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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कृत साहित्य के ऐतिहासिक अध्ययन का सूत्रपात किया था। इनके ग्रंथों के नाम हैं : 1) ऋग्वेद का संपादन 2) ए हिस्ट्री ऑफ दि एश्येंट संस्कृत लिटरेचर 3) लेक्चर्स ऑन दि साइंस ऑफ लेंग्वेज (दो भाग) 4) ऑन स्ट्रेटिफिकेशन ऑफ लेंग्वेज 5) बायोग्राफीज ऑफ वंडर्स एण्ड टीम ऑफ आर्याज 6) इंट्रोडक्शन टु दि साइंस ऑफ रिलिजन् 7) लेक्चर्स ऑन ओरीजन एण्ड ग्रोथ ऑफ रिलिजन ऐज इलस्ट्रेटेड बाय दि रिलिजन्स ऑफ इंडिया 8) नेचुरल रिलिजन् 9) फिजीकल रिलिजन 12) काँट्रिब्यूशन टु दि साइंस ऑफ साइकॉलॉजी 13) हितोपदेश का जर्मन अनुवाद 14) मेघदूत का जर्मन अनुवाद 15) धम्मपद का जर्मन अनवाद 16) उपनिषद् (जर्मन अनुवाद) 17) दि सेक्रेड बुक्स ऑफ दि इस्ट सीरीज (ग्रंथमाला) के 48 खंडों का संपादन। मैत्रेयनाथ - बौद्ध विज्ञानवाद के संस्थापक। योगाचार की स्थापना कर इन्होंने आर्य असंग को इस मत की दीक्षा दी। इनका मत आध्यात्मिक सिद्धान्तों के कारण विज्ञानवाद तथा धार्मिक एवं व्यावहारिक दृष्टि से योगाचार कहलाता है। इन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। इनमें से केवल दो ही मूल संस्कृत में उपलब्ध हैं। शेष तिब्बती तथा चीनी अनुवाद के रूप में विद्यमान हैं। बस्तोन ने इनके 5 ग्रंथों का उल्लेख किया है 1) महायान सूत्रालंकार, 2) धर्मधर्मताविभाग, 3) महायान उत्तरतंत्र, 4) मध्यांत्र विभंग और 5) अभिसमयालंकारकारिका। आर्याछन्द में सालंकार काव्यरचना में कौशल्य। मैत्रेयरक्षित . ई. 11 वीं शती का उत्तरार्ध। बंगाल के निवासी बौद्ध पंडित । पिता-धनेश्वर । कृतियां- तंत्रप्रदीप ("न्यास" पर टीका), धातुप्रदीप (पाणिनीय धातुपाठ पर भाष्य), दुर्घटवृत्ति और महाभाष्यव्याख्या । “धातुप्रदीप" का प्रकाशन, वारेन्द्र रिसर्च सोसायटी राजशाही (बंगाल) द्वारा संपन्न । इनके "तंत्रप्रदीप" पर तंत्रप्रदीपोद्योता", "प्रभा" तथा "आलोक' नामक 3 टीकाएं मिलती हैं। प्रथम दो के लेखक हैं : क्रमशः नंदनमिश्र और सनातन तर्काचार्य । तीसरी टीका (आलोक) के लेखक अज्ञात हैं। मोडक अच्युतराव - (ई. 18-19 वीं शती) नासिक (महाराष्ट्र) के निवासी। गुरु- रघुनाथ भट्ट। साहित्य सार, भागीरथी-चंपू व कृष्णलीला (काव्य), भामिनीविलास और पंचदशी पर टीकाएं आदि 30 ग्रंथों के रचयिता। सन् 1834 में मृत्यु। मोरिका - संस्कृत की प्राचीन कवयित्री हैं। "सुभाषितावली" तथा "शाङ्गधर-पद्धति" में इनके नाम की केवल 4 रचनाएं प्राप्त होती हैं। इसके अतिरिक्त इनके संबंध में कोई विवरण प्राप्त नहीं होता। म्हसकर - मुम्बई के निवासी। रचना - स्वास्थ्यवृत्तम्। इसमें स्वास्थ्य तथा दीर्घायुत्व के संबंध में विवरण है। मृत्युंजय - रत्नखेट की कन्या के पुत्र। पिता- कृष्णाध्वरी। रचना- प्रद्युम्रोत्तरचरितम् (11 