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नियम, दीक्षा में पूजाविधि, पुरश्चर्यादिविधि, आसन आदि की मुद्राओं के लक्षण, जपमाला, उपविधि, विविध मन्त्रों का कौलयोगविधि, कौलों को अहिकविधि भूतशुद्धि प्रकार मातृकादिन्यासविधि अन्तर्यागविधि षट्कर्मविधि निरूपण इ.
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2) हर-गौरी संवादरूप। श्लोक- 4412। विषय- ब्रह्मनिरूपण, कालिका ही ब्रह्म है यह कथन, मतभेद से 27 प्रकार की महाविद्याओं का कथन, पूर्व पश्चिम आदि भेद से छह आम्नायों का वर्णन, उनकी उत्पत्ति और विभाग, काली के मूर्तिग्रहण की कथा, उग्रतारा, नीलसरस्वती आदि के रूप धारण का विवरण, विद्यामाहात्म्य, जगत्सृष्टि प्रकरण, शिवशक्त्यात्मक तीन गुणों से ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र की उत्पत्ति, 50 वर्णरूपा देवी के शरीर से माधव, गोविंद कृष्ण आदि की उत्पत्ति, कीर्ति, कान्ति, लज्जा, लक्ष्यी इत्यादि की उत्पत्ति, पृथ्वी की उत्पत्ति, धर्म और अधर्म, स्थावर जंगम आदि की सृष्टि इ. तन्त्रगन्धर्व ले. दत्तात्रेय । श्लोक 4575 पटल 42 । विषयमहादेवजी का देवीजी से गौतमोल शास्त्र को अग्राह्यता का कथन, शक्तिमंत्र, पंचमी विद्या का माहात्म्य, त्रिपुराकवच, त्रिपुरासुन्दरी के मंत्र, त्रिपुरादेवी की पूजा, षोडश मातृकान्यास, करशुद्धि, षोडशोपचारपूजा, सांगबहिर्यागविधान, खेचरी इ. विविध मुद्रा, पूजोपचार, मद्यविशेष, प्रकटादि शक्तिविशेष की पूजा, जपविधान, बटुकादि विधान, शोषिका देवी की पूजाविधि, कुमारीपूजा और उसका फल, गुरुशिष्य- लक्षण, दीक्षाविधि, पुण्यक्षेत्रादि का निरूपण, पुरश्चरणविधि, मुद्राधारणविधि, हंसमंत्रजप, होमविधि, पूजाधिष्ठान, कुलाचारादि रात्रि में शक्तिविशेष की पूजा, कुलपूजा इ. ।
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तन्त्रचन्द्रिका ले. रामचन्द्र चक्रवर्ती 1) श्लोक 4064 | 2) ले रामगति सन तन्त्रचिन्तामणि ले. नेपालनरेश के अमात्य नवमीसिंह । श्लोक 3000 | इसमें 40 प्रकाश हैं। विषय- अनेक तन्त्रग्रंथों के नाम, उनकी उत्पत्ति, सत्ययुग आदि के भेद से पृथक्-पृथक् मार्ग, आगमों की श्रेष्ठता सृष्टि की उत्पत्ति का क्रम, कालिका और कृष्ण, तारा और राम की एकरूपता, दश विद्याओं का निर्णय, शिव और शक्ति की उपासना, श्यामा की सर्वमूलता ई. । तन्त्रचूडामणि श्लोक- 66 । विषय- 51 पीठों का वर्णन । तन्त्रदर्पण ले. सच्चिदानन्दनाथ वास्तव में इसके रचयिता रघुनाथ थे। ये सच्चिदादनन्द के शिष्य माने जाते हैं। तदीपनी ले. रामगोपाल शर्मा गुरु-परम निरंजन काशीनाथानन्दनाथ । निर्माणकाल संवत् 1626 वि. 11 उल्लास । विषय- तत्त्वज्ञान आदि का विवेचन, सामान्यपूजा, विष्णु, सूर्य इ. के मंत्र, श्रीविद्या, पूजा इ. का प्रतिपादन, छियाप्रकरण, तारिणीप्रकरण, मंजुघोषा इ. के स्तोत्र, मंत्र, कवच इ. का विचार, पूजोपचार, विजयाकल्प इत्यादि । तन्त्रदीपिका (1) ले. श्रीगोपाल। पिता हरिनाथ । पितामह
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आगमरागीश। श्लोक 11715 विषय- दीक्षा की आवश्यकता, सद्गुरुलक्षण, महाविद्या स्वरूप, सिद्धमन्त्रलक्षण, महादीक्षा और उपदेश में भेद, सर्वसाधारण नित्यपूजा विधि, आह्निककृत्य तन्त्रोक्त विधि से प्रातःकृत्य का निरूपण, प्राणायाम, पूजा में विहित और अविहित पुष्प, पूजा का अधिकरण, नैमित्तिक, काम्य आदि पूजाविधियां, परमयगोगियों की मोक्ष पूजाविधि, जपादिविधि, अन्तःपूजा ( मानसपूजा) विधि, नौ प्रकार के कुण्डों का निरूपण, कुण्डों का विशेष फल, काम्य होम के लिए कुण्ड, होम-विधि, जपमाला, चन्द्र और सूर्य ग्रहण के अवसर पर किये जाने वाले पुरश्चरण मंत्रों के विविध संस्कारों की विधि, सर्वतोभद्र मण्डल का निरूपण ई.
