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दिल्लीमहोत्सवकाव्य :
विजयनीकाव्य : ले. श्रीश्वर विद्यालंकार भट्टाचार्य सर्ग 12
ले. श्रीश्वर विद्यालंकार भट्टाचार्य सर्ग 6
ले. शिवराम पाण्डे । प्रयाग निवासी। इसी लेखक ने एडवर्ड शोकप्रकाशम् नामक अन्य 1910 में लिखा है।
एडवर्ड राज्याभिषेक दरवारम्
काव्य एडवर्ड के निधन निमित्त ई.
एडवर्डवंशम् दिल्लीप्रभा
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ले. वेमूर्ति श्रीनिवास शास्त्री । विषय: 1911 के दिल्ली दरबार का वर्णन ले. शतावधानी शिवराम शास्त्री
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राजराजेश्वरस्य राजसूयशक्ति रत्नावली : ले. ईश्वरचन्द्र शर्मा । कलकत्ता निवासी। ई. 1909
कम्पनी - प्रताप मण्डनम्
ले. अज्ञात
रानी व्हिक्टोरिया तथा एडवर्ड बादशाह के विषय में लिखित काव्यों की अपेक्षा पंचम जार्ज के विषय में लिखे गये काव्यों की संख्या अधिक है। इनमें उल्लेखनीय है
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जॉर्जदेवचरितम् ः ले. पद्यनाभ शास्त्री : श्रीरंगपट्टन निवासी। (2) लक्ष्मणसूरी। जॉर्ज वंशम् : - ले. के. एस. अय्यास्वामी अय्यर । जॉर्ज महाराजविजयम्ले कोचा नरसिंह चालु दिल्लीसाम्राज्यम्ले शिवराम पांडे । । जॉर्जाभिषेकदरबार : ले. शिवराम पांडे (प्रयाग निवासी)। उत्तमजॉर्जजायसी कुम्भकोण निवासी।
रत्नमालिका
ले. एस. श्रीनिवासाचार्य
जॉर्जप्रशस्ति :
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ले. भट्टनाथ स्वामी (विशाखापट्टनवासी)। (2) ले. लालमणि शर्मा (मुरादाबादवासी)
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यदुवृद्धसौहार्दम् : ले. ए. गोपालचार्य विषय आठवें एडवर्ड का स्त्रीनिमित्त राज्यत्याग । श्लोक 600। इन आंग्ल प्रशासक विषयक ग्रंथों का ऐतिहासिक महत्त्व आज विशेष नहीं है, किन्तु यथाकाल वह महत्त्व बढते जाएगा । ऐतिहासिक वाङ्मय में भूतकालीन राजा महाराजाओं तथा उनके वंशानुचरित पर आधारित साहित्य को जितना महत्त्व है उतना ही भूतकालीन साधुसंत एवं आचार्यों के चरित्र विषयक काव्यों को भी देना चाहिए। संस्कृत वाङ्मय में यह परंपरा महाकवि अश्वघोष के बुद्धचरित नामक श्रेष्ठ महाकाव्य से प्रवर्तित हुई। इस परम्परा में उल्लेखनीय काव्य :
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शंकरविजय ले. आनंदगिरि (अर्थात् स्वामी विद्यारण्य ) ।
जगदगुरु श्री शंकराचार्य के चरित्र पर आधारित ग्रंथ बृहत्शंकरविजय ले चित्सुखाचार्य : । ( या अनन्तानंदगिरि) । शंकरविजय ले. विद्याशंकरानंद । संक्षेपशंकरविजय ले. माधवाचार्य शंकराचार्यचरित : ले. गोविंदनाथ । शंकराचार्यदिग्विजय : ले. वल्लीसहाय । शंकरदिग्विजयसार ले. सदानन्द । शंकरा H ले. राजचूडामणि दीक्षित। ई. 17 वीं शती । गुरुपरम्पराप्रभाव: ले. विजयराघवाचार्य (आप तिरुपति देवस्थान के शिलालेखाधिकारी थे) । शंकरगुरु-चरित-संग्रह : ले. पंचपागेश शास्त्री। आप कुम्भकोण के शांकरमठ में अध्यापक थे। माध्वसंप्रदायी साधु पुरूषों के चरित्र पर आधारित काव्य : ले. सत्यनाथविलसितम् : ले. श्रीनिवास । सत्यनाथाभ्युदयम् ले. शेषाचार्य । सत्यनाथमाहात्म्यरत्नाकर : ले. अज्ञात । इन तीनों ग्रंथों में माध्वसंप्रदायी श्री सत्यनाथतीर्थ का चरित्र वर्णित हुआ
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है श्रीसत्यनाथतीर्थं सन् 1644 में समाधिस्थ हुए माध्य संप्रदाय के अन्य आचार्यों के चरित्र विश्वप्रियगुणविलासः ले. सेतुमाधव राघवेन्द्र विजय ले. नारायण कवि सत्यनिधिविलास ले. श्रीनिवासकवि सत्यबोधविजय ले. कृष्णकवि सेतुराज विजय : ले. अज्ञात ।
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श्रीरामानुजाचार्य के चरित्र पर आधारित ग्रंथ रामानुजचरितकुलकम् ले रामानुजदास रामानुजविजय : ले. अण्णैयाचार्य श्रीभाष्यकारचरित ले. कौशिकवेकटेश श्रीशैलकुल वैभव ले. नृसिंहरि यतीन्द्रचम्पू ले बकुलाभरण इन ग्रंथों के अतिरिक्त रामानुजदिव्यचरित, रामानुजीय और रामानुजचरित नामक ग्रंथ उपलब्ध हैं जिनके लेखक अज्ञात हैं।
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दिव्यसूरिचरित : ले. गरुडवाहन और प्रपन्नामृत ले अनन्ताचार्य। इन दो ग्रंथों में दक्षिणभारत के आलवार नामक 12 वैष्णव संतों के चरित्र वर्णन किये है।
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जैन साहित्य में सत्पुरुषविषयक चरित्रग्रंथ इन ग्रंथों की संख्या भरपूर है, और उनका ऐतिहासिक महत्त्व निर्विवाद है। सुकृतसंकीर्तनः ले. ठक्कुर अरिसिंह । ई. 14 वीं शती विषय गुजरात के राजनीतिज्ञ अमात्य वस्तुपाल (ई. 13 वीं शती) का चरित्र । सर्ग 11। वसन्तविलास : ले. बालचंद्रसूरि । ई. 14 वीं शती । विषय अमात्य वस्तुपाल का चरित्र । सर्ग 14 वस्तुपाल का अन्य नाम वसन्तपाल था। कुमारपाल भूपालचरित : ले. जयसिंहसूरि । विषय: गुजरात वीर नरेश (ई. 13 वीं शती) कुमारपाल का चरित्र कुमारपालचरित ले चरित्रसुंदर गणि (अपरनाम चरित्रभूषण ई. 15 वीं शती)। वस्तुपालचरित ले जिनदगणि ई. 15 वीं शती हम्मीरमहाकाव्य ले. जयचन्द्रसूरि ई. 15 वीं शती विषय चौहानवंशीय नरेश हम्मीर और दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन के बीच हुआ ऐतिहासिक युद्ध । सर्ग 14 । श्लोक 1564 ।
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संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथकार खण्ड / 127