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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / 964 ) तावच्छतविस्तारः क्रियताम्--श०७ 5. वृत्त का / --मनु० 4 / 237 4. अनिश्चय, सन्देह। सम० व्यास 6. झाड़ी 7. नूतन पल्लवों से युक्त पेड़ की -आकुल, -आविष्ट (वि) आश्चर्ययुक्त, अचरज से शाखा। भरा हुआ। विस्तीर्ण (भू० क.कृ.) [वि+स्तु+क्त] 1. बिछाया | विस्मयंगम (वि.)[ विस्मयं गच्छति--विस्मय+गम गया, फलाया गया, विस्तार किया गया 4. चाड़ा, खश, मुम् | अचरज से भरा हुआ, आश्चर्यजनक / विस्तृत 3. विशाल, बड़ा, विस्तारयुक्त / सम० विस्मरणम् [वि+स्म ल्युट् ] भूल जाना, विस्मृति, -पर्णम् एक प्रकार की जड़, मानक / स्मृति का न रहना, बिसर जाना-श०५।२३ / विस्तृत (भू० क० कृ०) [वि+स्तृ+क्त] 1. प्रसारित, | विस्मापन (वि०) (स्त्री० ---नी) [ वि + स्मि+णिच् + फैलाया गया, विस्तारयुक्त 2. चौड़ा, फैला हुआ ल्युट, पुकागमः, आत्वम् आश्चर्यजनक,---न: 1. काम3. विपुल 4. सुविस्तर, लंबा-चौड़ा। देव 2. चाल, धोखा, भ्रम,नम् 1. आश्चर्य पैदा पिस्तुतिः (स्त्री० [वि-स्तु+क्तिन्] 1. विस्तार, फैलाव करना 2. कोई भी आश्चर्यजनक वस्तू 3. गंधवों का 2. चौडाई, फ़ासला, विशालता 3. वृत्त का ब्यास / नगर (पुं० भी कहा जाता है)। विपष्ट (वि.) [विशेषेण स्पष्ट:-प्रा० स०] 1. सीधा, | विस्मित (भू० क० कृ०) [वि+स्मि+क्त ] 1. आश्च साफ़, सुबोध 2. प्रकट, स्फुट, सुव्यक्त, खुला, प्रत्यक्ष / | र्यान्वित, चकित, भौचक्का, हक्काबक्का 2. उलटपुलट पिस्कारः [वि+स्फुर+घा , उकारस्य आकारः] 1. थर- किया गया 3. घमंडी। पराहट, कम्पन, धड़कन 2. धनुष की टंकार / विस्मृत (भू० क. कृ.) [ बि+स्मृ+क्त ] भूला हुआ। चित्कारित (भू० क.कृ.) [विस्फार+इतच्] 1. थरथरी विस्मृतिः (स्त्री०) [वि+स्म+क्तिन् ] भूल जाना, पैदा की गई 2. कम्पमान, थरथराता हुआ 3. टंकार- बिसार देना, अस्मरण / युक्त 4. विस्तृत किया हुआ, फैलाया हुआ 5. प्रकटित. | विस्मेर (वि.) [ वि+स्मि+स् ] भौचक्का, आश्चर्याप्रदर्शित / वित, चकित / विल्कुरितः (भू.क.कृ०) [वि+स्फर--क्त] 1. थर-वित्रमा विस+रक ] कच्चे मांस की गंध के समान गंध। पराने वाला, कांपने वाला 2. सूजा हुआ, सम-धिः हरताल / विस्तारित। विस्रसः,-सा [वि+संस्+घञ्] 1. नीचे गिरना बिस्कुलिंगः [वि+स्फुर+विस्फु तादृशं लिंगम्अस्ति 2. क्षय, शैथिल्य, कमजोरी, निर्बलता।। बस्य] 1. आग की चिनगारी अग्नेज्वलतो विस्फ-सिन (वि.) विस+ल्यट] 1. पतनशील या लिंगा विप्रतिष्ठेरन् -शारी० 2. एक प्रकार का विष / बिन्दुपाती- अन्तर्मोहनमौलिघूर्णनचलन्मन्दारविषेसनः पिलवपुः [वि+स्फूर्ण +अथुच्] 1. दहाड़ना, गर- —गीत० 3 2. खोलने वाला, ढीला करने वाला -- जना, कड़कना 2. बादल की गरज, विजली की कड़क नीवीवितंसन: कर:- काव्य०७. --नम् 1. अधःपतन 3. विजली जसी कड़क, अकस्मात् आभास या आघात- 2. बहना, टपकना 3. खोलना, ढीला करना 4. रेचक, ममैव जन्मांतरपातकानां विपाकविस्फर्जपुरप्रसाः- दस्तावर। र० 14162 4. (लहरों का) आन्दोलित होना, | विस्रग्धविखंभ दे० विश्रब्ध, विश्रम्भ / लहरों का उठना-महोमिविस्फूर्जयुनिर्विशेषाः---रघु० विनसा [ वि+संस्+क+टाप् ] क्षय, निर्बलता, जजे 13 / 12 / विस्यूजितम् [वि+स्फूर्ज +क्त] 1. दहाड़, चीत्कार | वित्रस्त (भू० क० कृ०) [ वि+संस्+क्त] 1. ढीला 2. लुढ़कना 3. फल, परिणाम -भर्तृ० 2 / 125, 3 / किया हुआ 2. दुर्बल, बलहीन / 148 / विनवः, विनावः [वि++अप, घश् वा ] बहना, विस्कोटः,टा [वि+स्फुट +घञ्] 1. फोड़ा, अर्बुद, बूंद बूंद टपकना, चूना, रिसना। रसौली 2. शीतला, चेचक / विस्रावणम् [ वि++णिच् + ल्युट् ] रक्त बहना। विस्मयः [वि+स्मि+अच्] 1. आश्चर्य, ताज्जुब, अचम्भा, | विनुतिः (स्त्री.) [वि++क्तिन् ] बह जाना, चूना, अचरज-पुरुषः प्रबभूवाग्नेविस्मयेन सहत्विजाम-रघ० | रिसना। 1051 2. आश्चर्य या अचम्भे की भावना, जिससे विस्वर (वि०) [ विरुद्धः विगतो वा स्वरो यस्य - प्रा. अद्भुत रस की निष्पत्ति होती है, सा० द० 207 पर ब.] बेसुरा। इसकी परिभाषा दी गई हैः - विविधेषु पदार्थेषु लोक- विहगः [ विहायसा गच्छति गम्+ड, नि.] 1. पक्षी सीमातिवतिषु, विस्फारश्चेतसो यस्तु स विस्मय उदा- --मेघ० 28, ऋतु०११२३ 2. बादल 3. बाण 4. सूर्य हृतः 3. घमंड, अभिमान,--तपः क्षरति विस्मयात् 5. चाँद 6. नक्षत्र / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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