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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 958 ) विश्रमः [वि+श्रम्-+अप] 1. आराम, विश्रान्ति 2. विश्व (सा० वि०) [विश्+4] 1. सारे, सारा, समस्त, विराम, विश्राम। ___ सार्वलांकिक 2. प्रत्येक, हरेक, (पू० ब० व०) दस विषम्भः [वि-|-श्रम्भ---घा] 1. विश्वास, भरोसा, देवों का समूह (यह 'विश्वा' के पुत्र समझे जाते हैं, अन्तरंग विश्वास, पूर्ण घनिष्ठता या अन्तरंगता / इनके नाम है वसुः सत्यः ऋतुर्दक्षः काल: कामो धृतिः विश्रम्भादुरसि निपत्य लब्धनिद्रा-उत्तर० 149, मा० कुरुः, पुरूरवा गाद्रवारच विश्वेदेवाः प्रकीर्तिता:३।१ 2. गुप्त बात, रहस्य विभंभेष्वभ्यंतरीकरणीया श्वम् 1. सम्पूर्ण सृष्टि, समस्त संसार इदं विश्वं ----का0 3. आराम, विश्राम 4. स्नेहसिक्त परिपृच्छा पाल्यम्-उत्तर० 3 / 30, विश्वस्मिन्नधुनान्यः कुलव्रतं 5. प्रेम-कलह,प्रीतिविषयक झगड़ा 6. हत्या / सम०-. पालयिष्यति कः भामि० 1113 2. सूखा अदरक, आलापः,... भाषणम् गुप्त वार्तालाप, वार्तालाप,--- सोंठ। सम० आत्मन (पु) 1. परमात्मा (विश्व पात्रम्,- भूमिः,- स्थानम् विश्वास करने के योग्य की आत्मा) 2. ब्रह्मा का विशेषण 3. शिव का पदार्थ या व्यक्ति, विश्वस्त, विश्वसनीय व्यक्ति / विशेषण-अथ विश्वात्मने गौरी संदिदेश मिथः विश्रयः[ विश्रि+अच् ] शरण, आश्रयस्थल / सखीम् कु० 6.1 4. विष्णु का विशेषण, ईशः, विधवस् (पुं०) पुलस्त्य के एक पुत्र का नाम, जो कैकसी ईश्वरः 1. परमात्मा, विश्व का स्वामी 2. शिव का से उत्पन्न रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा विशेषण, कडु (वि०) दुष्ट, नीच, दुर्वृत्त, (दुः) का पिता था, कुबेर के एक पुत्र का नाम जो उसकी 1. शिकारी कुत्ता, मृगयाकुक्कुर 2. स्वस्थ,- कर्मन् पत्नी इडाविडा से उत्पन्न हुआ था। (पुं०) 1. देवों का शिल्पी, तु० त्वष्ट 2. सूर्य का विधाणित भू० क० कृ०) [वि-+श्रण+णिच् + क्त ] | विशेषण, जा, सुता; सूर्य की पत्नी संज्ञा का प्रदान किया गया, अपित किया गया-निःशेषविश्रा विशेषण, कृत् (पु०) 1. सब प्राणियों का स्रष्टा णितकोशजातम्-- रघु० 5 / 1 / 2. विश्वकर्मा का विशेषण--,केतुः अनिरुद्ध का विधान्त (भु० क० कृ०) [वि+श्रम्-क्ति ] 1. बन्द विशेषण, गंधः प्याज, (-धम्) लोबान, गुग्गुल, किया हुआ, रोका गया 2. आराम किया हुआ, विश्राम गंधा पृथ्वी, जनम् मानवजाति, जनीन,-जन्य किया हुआ 3. सौम्य, शान्त, स्वस्थ / / (वि.) मानवमात्र के लिए हितकर, मनुष्य जाति के विधान्तिः / स्त्री०) [वि+श्रम् +क्तिन् ] 1. आराम, उपयुक्त, सब मनुष्यों के लिए लाभकर-भट्टि० 2 / 48, विश्राम 2. रोक, थाम / 21117,- जित् (पुं०) 1. यज्ञ विशेष का नाम .. विश्रामः [वि+श्रम्+घञ 11. रोक, थाम 2. आराम, रघु० 5 / 1 2. वरुण का पाश, देव विश्व (पु०) के चैन -- विश्रामो हृदयस्य यत्र उत्तर० 1139 3. नीचे दे०, धारिणी पृथ्वी, पारिन् (पुं०) देव शान्ति, सौम्यता, स्वस्थता। ..-- नाथः विश्व का स्वामी, शिव का विशेषण, पा विधावः [वि+श्रु+घा ] 1. चूना, टपकना, बहना (पु०) 1. सब का रक्षक 2. सूर्य 3. चन्द्रमा 4. अग्नि, ('विसाव' के स्थान में) 2. ख्याति, कीर्ति / - पावनी, पूजिता तुलसी का पौधा, सन् (पुं०) विभुत (भू० क० कृ०) [वि+श्रु+क्त ] प्रख्यात, लब्ध 1. देव 2. सूर्य 3. चन्द्रमा 4. अग्नि का विशेषण प्रतिष्ठ, यशस्वी, प्रसिद्ध 2. प्रसन्न, आनन्दित, खुश | --- भुज् (वि० सर्वोपभोक्ता, सब कुछ खाने वाला 3. बहता हुआ। (पुं०) इन्द्र का विशेषण, भेषजम् सूखा अदरक, विश्रुतिः (स्त्री०) [वि+श्रु --क्तिन् ] प्रसिद्धि, ख्याति / सोंठ, मूर्ति (वि०) सब रूपों में विद्यमान, सर्वविश्लथ (वि०) [विशेषण श्लथः - प्रा० स० ) 1. ढीला, व्यापक, विश्वव्यापो,-मा० ११३,--योनिः 1. ब्रह्मा शिथिल, खुला हुआ,-रघु० 6173 2. स्फूतिहीन, का विशेषण 2. विष्ण का विशेषण,- राज, राजः निस्तेज। विश्वप्रभ, - रूप (वि०) सर्व व्यापक, सर्वत्र विद्यमान विश्लिष्ट (भू० क० कृ०) [वि+श्लिष-क्ति वियुक्त, (पः) विष्णु का विशेषण, (पम्) अगर की लकड़ी, -- पृथक्कृत, अलग अलग किया हुआ रघु० 1276 / / ---रेतस् (पुं०) ब्रह्मा का विशेषण, वाह (वि०) विश्लेषः [वि+श्लिष् +घञ 1 अलगाव, वियोजन / (स्त्री० विश्वौही) सब कुछ ढोने वाला, सब का 2. विशेषतः प्रेमियों अथवा पति-पत्नी का बिछोह ! भरण पोषण करने वाला, सहा पृथ्वी, सज् (पुं०) 3. वियोग तनया विश्लेषदुःखैः श० 4/5, चरणा- - ब्रह्मा का विशेषण, स्रष्टा प्रायेण सामग्र्यविधी रविंदविश्लेष-रघु० 13123 4. अभाव, हानि, गुणानां पराङमुखी विश्वसृजः प्रवृत्तिः----कु० 3 / 28, शोकावस्था 5. दरार, छिद्र। 1149 / विश्लेषित (भू० क. कृ०) [वि+श्लिष -णिच-|-क्त]विश्वंकरः [विश्वं सर्व करोति प्रकाशयति-- कृ+ट, अलग किया हुआ, वियुक्त, जुदा किया हुआ / द्वितीयाया अलुक्] आँख, (कुछ के अनुसार-नपुं०)। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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