता है और उस पर लुब्ध होता है। वह वास्तव में विधवा नहीं, अपि तु उसकी पत्नी ही है। उसके साथ विवाह का प्रस्ताव लेकर त्यागीबाबा उसके घर आते है। वस्तुतः रामी मीरा ही है। मीरा की मां उसे पहचानकर दोनो का पुनर्मिलन करा देती है। वृत्तसार - ले.- भारद्वाज। वृत्तसिद्धान्तमंजरी - ले.- रघुनाथ । वृत्तसुधोदय - ले.-मथुरानाथ शुक्ल। (2) वेणीविलास । वृत्रवधम् - ले.- कृष्णप्रसाद शर्मा धिमिरे । काठमांडु (नेपाल) के निवासी। आप कविरत्न एवं विद्यावारिधि इन उपाधियों से विभूिषित है। आपकी 12 रचनाएं प्रकाशित हुई है। वृत्ताभिरामम् - ले.- रामचंद्र । वृत्ति - ले.- रामचरण। तर्कवागीश। ई. 18 वीं शती। यह साहित्यदर्पण पर टीका है। वृत्तिप्रदीप - ले.- रामदेव मिश्र । यह काशिका की व्याख्या है। वृत्तवार्तिकम् - ले.- अप्पय दीक्षित। ई. 16 वीं शती। पिता- नारायण दीक्षित। विषय- साहित्य-विषयक विवेचन । वृद्धगौतमतंत्रम् - श्लोक- 1400। वृद्धगौतमसंहिता - ले.- जीवानन्द।। वृद्धन्यास - ले.- राममुकुट। ई. 14 वीं शती । वृद्धपाराशरी संहिता - ले.- 12 अध्यायों में पूर्ण। वृद्धशातातपस्मृति - आनन्दाश्रम द्वारा मुद्रित । वृद्धहारीतिस्मृति - जीवानन्द एवं आनंदाश्रम द्वारा मुद्रित। वृद्धात्रिस्मृति - जीवानन्द द्वारा मुद्रित । वृद्धिश्राद्धदीपिका - ले.- अनन्तदेव। उद्धव द्विवेदी के पुत्र । वाराणसी वासी। वृद्धिश्राद्धपद्धति - ले.- अनन्तदेव। उद्धवद्विवेदी के पुत्र । 348/ संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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