सर्गों का महाकाव्य) । यक्षसेन . चिंतामणि नामक ग्रंथ के रचयिता जो शाकटायन व्याकरण की लघु वृत्ति है। यज्ञनारायण दीक्षित - ई. 17 वीं शती। पिता- गोविन्द दीक्षित (तंजौर के प्रधानामात्य)। छोटे भाई वेंकटेश्वर भी कवि। तंजौर के राजा रघुनाथ की सभा में सम्मानित स्थान । समकालिक कवियों द्वारा प्रशस्ति तथा सम्मान प्राप्त । पाण्डित्यप्रदर्शिकी शैली। रचनाएं - रघुनाथविलास (5 अंकों का नाटक), रघुनाथभूपविजय (अनुपलब्ध), साहित्यरत्नाकर (13 सर्गों का महाकाव्य) और अलंकार-रत्नाकर । यज्ञनारायण दीक्षित - ई. 20 वीं शती। “पद्मावती" तथा "वरूथिनी" नामक नाटकों के प्रणेता। यज्ञसुब्रह्मण्य और स्वामी दीक्षित - तिनवेल्ली के निवासी। ई. 19 वीं शती। रचना- वल्लीपरिणय-चम्पू।। यतीन्द्रविमल चौधुरी (डा.) - जन्म कर्णफुली नदी के तट पर स्थित कधुखिल ग्राम (बांगला देश) में दि. 2-1-1908 को। मृत्यु सन् 1964 में। पिता - रसिकचन्द्र चौधुरी प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे। माता-नयनतारा देवी। पत्नी- डा. रमा चौधुरी। सन् 1928 में बी.ए. करने के पश्चात् लन्दन प्रस्थान । सन् 1934 में “वुमेन इन वैदिक रिच्युअल" पर पीएच.डी. उपाधि प्राप्त । इस बीच लन्दन में सेवारत । विवाह सन् 1938 में। भारत लौटने पर वंगीय संस्कृत शिक्षा परिषद् के मंत्री। संस्कृत शिक्षा समिति (बंगाल) के मंत्री। प्रेसिडेन्सी कालेज में संस्कृत विभागाध्यक्ष। कलकत्ता वि.वि. में संस्कृत के व्याख्याता। बाद में संस्कृत कालेज के प्राचार्य। प्राच्यवाणी (इन्स्टिट्यूट आफ् ओरिएंटल लर्निंग) के संस्थापक। "प्राच्यवाणी" नामक अंग्रेजी त्रैमासिक पत्रिका का पत्नी के सहयोग से सम्पादन। कृतियां- (काव्य) - शक्तिसाधन, मातृलीलातत्त्व और विवेकानन्दचरित (चंपू)। नाटक-महिममय-भारत, मेलनतीर्थ, भारत-हृदयारविन्द, भास्करोदय, भारत-विवेक, भारत-राजेन्द्र, सुभाषः सुभाषः, देशबन्धुदेशप्रिय, रक्षकः श्रीगोरक्षः, निष्किंचन-यशोधा, शक्तिसारद, आनन्दराध, प्रीतिविष्णुप्रिय, भक्तिविष्णुप्रिय, मुक्तिसारद, अमरमीर, भारतलक्ष्मी, महाप्रभु-हरिदास, विमलयतीन्द्र, दीनदास-रघुनाथ, धृतिसीतम् आदि। ___ बंगाली कृतियां- पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, गौडीय वैष्णवेर संस्कृत साहित्य दान, जननी यशोधरा, बुद्ध- यशोधरा तथा प्रबन्धावली (आठ खण्ड) वंगीयदूत काव्येतिहास आदि । शोध कृतियां- 1) कान्ट्रिब्यूशन ऑफ विमेन टू संस्कृत लिटरेचर (सात भागों में) 2) कान्ट्रिब्यूशन ऑफ मुस्लिम्स टू संस्कृत लिटरेचर, (तीन भागों में) 3) मुस्लिम पेट्रोनेज टू संस्कृत लर्निंग (तीन भागों में) 4) कान्ट्रिब्यूशन आफ बेंगाल टू संस्कृत लिटरेचर (तीन भागों में) 418 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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