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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिद्धान्तनिदान रसजलनिधि आयुर्वेदीयपदार्थविज्ञान शारीरदर्शन भाषातन्त्र भाषाशास्त्रसंग्रह गीर्वाणभाषाभ्युदय पी. एम. वेरीयर डॉ. चिं. ग. काशीकर हिलेकर शास्त्री शयम शास्त्री एस. टी. जी. वरदाचारियर श्रीनिवास राघवन भाषाविज्ञान उपन्यास निबंध के समान गद्य उपन्यास का आधुनिक वाङ्मय प्रकार भी संस्कृतज्ञों ने अपनाया और अनेक उपन्यासों का योगदान संस्कृत साहित्य में दिया। वास्तविक यह वाङ्मय प्रकार आख्यायिका और कथा के रुप में प्राचीन काल से भारत में प्रचलित था। पातंजल महाभाष्य में वासवदत्ता, सुमनोत्तरा, भेमरथी इन आख्यायिकाओं का उल्लेख आता है। वासवदत्ता का अध्ययन करने वालों के लिए "वासवदत्तिक" संज्ञा रूढ थी। इनके अतिरिक्त वररुचिकृत चारुमति, श्रीपालिकृत तरंगवती, रामिल-सौमिलकृत शूद्रककथा इत्यादि आख्यायिकाएँ ईसापूर्व काल में प्रसिद्ध थीं। हरिश्चंद्र की मालती, भोज की शृंगारमंजरी, कुलशेखर की आश्चर्यमंजरी, रुद्रट की त्रैलोक्यसुंदरी, अपराजित की मृगांकलेखा इत्यादि अवान्तर आख्यायिकाओं का भी निर्देश संस्कृत साहित्यिकों ने आदरपूर्व किया है। प्राचीन ललित गद्य लेखकों में बाणभट्ट, दण्डी और सुबन्धु इन तीन साहित्यिकों ने जो लोकोत्तर प्रतिभासामर्थ्य और संस्कृत भाषा का वैभव व्यक्त किया वह विश्वविख्यात है। इनकी परंपरा भूषणभट्ट (बाणभट्ट का पुत्र एवं कादम्बरी के उत्तरार्ध का लेखक), चक्रपाणि दीक्षित (दशकुमारचरित के उत्तरार्ध का लेखक) आनंदधर (10 वीं शती, माधवानल कथा का लेखक) धनपाल (11 वीं शती, तिलकमंजरी का लेखक) सोडुढल (11 वीं शती, उदयसुंदरी का लेखक) वादीभसिंह (12 वीं शती, गद्यचिन्तामणि का लेखक), विद्याचक्रवर्ती (13 वीं शती गद्यकर्णामृत का लेखक) अगस्ति (14 वीं शती कृष्णचरित्र का लेखक) वामन (अभिनव बाणभट्ट, 15 वीं शती) वीरनारायणचरित का लेखक और देवविजयगणि (16 वीं शती, रामचरित का लेखक) इत्यादि महान् गद्य कवियों ने अखण्डित चालू रखी। बाणभट्ट की कादम्बरी के अदभुत प्रभाव के कारण आधुनिक कालखंड में ढूंढिराजकृत अभिनवकादम्बरी (18 वीं शती) मणिरामकृत कादम्बर्यर्थसार, काशीनाथकृत संक्षिप्तकादम्बरी, व्ही. आर. कृष्णम्माचार्यकृत कादम्बरीसंग्रह तथा हर्षचरितसार, डा. वा. वि. मिराशी कृत हर्षचरितसार, अहोबिल नरसिंहकृत अभिनवकादम्बरी (अर्थात् त्रिमूर्तिकल्याण) इत्यादि कादम्बरीनिष्ठ ग्रंथ प्रकाशित हुए। इनके अतिरिक्त इस परंपरा में श्रीशैल दीक्षित कृत श्रीकृष्णाभ्युदय, कृष्णम्माचार्यकृत सुशीला और मंदारवती, नारायणशास्त्री खिस्तेकृत दिव्यदृष्टि, चक्रवर्ती राजगोपालकृत शैवलिनी और कुमुदिनी, जग्गू बकुलभूषणकृत जयन्तिका, हरिदास सिद्धान्तवागीशकृत सरला और रामजी उपाध्याय कृत द्वा सुपाणां इत्यादि उपन्यासात्मक ग्रंथ उल्लेखनीय हैं। अंबिकादत्त व्यास कृत शिवराजविजय का उल्लेख शिवाजी विषयक काव्यों में उपर आया है। उपन्यासों के समान लघुकथाओं की निर्मिति आधुनिक संस्कृत वाङ्मय की विशेषता कही जा सकती है। प्रायः सभी संस्कृत मासिक पत्रिकाओं में आधुनिक पद्धति की कथाएँ निरंतर प्रकाशित होती आ रही हैं। आधुनिक संस्कृत नाटकों का संक्षेपतः परिचय नाट्यवाङ्मय विषयक प्रकरण में आया है। अतः इस प्रकरण में उसका पृथक् निर्देश करने की आवश्यकता नहीं है। डॉ. रामजी उपाध्याय के आधुनिक संस्कृत नाटक नामक ग्रंथ में प्रायः सभी आधुनिक नाटकों एवं नाटककारों का यथोचित परामर्श लिया गया है। - अनुवाद 19 वीं शताब्दी तक संस्कृत ग्रन्थों के ही अनुवाद अन्य भाषाओं में करने की प्रथा थी। पूर्वकालीन साहित्यिक अन्य भाषीय ग्रंथों को संस्कृत भाषा में अनुवादित करने के संबंध में उदासीन या पराङ्मुख थे। परंतु 19 वीं शती के उत्तरार्ध से अनुवादित साहित्य पर्याप्त मात्रा में संस्कृत भाषा में निर्माण होने लगा। इस अनुवादित संस्कृत वाङ्मय का यह वैशिष्ट्य है कि, इस में भारत की विभिन्न प्रादेशिक भाषाओं तथा अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा के उत्तमोत्तम ग्रंथों के अनुवाद, संस्कृत की अखिल भारतीयता के कारण, अनायास निर्माण हुए। इन अनुवादों में तुलसीरामायण, ज्ञानेश्वरी, तिरुक्कुरळ, धम्मपद, गाथासप्तशती, मिलिंदप्रश्न, कथाशतक, कामायनी, श्रीरामकृष्णकथामृत, मनोबोध, उमरखय्याम की रुबाइयां, अरेबियन नाइटस्, बाईबल इत्यादि सुप्रसिद्ध ग्रंथों के संस्कृत अनुवाद विशेष उल्लेखनीय हैं। शेक्सपीयर, टैगोर, विवेकानन्द, महात्मा गांधी, विनोबाजी भावे, योगी अरविंद, अरस्तू, जर्मन कवि गटे इत्यादि श्रेष्ठ लेखकों के ग्रंथ अंशतः अनुवादित हो चुके हैं। मराठी के प्रायः सभी लोकप्रिय नाटकों के संस्कृत अनुवाद और प्रयोग हो चुके हैं। स्वतंत्र भारत के संविधान का गद्य और पद्यात्मक अनुवाद भी हुआ है। संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड/265 For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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