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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 974 ) पर .-रघुनन्दनं वृषस्यन्ती शूर्पणखा प्राप्ता-महावी० 5, 2. बाल गूंथना, पौधे लगाना 3. सीना 4. बनाना, भट्टि. 4 / 30, रघु० 12 // 34 2. कामासक्ता या रचना, नत्थी करना. प्र-, 1. बुनना 2. बांघना, कामातुरा स्त्री 3. गर्भायी हुई गाय।। कसना 3. जमाना, स्थिर करना 4. परस्पर बुनना, वषाकपायी [ वृषाकपेः पत्नी-वृषाकपि+ ङीष, ऐ। संग्रथित करना, दे० 'प्रोत'। आदेशः ] 1. लक्ष्मी का विशेषण 2. गौरी का विशे- वेकटः (0) 1. हंसोकड़ा 2. जौहरी 3. युवा पुरुष / षण 3. शची का विशेषण 4. अग्नि की पत्नी स्वाहा | वेगः | विज - घा] 1. आवेग, संवेग 2. गति, प्रवेग, का विशेषण 5. सूर्य की पत्नी ऊषा का विशेषण / शीघ्रता 3. विक्षोभ 4. अतिवेगशीलता, प्रचण्डता, वृषाकपिः [वृषः कपिः अस्य--ब० स०, पूर्वपददीर्घः / बल 5. प्रवाह, धारा जैसा कि 'अम्बुवेगः' में 6. तेज, 1. सूर्य का विशेषण 2. विष्णु का विशेषण 3. शिव क्रियाशीलता, संकल्प 7. शक्ति, सामर्थ्य,-मदनज्वरस्य का विशेषण 4. इन्द्र का विशेषण 5. अग्नि का वेगात् का० 8. संचार, क्रिया, (विष-आदि का) विशेषण / प्रभाव उत्तर० 2 / 26, विक्रम० 5 / 18 1. शीघ्रता, वषायणः (40) 1. शिव का विशेषण 2. गोरैया चिडिया। जल्दबाजी, आकस्मिक आवेग---पंच० 11109 वृषिन् (पुं०) [ वृष-+- इनि ] मोर / 10. बाण की गति-कि० 13 / 24 11. प्रेम, प्रणयोवृषी (स्त्री०) संन्यासी या ब्रह्मचारी का आसन (कुश न्माद 12. आन्तरिक भाव का बाहर प्रकट होना - घास से बना हुआ)। 13. आनन्द, प्रसन्नता 1.. मलत्याग 15. शुक्र, वीर्य / वृष्ट (भू० क० कृ०) [वष्+क्त] 1. बरसा हुआ 2. बरसता सम० अनिल: 1. आंधी का झोंका विक्रम० 114 हुआ 3. बौछार करता हुआ, उडेलता हुआ। 2. प्रचण्ड वायु,-आघातः 1. अकस्मात् वेग का वृष्टिः (स्त्री०) [वृष्+क्तिन् ] 1. बारिश, बारिश की अवरोध, गति को रोकना, 2. मलावरोध, कोष्ठ बौछार -- आदित्याज्जायते वृष्टिव॑ष्टेरन्नं ततः प्रजाः बद्धता,-नाशनः श्लेष्मा, कफ,--वाहिन् (वि.) -मन० 3176 2. (किसी भी वस्तु की) बौछार स्फत, तेज.--विषारणम गति का रोकना. --अस्त्रवृष्टि-रघु० 3 / 58, पुष्पवृष्टि 2160, इसी खच्चर / प्रकार शर° धन उपल° आदि। सम० ---काल: वेगिन् (वि०) (स्त्री०-नी) [वेग+इनि तेज, चुस्त, बरसात का समय,-जीवन (वि०) बारिश द्वारा | द्रुतगामी, प्रचण्ड, फुर्तीला (पुं०) 1. हरकारा 2. बाज, सिंचित (प्रदेश),तुल देवमातक, - भूः मेंढक / -नी नदी। वृष्टिमत् (वि.) [वृष्टि+मतुप ] बरसने वाला, बर-बेडकटः (पुं०) एक पहाड का नाम, वेंकटाचल / 'साती, (पुं०) बादल। देचा विच+अ+टाप भाड़ा, मजदूरी। वृष्णि (वि०) [वृषे: नि: किच्च] 1, धर्मभ्रष्ट, पाखंडी उम् [विड़+अम्] एक प्रकार का चन्दन / 2. ऋद, कोपाविष्ट, (पुं०) 1. बादल 2. मेंढा | वेडा वड+टाप् किश्ती, नाव / / 3. प्रकाश की किरण . कृष्ण के किसी पूर्वज का नाम | वेण, वेन् (भ्वा० उभ. वेणति-ते, वेनति-ते) 1. जाना, 5. कृष्ण का नाम 6. इन्द्र 7. अग्नि / सम० गर्भः | हिलना-जुलना 2. जानना, पहचानना, प्रत्यक्ष करना कृष्ण का विशेषण / 3. विचारविमर्श करना, सोचना 4. लेना 5. बाजा वृष्य (वि.) [वृष+क्यप् 11.जिसके ऊपर बरस सके, वजाना। बौछार की जा सके 2. कामोद्दीपक, वाजीकर, पुंस्त्व | वेणः [वेण+अच्] 1. गायक जाति का पुरुष--तु० मनु० बढ़ाने वाला,- व्यः माष, उड़द / 10 / 19, वेणानां भांडवादनम्-१०॥४९ 2. एक बह वहत, वहतिका दे० बह., बहत, बहतिका / राजा का नाम, अङ्ग का पुत्र और स्वायंभुव मनु बहती [वह +अति+डी] 1. नारद की बीणा 2. छत्तीस का वंशज (जब वह राजा बना तो उसने सब प्रकार की संख्या 3. दुपट्टा, चोगा, आवरण 4, भाषण की पूजा व यज्ञादि को बन्द करने की घोषणा कर आशय (जैसे जलाशय) दे० 'बृहती' भी। सम० दी। ऋषियों ने इसका बड़ा विरोध किया, परन्तु -पतिः बृहस्पति का विशेषण / जब उसने उनकी एक न सुनी तो उन्होंने अभिमन्त्रित बृहस्पति दे० 'बृहस्पति' / कूशतण की पत्ती से उसकी हत्या कर दी। अब (क्रया० उभं वृणाति, वृणीते, पूर्ण, कर्मवा० पूर्यते, देश में कोई शासक न रहा। अतः उन्होंने उस इच्छा० वुवूषति-ते, विवरिषति-ते) छांटना, चुनना मृतक शरीर की जंघा को मसला, तब उसमें से एक (दे० ''1) / निषाद निकला जो शरीर का गिट्टा तथा चौड़े मुख में (म्वा० उभ० वयति-ते, उत, प्रेर. वाययति-ते) वाला था। उसके पश्चात् उन्होंने उसकी दक्षिण 1. बुनना --सितांशुवर्णगति स्म तद्गुणः-३० 1112 . भुजा को रगड़ा जहाँ से भव्य पृथु (दे० पृथु) का देश में की जंघा का म टा तथा चाड For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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