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2) विषय- दीक्षा शब्द के अर्थ का विवेचन, सब आश्रमों में दीक्षा की आवश्यकता, गुरु शब्द का अर्थ, गुरु के लक्षण, दोषमुक्त गुरु और तत्प्रदत्त मन्त्र, शिष्य-लक्षण, निषिद्ध शिष्य लक्षण, महाविद्याओं का निर्देश, पिता आदि से मन्त्र - ग्रहण का निषेध, निर्बीज मन्त्र के लक्षण इ. । स्वप्रलब्ध मन्त्र की विशिष्टता इ. ।
3 ) ( उत्तरतन्त्र के उत्तरकल्पान्तर्गत) ले. मुकुन्द शर्मा । देवो-ईश्वर संवादरूप। श्लोक 875 विषय- गुरुलक्षण, मन्त्रत्यागनिन्दा, गुरु शिष्य के लक्षण, दीक्षा लक्षण, शूद्रदीक्षा का निषेध, दीक्षा की प्रशंसा, सिद्धविद्या, कुलाकुल चक्र, राशिचक्र, नक्षत्रचक्र, अकथहचक्र, वैदिक मन्त्र का त्याग, अकडमचक्र, ऋणी धनी चक्र, दीक्षाकाल गालानिर्णय, आसनभेद, मालासंस्कार, पुरश्चरण, भक्ष्य-नियम, पुरश्चरण, प्रयोग, ग्रहण- पुरश्चरण, मन्त्र - संस्कार अभिषेकमंत्र, संक्षेपदीक्षा, अन्य दीक्षाएं, स्नानादि विधि, सामान्यपूजा, पीठपूजा, भुवनेश्वरी मन्त्र, अन्नपूर्णामल, श्यामामन्त्र डाग आदि की बलि प्राणप्रतिष्ठा, दुर्गा और तारा के मन्त्र, तारा प्राणायाम, अनेक देवदेवियों के मन्त्र, कवच इ. ।
तंत्रनिबन्ध - विविध तंत्र ग्रन्थों का संग्रह | विषय - गुरुमहिमा, विविध चक्र, दीक्षाकाल, कालनिर्णय, विविध आसन, गायत्री, मंत्रसंस्कार, मालासंस्कार एवं विविध देवीदेवताओं के मंत्र, ध्यान, स्तोत्र, कवच इ. ।
तंत्रप्रकाश ले गोविन्द सार्वभौम विषय दीक्षा, पुरशरण | - इ. अनेकविध तान्त्रिक विधियो, तारा, त्रिपुरा प्रभृति देवियों की पूजा का विवरण ।
तंत्रदीप ले. जगन्नाथ चक्रवर्ती। परिच्छेद-9 । श्लोक- 4500 विषय मंत्र और दीक्षा पदों की व्युत्पत्ति, गुरु शिष्य आदि के लक्षण, दीक्षाकाल, दीक्षा प्रयोग, पुरश्चरण, ग्रहण के समय के पुरश्चरण, राम, विष्णु, सूर्य इ. के मंत्र, स्तोत्र, कवच इ., मंत्रसंस्कार नित्य होम आदि की विधि, इत्यादि । तंत्रदीप पर तंत्रदीपप्रभा नामक व्याख्यान, सनातन तर्काचार्य ने लिखा है।
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संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 121