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कृत हास्यार्णव, कविपंडित कृत हृदयगोविंद, भारद्वाजकृत कालेयकुतूहल, गोपीनाथ चक्रवर्ती कृत कौतुकसर्वस्व, सुंदरदेवकृत- विनोदरंग, शिव ज्योतिविदकृत मुंडितप्रहसन, कृष्णदत्तमैथिल कृत सांद्रकुतूहल, अरुणगिरिनाथकृत सोमवल्ली-योगानंद और कविसार्वभौमकृत डिंडिम इत्यादि विविध प्रहसनों में वेश्या और धूर्त लोगों का व्यभिचारमय जीवन चित्रित करते हुए हास्य रस निर्माण करने का प्रयत्न लेखकों ने किया है। संस्कृत वाङ्मय का आखाद लेने वाला बहुसंख्यांक वर्ग गंभीर प्रकृति का और उच्च, उदात्त अभिरुचि रखने वाला होने कारण, प्रहसन वाङ्मय और उनके प्रयोग समाज में लोकप्रिय नहीं हुए। आधुनिक नाटककारों ने हास्य रसात्मक रूपक निर्माण करने की और अपनी प्रवृत्ति दिखाई है।
उत्सृष्टिकांक (अथवा अंक) प्राचीन लेखकों ने रूपक के इस प्रकार की और विशेष ध्यान नहीं दिया। इस प्रकार के रूपकों में भास्कर कवि-कृत उन्मत्तराघव, लोकनाथ भट्ट का कृष्णाभ्युदय, हरिमोहन प्रामाणिक कृत कमलाकरुणविलास, महेश पंडितकृत स्वर्णमुक्तासंवाद, राजवर्मबालकविकृत गैर्वाणीविजय, वरदराजपुत्र स्नुषाविजय व सुंदरराजकृत वैदर्भी-वासुदेव इन कृतियों की प्रधानता से गणना होती है।
व्यायोग - इस रूपक प्रकार में भासकृत मध्यमव्यायोग सुप्रसिद्ध है। अन्य सुप्रसिद्ध व्यायोगों में काकतीय प्रतापपरुद्र (13-14 वीं शती) के आश्रित कवि विश्वनाथ का सौगंधिकाहरण (महाभारत के भीम-हनुमान युद्धप्रसंग पर आधारित), नारायणपुत्र कांचनाचार्य का धनंजयविजय, मोक्षादित्य का भीमविक्रम, रामचन्द्र का निर्भयभीम इत्यादि महाभारत के आख्यानों से संबंधित व्यायोग उल्लेखनीय हैं। कृष्णचरित्र से संबंधित व्यायोगों में रामचंद्र बल्लाळकृत कृष्णविजय, पर्वतेश्वर पुत्र धर्मसूरिकृत नरकासुरविजय
और रामकथा से संबंधित भागवत लक्ष्मणशास्त्री कृत रामविजय उल्लेखनीय हैं। गरुडाख्यान विषयक दो आयोग प्रसिद्ध हैं (1) वाराणसी के कवि गोविंद (यज्ञेश्वर के पुत्र) का विनतानंद और एक अज्ञात कवि का प्रचंडगरूड।
भाण :- यह रूपक का प्राचीन प्रकार है, परंतु उपलब्ध भाणवाङ्मय अर्वाचीन है और वह भी प्रायः दाक्षिणात्य साहित्यिकों ने लिखा हुआ है। विशेष उल्लेखनीय भाण :लेखक
भाण वामन भट्टबाण (14-15 वीं शती)
शृंगारभूषण रामभद्र दीक्षित (18 वीं शती तंजौर निवासी)
शृंगारतिलक अथवा अय्याभाण अम्मलाचार्य (वैष्णवाचार्य)
(1) वसंततिलका अथवा अम्मातिलकभाण
और (2) चौलभाण नल्लकवि -
शृंगारसर्वस्व. युवराज (केरलवासी)
रससदन. वरदाचार्य
अनंगसंजीवन. वरदाचार्य (अथवा वरदार्य)
अनंग-ब्रह्मविद्याविलास. लक्ष्मीनरसिंह
अनंगसर्वस्व. जगन्नाथ (श्रीनिवासपुत्र)
अनंगविजय. गोविंद (पिता- भट्टरंगाचार्य)
गोपलीलार्णव. हरिदास
हरिविलास. व्यंकप्पा
कामविलास. वेंकटकवि (कांचीवासी)
कंदर्पदर्पण. श्रीकंठ (अभिनव कालिदास का पुत्र)
कंदर्पदर्पण. धनगुरुवर्य (वरदगुरुपुत्र)
कंदर्पविजय, रामचंद्र दीक्षित
केरलाभरण. गुरुराम
मदनगोपाल-विलास. श्रीकंठ (अन्यनाम- नंजेंद्र) (पिता शामैयाय)
मदन महोत्सव. घनश्याम
मदनसंजीवन पुरवनम्
मालमंगल. (महिषमंगल) रंगाचार्य
पंचबाणविजय. त्रिविक्रम
पंचायुधप्रपंच. चोक्कनाथ
रसविलास.
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236 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड
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