________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
विषय- उज्जयिनी के शीलसम्पन्न वैश्य धनपाल के पुत्र धन्यकुमार का चरित्रवर्णन। धन्योऽहं धन्योऽहम् - ले- डॉ. गजानन बालकृष्ण पळसुले। स्वातंत्र्यवीर सावरकर विषयक नाटक। शारदा प्रकाशन, पुणे-30 द्वारा प्रकाशित। धन्वंतरिनिघंटु - ले- धन्वंतरि । धर्म - ले- कालडी रामकृष्णाश्रम के स्वामी आगमानन्द। 5 निबन्धों का संग्रह। विषय- धर्मविवेक। धर्मकूटम् - ले- त्र्यंबक मखी। पिता- गंगाधर तंजौरनरेश एकोजी भोसले के मंत्री थे। ई. 17 वीं शती। वाल्मीकीय रामायण की प्रत्येक कथा नीतिशास्त्र पर आधारित होने का प्रतिपादन करने वाला यह एक टीका ग्रंथ है। इसमें स्वमत स्थापना के लिए वेदों के और धर्मशास्त्र के अनेक उद्धरण दिए है। धर्मकोश - सपादक- तर्कतीर्थ लक्ष्मणाशास्त्री जोशी। ई. 20 वीं शती। वाई, जिल्हा- सातारा, महाराष्ट्र में प्रकाशित। धर्मकोश - ले- केशवराय। पिता-रामरायात्मज गोविंदराय । गोत्र- भारद्वाज। आश्वलायन गृह्यसूत्र एवं उसके परिशिष्ट पर आधारित। धर्मचक्रम् - (पत्रिका) इसका कार्यालय तिरुचि में था। प्रकाशन 1913 में प्रारंभ । धर्मतत्त्वकमलाकर - ले- कमलाकर भट्ट । रामकृष्ण के पुत्र । विषय- व्रत, दान, कर्मविपाक, शान्ति, पूर्त, आचार, व्यवहार, प्रायश्चित्त, शूद्रधर्म एवं तीर्थ । 10 परिच्छेदों में विभक्त । धर्मतत्त्वप्रकाश - ले- शिव दीक्षित। पिता- गोविंद दीक्षित। कूर्परग्राम (कोपरगाव- महाराष्ट्र) के निवासी। ई. 18 वीं शती। 2.ले- शिव चतुर्धर। धर्मतत्त्वसंग्रह - ले- महादेव । धर्मदीपिका - (या स्मृतिप्रदीपिका) ले- चंद्रशेखर वाचस्पति । धर्मविरोधी उक्तियों का समाधान इसमें किया है। धर्मधर्मताविभंग - ले- मैत्रेयनाथ। इस ग्रंथ के केवल चीनी तथा तिब्बती अनुवाद उपलब्ध हैं। धर्मनिबन्ध - ले- रामकृष्ण पण्डित । धर्मनिर्णय - ले- कृष्णताताचार्य। धर्मनौका - ले- अद्वैतेन्द्रयति । धर्मपद्धति - ले- नारायण भट्ट। धर्मपरीक्षा - ले- अमितगति। ई. 11 वीं शती। जैनाचार्य । 2. ले- मंजरदास। धर्मपुस्तकस्य शेषांशः - (प्रभुणा यीशुख्रिष्टेन निरूपितस्य धर्मनियमस्य ग्रंथसंग्रहः) बायबल का अनुवाद। अनुवादकवंगदेशीय पंडित मंडली। पृष्ठसंख्या- 6361 1910 में कलकत्ता में मुद्रित। 1922 में द्वितीय आवृत्ति का प्रकाशन हुआ।
धर्मप्रकाश - (या सर्वधर्मप्रकाश) ले- शंकरभट्ट। पिता-नारायणभट्ट। माता- पार्वती। ई. 16 वीं शती. का उत्तरार्ध । मेघातिथि, अपरार्क, विज्ञानेश्वर, स्मृत्यर्थसार, कालादर्श, चन्द्रिका, हेमाद्रि, माधव, नृसिंह एवं त्रिस्थलीसेतु का अनुसरण इसमें है। लेखक की शास्त्रदीपिका का भी उल्लेख है।
(2) ले- माधव। विषय- समयालोक अर्थात् अन्यान्य मासों के व्रत। समय ई. 16 वीं शती। इसमें वाचस्पतिमिश्र, माधवीय, पुराणसमुच्चय इ. ग्रंथों का उल्लेख है। धर्मप्रकाश (मासिक पत्रिका) - सन् 1867 में आगरा से संस्कृत- हिन्दी में इस का प्रकाशन प्रारंभ हुआ जिसमें ऐतिहासिक एवं धार्मिक सिद्धान्तों का विवेचन होता था। इसके सम्पादक थे ज्वालाप्रसाद। कालान्तर में इसका संस्कृत प्रकाशन स्थगित हो गया। धर्मप्रदीप - (1) ले- वर्धमान। (2) ले- धनंजय। (3) ले- गंगाभट्ट (4) ले- भोज। धर्मप्रदीपिका • ले- सुब्रह्मण्य। पिता- वेंकटेश। अभिनव षडशीति की टीका। धर्मप्रशंसा - ले- बेल्लमकोण्ड रामराय। आंधनिवासी। धरित्रीपति- निर्वाचनम् (रूपक) - ले- सिद्धेश्वर चट्टोपाध्याय (जन्म 1918)। रचना- सन 1967 में। संस्कृत साहित्य परिषद् द्वारा 1971 में प्रकाशित । प्रथम अभिनय 1969 में। इस प्रतीकात्मक व्यंग-नाटिका में आधुनिक तंत्र का प्रयोग किया है। कार्यस्थली भव-पान्थशाला। उसके अध्यक्ष भगवान् तथा द्वारपाल विश्वकर्मा । कथासार- भगवान् की कन्या धरित्री का स्वयंवर है। स्वयंवरार्थी हैं गांगोलक, युयुधान, वरण्डलम्बुक, लघुवंचक, धुरंधर तथा हयंगल। उनका आपस में कलह होता है। धरित्री को बलपूर्वक ले जाने का प्रयास युयुधान तथा गांगोलक करते हैं। भयानक मारपीट में सभी घायल होते हैं, तब भगवान् सभी को अर्धचंद्र देते है। धर्मरत्नम् - ले- जीमूतवाहन। धर्मविषयक निबंध। 2. लेभैय्याभट्ट। पिता- भट्टारक-भट्ट। विषय- आह्निक धर्माचार । धर्मरत्नाकर - ले- रामेश्वरभट्ट। विषय- धर्मस्वरूप, तिथिमासलक्षण, प्रतिपदादि तिथियों पर विहित कृत्यविधान, उपवास, युगादिनिरूपण, संक्रान्ति, अशौच, श्राद्ध, वेदाध्ययन, अनध्याय आदि। धर्मराज्यम् (नाटक) - ले- अमियनाथ चक्रवर्ती (श. 20)। संस्कृत साहित्य परिषत्-पत्रिका में प्रकाशित । पश्चिम बंगाल की 'संस्कृत-नाट्यपरिषद्' द्वारा अभिनीत । विषय- पाण्डवों के राजसूय यज्ञ से लेकर कपट द्यूत के पश्चात् पाण्डवों के वनवास तक का कथाभाग। धवला (टीका) - ले- वीरसेन । जैनाचार्य । ई. 8 वीं शती। समस्तषट्खण्डागम की टीका। श्लोकसंख्या- 72,000।
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड/147
For Private and Personal Use Only