________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 955 ) विवोढ़ (पुं) [वि +-बह --तच्] दूल्हा, पति। करना—बिक्रम० 2 / 14 8. सुपुर्द करना, सौंपना विवोक दे० बिम्बोक-विव्वोकस्ते मरविजयिनो वर्मपाती रघु० 1964, निस्-', 1. सुखोपभोग करना बभूव ---उ० सं० 43 / -ज्योत्स्नावतो निर्विशति प्रदोषान् - रघु०६।३४, विश (तुदा० पर० विशति, विष्ट) 1. प्रविष्ट होना, निबिष्टविषयस्नेहः स दशांतमुपेयिवान्-- रघु० 12 / 1, जाना, दाखिल होना - विवेश कश्चिज्जटिलस्तपोवनम 4/51, 6 / 50, 9135, 13 / 60, 14180, 1813, ---कु० 5 / 30, रघु० 6.10, 12, मेघ० 102, 19147, मेघ० 110 2. अलंकृत करना, आभूषित भग० 11129 2. जाना या पहंचना, अधिकार में आना करना 3. विवाह करना, प्र-, 1. प्रविष्ट होना किसी के हिस्से में पड़ना-उपदा विविशुः शश्वन्नोत्सेकाः 2. आरम्भ करना, शुरु करना, (-प्रेर०) प्रस्तुत कोशलेश्वरम् रघु० 4 / 70 3. बैठ जाना, बस जाना करना, प्रवेष्टा के रूप में आगे आगे चलना, 4. घुस जाना, व्याप्त हो जाना 5. स्वीकार करना, विनि ,रक्खा जाना, बिठाया जाना, (प्रेर०) उत्तरदायित्व लेना, -प्रेर० (वेशयति-ते) धुसाना, 1. स्थिर करना, रखना- कु० 1149, रघु० 6 / 63, प्रविष्ट कराना - इच्छा० (विविक्षति) प्रविष्ट होने मदरसि कुचकलशं विनिवेशय-गीत० 12 2. बसाना, की इच्छा करना, अन --, 1. सम्मिलित होना नई बस्ती बसाना–कु० 6137, सम्-, 1. प्रविष्ट 2. किसी का अमुगमन करना, बाद में प्रविष्ट होना, होना 2. सोना, लेटना, आराम करना-संविष्टः अनुप्र सम्मिलित होना (आलं० से) दूसरे की कुशशयने निशां निनाय -रघु० 1195 मनु० 4 / 55, इच्छानुसार अपने आप को ढालना, यस्य यस्य हि 7 / 225 3. सहवास करना, मैथुन करना- षोडशर्तयो भावस्तस्य तस्य हितं नरः, अनुप्रविश्य मेघावी निशा: स्त्रीणां तस्मिन् युग्मासु संबिशेत् - याज्ञ. क्षिप्रमात्मवशं नयेत—पंच० 1168, अभिनि, 179, मनु० 3 / 48 4. सुखोपभोग करना, समा-, (आ०) 1. सम्मिलित होना, अधिकार करना 1. प्रविष्ट होना, भट्टि० 8 / 27 2. पहुंचना 3. लग 2. सहारा लेना, अधिकार कर लेना --अभिनिविशते जाना, तुल जाना, संनि, (प्रेर०)-1. रखना, घरना सन्मार्गम् - सिद्धा०, भयं तावत्सेव्यादभिनिविशते 2. स्थापित करना, ऊपर धरना-रघु० 12158 / -मुद्रा० 5 / 12, भट्टि० 880, आ- 1. प्रविष्ट होना (पु.) [ विश्--क्विप ] 1. तीसरे वर्ण का मनुष्य, --रघु०२।२६ 2. अधिकार करना, कब्जे में ले लेना, वैश्य 2. मनुष्य 3. राष्ट्र, स्त्री० 1. राष्ट्र, प्रजा काब कर लेना 3. पहँचना 4. किसी विशेष स्थिति 2. पुत्री। सम०---पण्यम् सामान, व्यापारिक माल, पर पहुंचना, उप-,1. बैठ जाना, आसन ग्रहण करना ... पतिः (विशांपतिः' भी) राजा, प्रजा का स्वामी। भग० 1146 2. डेरा डालना 3. स्वीकार करना, विशम् [विश्+क] कमल की गंडी के तन्तु, रेशे-तु० अभ्यास करना-प्रायमुपविशति 4. उपवास करना बिस / सम० -- आकरः एक प्रकार का पौधा, भद्र---भट्टि० 775, नि-, (आ०) 1.बैठ जाना, आसन चुड, कंठा सारस / ग्रहण करना--नवांबुदश्यामवपुर्यविक्षत (आसने) विशङ्कट (वि०) (स्त्री०-टा,-टी) [वि+शंक+अटच] -शि० 1119 2. पड़ाव डालना, डेरा लगाना 1. बड़ा, विशाल, बृहत्-विशङ्कटो वक्षसि बाणपाणिः -रघु०१२।६८ 3. प्रविष्ट होना, रामशाला न्यविक्षत __--- भट्टि० 2150, शि० 13134 2. मजबूत, प्रचंड, -भट्टि० 4 / 28, 6 / 143, 817, रघु० 9 / 82 शक्तिशाली। 4. स्थिर किया जाना, निर्दिष्ट किया जाना--सर्य- विशङ्का [विशिष्टा विगता वा शङ्का - प्रा० स०] डर, निविष्टदृष्टि:---रघु० 14 / 66 5. व्यस्त होना, अनु आशङ्का / षक्त होना, तुल जाना, अभ्यास करना श्रुतिप्रामा- विशद ( वि०) [वि---शद्+अच] 1. स्वच्छ, पवित्र, ण्यतो विद्वान्स्वधर्मे निविशेत वै मनु० 2 / 8 6. विवाह निर्मल, विमल, विशुद्ध-योगनिद्रान्तविशः पावनकरना (निविश' के स्थान पर), (प्रेर०) 1. जमाना, रवलोकन: -- रघु० 10114, 19 // 39, रत्न० 319, निर्दिष्ट करना, (मन, चित्त) लगाना, भग० 1218 कि० 5 / 12 2. सफेद, विशुद्धश्वेत रङ्ग का निर्धी2. स्थित करना, धरना, रखना रघु०६।१६, 4 / 39 तहारगलिकाविशदं हिमांभः - रघु० 5 / 70, कु० 7 / 63 3. बिठाना, स्थापित करना -रघु० 15 / 97 1140,6 / 25, शि० 9 / 26, कि० 4 / 23 3. उज्ज्व ल, 4. जीवन में स्थित कराना, विवाह कराना-श० चमकीला, सुन्दर-कु० 3 / 33, शि० 8 / 70 4. साफ, 4 / 19 5. (सेना आदि का) डेरा डालना रघु० स्पष्ट, प्रकट 5. शान्त, निश्चिन्त आराम सहित-जातो 5 / 42, 16 / 37 6. रेखांकन करना, चित्रित करना, ममायं विशदः प्रकामं (अन्तरात्मा)-श० 4 / 22 / चित्र बनाना ---चित्रे निवेश्य परिकल्पितसत्त्वयोगा विशयः [वि+शो-अच] 1. सन्देह, अनिश्चयता, अधि-श०२।९, मालवि०३।११ 7. लिख लेना, उत्कीर्ण / करण के पांच अंगों में से दूसरा 2. शरण, सहारा / For Private and Personal Use Only