________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बरसना (बहुधा बधन् (पूमी वर्ग का मुि ( 973 ) श्रितो दारण्यं नतनिखिलबंदारकवतः .. भामि० 4 / 5 / -बम् मोर का पंख / सम० अङ्क: शिव का विशे2. किसी भी चीज़ का मुख्य (समास के अन्त में) / षण-रघु० 3 / 23 2. पुण्यात्मा, सद्गुणी 3. भिलावाँ दे० (2) ऊपर / 4. षंढ, जः छोटा ढोल, - अञ्चनः शिव का विशेषण वृन्दिष्ठ (वि) [अयमेषामतिशयेन वृन्दारकः--इष्ठन्, ----अन्तकः विष्णु का विशेषण,--आहारः बिलाव, वृन्दादेशः] 1. अत्यंत बड़ा या विशालतम 2. अत्यंत -उत्सर्गः मृत पुरुष के नाम पर दाग कर साँड़ मनोहर, सुन्दरतम / छोड़ना, दंशः,--दंशक: बिलाव, ध्वजः 1.शिव का वृन्दीयस् (वि०)['वृन्दारक' की म० अ० असमनयोरतिश- विशेषण---रघु० 1144 2. गणेश का विशेषण येन वृन्दारकः+ ईयसुन्, वृन्दादेशः] 1. अपेक्षाकृत बड़ा, 3. सद्गुणी, पुण्यात्मा,-- पतिः शिव का विशेषण, विशालतर 2. अपेक्षाकृत मनोहर, सुन्दरतर / - पर्वन् (पुं०) 1. शिव का विशेषण 2. एक राक्षस वृश् (दिवा० पर० वृश्यति) छाँटना, चुनना। का नाम जिसने असुराचार्य शुक्र की सहायता से बहुत दिनों तक देवताओं से संघर्ष किया, इसकी पुत्री वृशः [वृश् + क] चूहा,-शा एक औषधि, अडूसा,- शम् मिष्ठा का विवाह ययाति के साथ हुआ-दे० अदरक। वृश्चिकः [वश्च ---किकन्] 1. बिच्छु 2. वृश्चिक राशि ययाति और देवयानी 3. वर, भिरड,- भासा इन्द्र और देवताओं का आवास- अर्थात् अमरावती, 3. केंकड़ा 4. कानखजूरा 5. बसूडवा, गोबर का कीड़ा 6. एक रोएंदार कीड़ा। -लोचनः बिलाव,-वाहनः शिव का विशेषण / वृष i (म्वा० पर० वर्षति, वृष्ट) 1. बरसना (बहुधा वृषणः [वृष्+क्यु] अंडकोष, अंड या फोते / 'इन्द्र' 'पर्जन्य' या बादल आदि सार्थक शब्दों के साथ | वृषन् (पुं०) [वृष्कनिन् ] 1. सांड़ 2. वृषराशि कर्ता के रूप में, या कभी-कभी भावात्मक रूप से) / 3. किसी वर्ग का मुखिया-महावी० 1174. बीजाश्व, -द्वादशवर्षाणि न ववर्ष दशशताक्षः- दश०, काले वर्षतु सौड़, घोड़ा 5. पीड़ा, शोक 6. पीड़ा के प्रति असंवेद्यता मेघाः, गर्ज वा वर्ष वा शक--- मृच्छ० 5 / 31, मेघा 7. इन्द्र का नाम-वृषेव सीतां तदवग्रहक्षताम्-कु० वर्षन्तु गर्जन्तु मुञ्चन्त्वशनिमेव वा--५।१६ 2. बारिश 5 / 61, 80, रघु० 10152, 17177 8. कर्ण का करना, उडेलना, बौछार करना-वर्षतीवाञ्जनं नमः नाम 9. अग्नि का नाम / मच्छ० 134 इसी प्रकार-शरवष्टिम समवष्टि | वृषभः [वृष-+अभच किच्च ] 1. सांड 2. कोई भी नर वर्षति आदि 3. बरसाना ढलकाना 4. अनुदान | जानवर 3. अपने वर्ग का मुखिया (समास के अन्त देना, अर्पण करना 5. तर करना 6. पैदा करना, में) द्विजवृषभः-रत्न श५, 4121 4. वृषराशि, उत्पन्न करना 7. सर्वोपरि शक्ति रखना 8. प्रहार 5. एक प्रकार की औषधि--तु. ऋषभ 6. हाथी का करना, चोट मारना, अभि-, 1. बौछार करना, बर- कान 7. कान का विवर। सम०--गतिः,-ध्वजः साना, उडेलना, छिड़कना रघु० 1584, 1048 शिव के विशेषण-रघु० 2036, कुछ 3362 / 2. प्रदान करना, अर्पण करना, प्र-, बरसाना, बौछार | वृषभी (स्त्री०) [ वृषभ+ङीष् ] 1. विधवा 2. कवच / करना--यस्यायमभितः पुष्पः प्रवृष्ट इव केसर:-राम० वृषलः [वृष् = कलच्] 1. शूद्र 2. घोड़ा 3. लहसुन 4. पापी, (:- उत्तर०६३६) / दुष्ट, अधर्मी 5. जाति से बहिष्कृत 6. चन्द्रगुप्त. ii (चरा० आ० वर्षयते) 1. शक्तिशाली या प्रमुख होना, का नाम (विशेषतः चाणक्य द्वारा प्रयुक्त-के. 2. उत्पन्न करने की शक्ति रखना। मुद्रा० अंक 1, 3) / बवः विष--क] 1. सांड -असंपदस्तस्य वषेण गच्छतः | वृषलकः [ वृषल+कन् ] तिरस्करणीय शूद्र / -कु० 5 / 80, मेघ० 52, रघु० 2 / 35, मनु० 9 / 123 वृषली [वृषल+डी ] 1. बारह वर्ष की अविवाहित 2. वृष राशि 3. किसी वर्ग का मुख्य या उत्तम, कन्या, रजस्वला होने पर भी विवाह न होने के अपने दल का सर्वश्रेष्ठ (समास के अन्त में) मुनि- कारण पिता के घर रहने वाली कन्या-पितुर्गेहेन वृषः, कपिवृषः आदि 4. कामदेव 5. मजबूत या या नारी रजः पश्यत्यसंस्कृता, भ्रूणहत्या पितुस्तस्याः व्यायाम शील व्यक्ति 6. कामातुर, रतिग्रंथों में वणित सा कन्या वृषली स्मृता 2. रजस्वला 3. बांस चार प्रकार के पुरुषों में से एक ----दे० रति० 37 स्त्री 4. सद्योजात बच्चे की माता 5. शूद्र की पत्नी 7. शत्र, विपक्षी 8. चहा 9. शिव का नंदी बैल या शूद्रा स्त्री। सम.--पतिः शुद्र स्त्री का पति, 10 नैतिकता, न्याय 11. गुण, सत्कर्म या पुण्यकार्य-न -- सेवनम् शूद्रा स्त्री के साथ संभोग। सद्गतिः स्याद् वृष जतानाम् --कोति० 9 / 62, (यहाँ वृषसूक्की (स्त्री०) बर्र, भिरड़। 'वष' का अर्थ साँड भी है) 12. कर्ण का नामान्तर वृषस्यन्ती [वृष+क्यच, सुक्, शत+हीप, नम ] 1. संभोग 13. विष्णु का नाम 14. एक विशेष औषधि का नाम ! करने की इच्छा वाली स्त्री (पुरुष में कर्म के साथ, For Private and Personal Use Only