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वाभ्रव्यर्षिः क्रमं प्राह जटां व्याडिरवोचत ।।1।।
क्रमपाठ
-बाभ्रव्य। जटापाठ
- व्याडि। मालापाठ
- वसिष्ठ शिखापाठ
- भृगु रेखापाठ
- अष्टावक्र। दण्डपाठ
- पराशर रथपाठ
-कश्यप घनपाठ
- अत्रि निम्न लिखित तीन श्लोकों में अष्टविध विकृतियों (या पाठों) के प्रवर्तकों के नाम संकलित है। भगवान् संहितां प्राह पदपाठं तु रावणः।
मालापाठं वसिष्ठश्च शिखापाठं भृगुव्यधात् अष्टवक्रोऽकरोद् रेखां विश्वामित्रोऽपठद् ध्वजम् ।।2।।
दण्डं पराशरोऽवोचत् कश्यपो रथमब्रवीत्। घनमत्रिमुनिः प्राह विकृतीनामयं क्रमः ।।3।।
516/ संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड
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