________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भयानक, डरावना-मा० ५.१३---तु० विशंकट, 2. रेंगना, सरकना 3. मछली,-रम् 1. लकड़ी ---ट: 1. सिंह 2. इंगुदी का वृक्ष / 2. शहतीर / विसंगत (वि०) [वि+सम्+गम्+क्त] अयोग्य, | विसारिन (वि०) (स्त्री०-णी) [वि+स+णिनि] असम्बद्ध, बेमेल / 1. फैलाने वाला, प्रसार करने वाला 2. रेंगने वाला, विसंधिः [विरुद्धः सन्धि,--प्रा० स०] अनभिमत सन्धि | सरकने वाला, पुं० मछली / या सन्धि का अभाव (यह साहित्यरचना में एक विसिनी दे० 'बिसिनी'। दोष माना जाता है) दे० काव्य०७।। विसिल दे० 'बिसिल' / विसरः [वि+सृ---अप] 1. जाना 2. फैलाना, विस्तार | विसूचिका वि+सूच+ण्वल+टाप, इत्वम्] हैजा / करना 3. भीड़, समुच्चय, रेवढ़, लहण्डा 4. बड़ी वितरणम्,-णा [वि-+सूर्+ल्युट्] दुःख, शोक / राशि, ढेर मा० 1137 / विसूरितम् [वि+सूर् + क्त] पश्चात्ताप, दुःख, ता बुखार, विसर्गः [वि+सज+घञ] 1. भेज देना, उदगार ज्वर / 2. गिराना, उडेलना, बूंद-बूंद करके गिराना रघु० | विसत (भू० क. कृ.) [वि+स-+क्त] 1. फैलाया हुआ, 16138 3. डालना, फेंकना 4. प्रदान करना, भेंट, दान विस्तृत किया हुआ, प्रसारित किया हुआ 2. विस्ता-आदानं हि विसर्गाय सतां वारिमचामिव-रघु०४।८६, रित, ताना हुआ 3. कहा हुआ। (यहां शब्द का अर्थ 'उडेलना' भी है) 5. भेज देना, | विसत्वर (वि.) (स्त्री०-रो) [वि+स-क्वर, तुक] विसर्जन 6. परित्याग, छोड़ देना 7. उत्सर्जन, मलत्याग 1. इधर उधर फैलने वाला, व्याप्त होने वाला विसजैसा कि 'पुरीष विसर्ग' में 8. जदाई, वियोग 9. मोक्ष त्वरैरंबरुहां रजोभि:-शि० 3 / 11 2. रेंगना, सरकना। 10. प्रकाश, ज्योति 11. लिखने में एक प्रतीक, जो / विसमर (वि.) [वि+स+मरच] 1. रेंगने वाला, स्पष्ट रूप से महाप्राण है तथा दो बिन्दु (:) लगा सरकने वाला, शनैः शनैः चलने वाला-विसृमरहेषितकर प्रकट किया जाता है 12. सूर्य का दक्षिणायन यः-वेणी० 4 / 13. लिङ्ग, शिश्न / विसृष्ट (भू० क. कृ०) [वि+स+क्त] 1. उद्गीर्ण, विसर्जनम् [वि+सृज् + ल्युट्] 1. उद्गार, प्रेषण, उडे- उगला हुआ 2. उत्पन्न, निःसत 3. हलकाया हुआ, लना-समतया वसुवृष्टिविसर्जनैः- रघु० 9 / 6 टपकाया हुआ 4. भेजा हुआ, प्रेषित---रघु० 5 / 39 2. प्रदान करना, भेंट, दान-रघु० 9 / 6 3. मलत्याग, 5. बिदा किया गया, जाने दिया गया, कार्यभार से मनु० 4 / 48 4. डाल देना, त्याग देना, परित्याग मुक्त किया गया-रघु० 2 / 9 6. निकाल बाहर करना-रघु० 8125 5. भेज देना, बिदा करना, | किया गया, फेंका गया 7. दिया गया, प्रदत्त, स्वीकृत. 6. (देवता को) बिदा करना (विप० आवाहन) ग्रामेष्वात्मविसष्टेषु रघु० 1144 8. परित्यक्त, 7. किसी विशेष अवसर पर सांड को छोड़ उन्मुक्त, हटाया गया (दे० वि पूर्वक सृज्)। देना। विस्त दे० 'बिस्त। विसर्जनीय (वि०) [वि-सज-- अनीयर] परित्यक्त किये। विस्तरः वि--स्तु-अप] 1. विस्तार, फैलाव 2. सूक्ष्म जाने के योग्य,यः-विसर्ग (6) दे। विवरण, व्योरेवार वर्णन, सूक्ष्म ब्यौरे --- संक्षिविजित (भू. क. कृ०) [वि-+-सज+णिच्+क्त] प्तस्याप्यतोऽस्यैव वाक्यस्यार्थगरीयसः, सुविस्तरतरा 1. उद्गीर्ण, उगला गया 2. प्रदत्त 3. छोड़ा गया, वाचो भाष्यभूता भवंतु मे -शि० 2 / 24 (विस्तरेण त्याग दिया गया, परित्यक्त 4. भेजा गया, प्रेषित विस्तरतः, विस्तरशः ब्यौरेवार, विस्तारपूर्वक, पूरी 5. बिदा किया गया, तितर-बितर किया गया। तरह से, सूक्ष्म विवरण सहित, पूरी विशेषताओं के विसर्पः [वि+सप्+घञ्] 1. रेंगना, सरकना 2. इधर साथ,-अंगुलिमुद्राधिगमं विस्तरेण श्रोतुमिच्छामि-मुद्रा० से उधर आना और जाना 3. फैलाव, संचार-उत्तर० 1, भग० 10 // 18) 3. सुविस्तरना, प्रसार-- अलं 1 / 35 4. किसी कर्म का अप्रत्याशित या अनपेक्षित विस्तरेण 4. बहुतायत, परिमाण, समुच्चय, संख्या फल 5. एक प्रकार का रोग, सूखी खुजली। सम० 5. बिस्तरा, तह, स्तर 6. आसन, तिपाई। --घ्नम् मोम / विस्तारः [वि+स्तु+घा] 1. फलाव, विस्तृति, प्रसारणविसर्पणम् [वि+सुप्+ ल्युट्] 1. रेंगना, सरकना, शनैः प्रांतविस्तारभाजाम्--मा० 1027 2. आयाम, चौड़ाई शनैः चलना 2. प्रसारण, फैलाव, विस्तारण / -विलोकयंत्यो वपुरापुरक्ष्णां प्रकामविस्तारफलं हरिण्यः विपिः, विसपिका दे० उ० विसर्प (5) / रघु० 2 / 11, भग० 131303. फैलाव, विपुलता, विसल दे० 'बिसल'। विशालता--मध्यः श्यामः स्तन इव भवः शेषविस्तारविसारः [वि+स+घ] 1. फैलाना, बिछाना, प्रसारण | पांडु: ---मेघ०१८ 4.विवरण, पूरा ब्यौरा- कण्वोऽपि पर: [वि+तह स्तर 6. आमाण, समुच्चय, अलं For Private and Personal Use Only