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आनन्दरंगविजय-चम्पू :- ले- श्रीनिवास कवि। ई-18 वीं शती विषय- पांडिचेरी के व्यापारी आनंदरंग पिल्लै का चरित्र तथा तत्कालीन ऐतिहासिक घटना। आचार्यदिग्विजय चम्पू :- ले- वल्लीसहाय। ई-16 वीं शती। विषयः- श्रीशंकराचार्य का दिग्विजय । जगदगुरुविजय चम्पू :- ले- श्रीकण्ठशास्त्री। शंकरचम्पू ले- लक्ष्मीपति। शंकराचार्यचम्पूकाव्य :- ले- बालगोदावरी । रामानुजचम्पू- ले- रामानुजार्य। ई-16 वीं शती। यतिराजविजयचम्पू- ले- अहोबलसूरि । ई-16 वीं शती। विषयः रामानुजाचार्य का चरित्र । विरूपाक्षमहोत्सवचम्पू :- ले- अहोबलसूरि। ई-16 वीं शती। वीरभद्रदेवचम्पू :- ले- पद्मनाभ। ई-16 वीं शती। विषयःल रीवानरेश वीरभद्र का चरित्र । विश्वगुणादर्शचम्पू :- ले- वेंकटाधारी। ई-17 वीं शती। विषयः- दोषदर्शी कृशानु और गुणग्राही विश्वावसु इन दो गगनचारी गंधर्वो के संवाद में 17 वीं शताब्दी के लोगों का तथा तीर्थस्थलों का गुणदोष वर्णन। वेंकटाध्वरी ने हस्तिगिरिचम्पू (अथवा वरदाभ्युदयचम्पू) उत्तररामचरित चम्पू और श्रीनिवासविलास चम्पू नामकअन्य चम्पूग्रंथ लिखे हैं। यात्राप्रबन्धचम्पू :- ले- समरपुंगव दीक्षित। ई-16-17 वीं शती। आनन्दकन्दचम्पू :- ले- समरपुंगव दीक्षित। इसमें कुछ शैव संतों के चरित्र वर्णन किये हैं। मन्दारमरन्दचम्पू :- ले- कृष्णकवि। ई-16 वीं शती। विषयः- छन्दों के लक्षण और उदाहरण। विद्वन्मोदतरंगिणी चम्पू :- ले- चिरंजीव भट्टाचार्य। ई-16 वीं शती। विषय- दार्शनिक मतों की आलोचना । माधवचम्पू- ले. चिरंजीव भट्टाचार्य । विषय- श्रीकृष्ण का काल्पनिक विवाह । चित्रचम्पू :- ले- बाणेश्वर विद्यालंकार । ई-18 वीं शती। विवादार्णवसेतु नामक सुप्रसिद्ध धर्मशास्त्रीय ग्रंथ के बंगाली लेखक। विषय वैष्णव तत्त्वों का प्रकाशन । तत्त्वगुणादर्शचम्पू :- ले- अण्णैयाचार्य। विषय जय-विजय के सवांद द्वारा शैव और वैष्णव मतों के गुणदोषों का विवेचन । गंगागुणादर्श चम्पू :- ले- दत्तात्रेय वासुदेव निगुडकर । ई-19-20 वीं शती । विषय- हाहा-हूहू संवाद द्वारा गंगानदी का गुण-दोष वर्णन। वैकुण्ठविजयचम्पू :- ले- राघवाचार्य। विषय तीर्थस्थलों एवं मंदिरों का वर्णन । काशिकातिलकचम्पू :- ले- रामभट्ट-पुत्र नीलकण्ठ। विषय- शैवक्षेत्रों का वर्णन। विबुधानन्दप्रबन्धचम्पू :- ले- वेंकटकवि। विषय- प्रवासवर्णन। श्रुतकीर्तिविलास चम्पू :- ले- सूर्यनारायण। विषय-प्रवासवर्णन । केरलाभरणचम्पू :- ले- केशवपुत्र रामचंद्र । ई-20 वीं शती। विषय- प्रवास वर्णन। 17 वीं शताब्दी में केरल में नारायण भट्टपाद अथवा भट्टात्रि नामक प्रकांड लेखक हुए। इन्होंने रामायण, महाभारत और अन्य पुराण ग्रंथों की विविध कथाओं पर आधारित 20 चम्पू लिखे, जिनके नाम हैं :- पांचालीस्वंयवरचम्पू, राजसूय, द्रौपदीपरिणय, सुभद्राहरण, दूतवाक्य, किरात, भारतयुद्ध, स्वर्गारोहण, मत्स्यावतार, मृगमोक्ष, गजेन्द्रमोक्ष, स्यमन्तक, कुचेलवृत्त, अहल्यामोक्ष, निरनुनासिक, दक्ष, त्याग, पार्वतीस्वयंवर, अष्टमी, गोटीनगर, कैलासवर्णन, शूर्पणखाप्रलाप, नलायनीचरित्र और रामकथा। (रामकथाविषयक अनेक चम्पू काव्यों में उल्लेखनीय अर्वाचीन ग्रंथ)। चम्पूराघव :- ले- आसुरी अनन्ताचार्य। (1) चम्पूरामायण- लेखिका सुंदरवल्ली। रामायणचम्पू -ले सतीश रामशास्त्री (2) रामानुज। रामचम्पू- ले-बंदला मूडी रामस्वामी। एम. कृष्णम्माचारियर ने अपने हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिटरेचर में रामायण विषयक कुछ अप्रकाशित रामायण चम्पू ग्रंन्थों का नामावली दी है। (परिच्छेद- 541) वे हैं :अमोघराघव-चम्पू :- ले- विश्वेश्वरपुत्र दिवाकर । कुशलव-चम्पू :- ले- वेंकटय्या सुधी। रामकथासुधोदय- ले- देवराज देशिक। रामभिषेक- देवराज देशिक । सीताविजय :- ले- घण्टावतार। रामचन्द्र चम्पू ले- विश्वनाथ (2) रामचंद्र। उत्तरकाण्ड- राघव। उत्तरचम्पू -ले- ब्रह्मपण्डित, (2) राघवभट्ट (3) भगवन्त । अभिनव रामायण-ले- रामानुज । काकुत्स्थविजय-ले- वल्लीसहाय । सीताचम्पू- गुण्डुस्वामी शास्त्री। मारूतिविजय :- ले- रघुनाथ। आंजनेयविजय। ले- नृसिंह । उत्तरचम्पूरामायण :- ले- वेंकटकृष्ण इत्यादि ।
___ 17 वीं शताब्दी के बाद लिखे गये श्रीकृष्ण चरित्र विषयक चम्पू :राधामाधावविलासचम्पू :- ले- जयराम पिप्ठ्ये ।
246/ संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड
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