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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 954 ) विवादिन (वि.) [विवाद+इनि] 1. कलह करने वाला, प्रकटीकृत, अभिव्यक्त 2. स्पष्ट, सामने खुला हुआ तर्क वितर्क करने वाला, तर्कप्रिय, कलहशील 3. खुला हुआ, अनावृत, नंगा पड़ा हुआ 4. खोला, 2. (कानूनी पहल पर) विवाद करने वाला-पं० प्रकट किया हुआ, नग्न, उद्घाटित 5. उद्घोषित मुकदमेबाज, कानूनी अभियोग में भाग लेने वाला। 6. भाष्य किया गया, व्याख्या की गई, टीका की विवारः [वि+वृ+घञ्] 1. मुंह, विस्तार 2. अक्षरों गई 7. विस्तारित, फैलाया गया 8. विस्तृत, विशाल, का उच्चारण करते समय कण्ठ का विस्तार (एक प्रशस्त। सम० अक्ष (वि०) बड़ी बड़ी आँखों अभ्यंतर प्रयत्न, विप० संवार, दे० पा० 1319 पर वाला, (क्षः) मुर्गा, द्वार (वि०) खुले दरवाजों सिद्धा०)। वाला - कु०४१३६ / विवासः, विवासनम् [वि+वस्-+-णिच् +घञ्, ल्युट वा] | विवृतिः (स्त्री०) [वि-+व+क्तिन्] 1. प्रदर्शन, प्रकटी देश निर्वासन, देशनिकाला, निष्कासन,... रामस्य गात्र- / करण 2. विस्तार 3. अनावरण, व्यक्तीकरण मसि दुर्वहगर्भखिन्नसीताविवासनपटोः करुणा कुतस्ते 4. भाष्य, टीका, वृत्ति, वाच्यान्तर / -उत्तर० 2 / 10 / विवृत्त (भु० के० कृ०) [वि+वृत्+नत] 1. मुड़ कर विवासित (भू० क० कृ०) [वि+वस+णिच--क्त] देश आया हुआ 2. मुड़ना, चक्कर काटना, लुढ़कना, से निर्वासित किया गया, देश निकाला दिया गया, भवर। निष्कासित। विवृत्तिः (स्त्री०) [वि+वृत् +-क्तिन्] 1. मुड़ना, भंवर, विवाहः [वि--वह घिन | शादी, व्याह (हिन्द्र स्मति- चक्कर 2. (व्या०) उच्चारण भंग / कारों ने आठ प्रकार के विवाह बताये हैं -ब्राह्मो | विवश (भ० क. कृ०) [वि-वध+क्त] 1. विकसित दैवस्तथैवार्षः प्राजापत्यस्तथासुरः, गांधर्वो राक्षसश्चैव *2. बढ़ा हुआ, आवधित, ऊंचा किया हुआ, बढ़ाया हुआ, पैशाचश्चाष्टमोऽधमः -- मनु० 3121, दे० याज्ञ० / तीब्र (शोक हर्षादिक) 3. विपुल, विशाल, प्रचुर। 58, 61 भी, इन रूपों की व्याख्या के लिए उस शब्द विवृद्धिः (स्त्री०) [वि+वृध+क्तिन] 1. बढ़ना, वर्घन, को देखो / सम० -चतुष्टयम् चार पत्नियों से विवाह बढ़ती, विकास प्रयुः शरीरावयवा विवृद्धिम् .....रघु० करना, ---दीक्षा विवाह संस्कार या कर्म / 17 / 49, विवृद्धिमत्राश्नुवते वसूनि- 114, इसी विवाहित (भू० क. कृ.) [वि+वह +णिच् + क्त प्रकार शोक हर्ष° आदि 2. समृद्धि / ब्याहा हुआ। विवेकः [वि-+-विक+घञ | 1. विवेचन, निर्धारण, विवाह्यः [वि+वह + ण्यत्] 1. जामाता 2. दूल्हा / विचारणा, विज्ञता,-काश्यपि यातस्तवापि च विविक्त (भू० क. कृ०) [वि-|-विच् +-का] 1. वियुक्त, विवेकः भामि० 1168,66, ज्ञातोऽयं जलघर तावको पृथक्कृत, अलगाया हुआ, बेसुध 2. अकेला, एकाकी, विवेकः-९६ 2. विचार, विचारविमर्श, गवेषणानिवृत, विलग्न 3. एकल, एकी 4. प्रभिन्न, विवेचन यच्छंगारविवेकतत्त्वमपि यत्काव्येष लीलायितम् --- किया हुआ 5. विवेकशील 6. पवित्र, निर्दोष रत्न गीत० 12, इसी प्रकार द्वैत धर्म° 3. भेद, अन्तर, १२१,--यतम् 1. एकान्त स्थान, निर्जन स्थान शि० (दो वस्तुओं में) प्रभेद नीरक्षीर विवेके हंसालस्यं 8170 2. अकेलापन, निजता, एकान्तस्थान-क्ता त्वमेव तनुषे चेत् भामि० 1153, भट्टि० 17 / 60 भाग्यहीन या अभागी स्त्री, जो अपने पति को प्यारी 4. (वेदान्त में) दृश्यमान जगत् तथा अदृश्य आत्मा न हो, दुर्भगा। में भेद करने की शक्ति, माया या देवल बाह्य विविग्न (वि०) [विशेषेण विग्नः वि--विज् + क्त] रूप से वास्तविकता को पृथक् करना 5. सत्य ज्ञान अत्यंत क्षुब्ध, या डरा हुआ रघु० 18 / 13 / -6. जलाशय, पात्र, जलाधार। सम०-- (दि०) विविष (वि) [विभिन्ना विधा यस्य-प्रा० ब०] नाना विवेकशील, विवेचक,-ज्ञानम् विवेचन करने की प्रकार का, विभिन्न प्रकार का, बहुरूपी, विश्वरूपी, शक्ति, - दृश्वन् (पुं०) सूक्ष्मदर्शी पुरुष, ... पदवी प्रकीर्ण मनु० 118, 39 / पुनर्विमर्श, विचार, चिन्तन / विवीतः [विशिष्टं वीतं गवादिप्रचारस्थानं यत्र -प्रा० विवेकिन (वि०) [विवेक+इनि] विवेचक, विचारवान्, घिरा हुआ स्थान, बाड़ा, जैसे चरागाह / विवेकशील, पुं० 1. न्यायकर्ता, गणदोषविवेचक विवक्त (भू० क० कृ०) [वि+वृज-|-क्त छोड़ा हुआ, | 2. दार्शनिक। परित्यक्त, संपरित्यक्त। विवेक्त (पुं०) [वि- यिच् + तृच] 1. न्यायकारी विवक्ता [विवृक्त+टाप्] वह स्त्री जिसको उसका पति 2. षि, दार्शनिक / प्यार नहीं करता, तु० 'विविक्ता'। | विवेचनम्,-ना [वि-+-विच्-+ ल्यट] 1. गुणदोषविचारणा विवृत (भू० क. कृ.) [वि-+-+ क्त] 1. प्रदर्शित, / 2. विचारविमर्श, विचार 3. फैसला, निर्णय / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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