________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ----- ( 940 ) विनिर्मित (भू० क० कृ०) [वि+निर्+मा+क्त] | विनोदनम् [बि+नुद्+ल्युट्] 1. हटाना 2. मनोरंजन 1. बनाया हुआ, निर्माण किया हुआ 2. बना हुआ, आदि--दे० 'विनोद'। रचा हुआ। विन्दु (वि.) [विद्+उ, नुमागमः] 1. मनीषी, बुद्धिमान् विनिवृत्त ( भू० क. कृ.) [वि+नि+वृत्+क्त ] 2. उदार,--दु: बूंद, दे० 'विन्दु'। 1. लौटा हुआ, वापिस आया हुआ 2. ठहरा हुआ,विध्यः [विदधाति करोति भयम] एक पर्वत श्रेणी जो थमा हुआ, रुका हुआ 3. (सेवा) मुक्त, फ़ारिग / उत्तर भारत को दक्षिण से पृथक करती है, यह सात विनिवृत्तिः (स्त्रो०)[वि+निवृत्+क्तिने 1. विश्रान्ति, कुल पर्वतों में से एक है, यह मध्यदेश की दक्षिणी रोकना, हटाना --शकाभ्यसूयाविनिवृत्तये-रघु०६७४ सीमा है, दे० मनु० 221, (एक उपाख्यान के 2. अन्त, अवसान, समाप्ति / अनुसार विन्ध्य पर्वत को मेरु पर्वत हिमालय पहाड़) विनिश्चयः [वि. निस- चि---अच 1. स्थिर करना, से ईर्ष्या हुई। अतः उसने सूर्य से मांग की कि जिस तय करना, निश्चय करना 2. फैसला, पक्का निश्चय / प्रकार वह मेरु के चारों ओर घूमता है, उस प्रकार विनिश्वासः [वि.+नि+श्वस् घा] कठिनाई से सांस उसे विन्ध्य के चारों ओर घूमना चाहिए, सूर्य ने लेना, आह भरना, आह / गहरी साँस) / विन्ध्य पर्वत की मांग ठकरा दी। फलत: विन्ध्य विनिष्वेषः / वि +-निस्+पिष् -घा] चूर चूर करना, पर्वत ने ऊपर को उठना आरंभ किया जिससे कि कुचलना, पीस डालना। सूर्य और चन्द्रमा का मार्ग रोका जा सके। देवताओं विनिहत (भू० क० कृ०)वि+नि+हन्+क्त] 1. आहत, में आतंक छा गया, उन्होंने अगस्त्य मुनि से सहायता घायल 2. मार डाला हुआ 3. पूरी तरह परास्त मांगी। अगस्त्य विध्य पर्वत के पास गया और किया हुआ, ...तः 1.कोई बड़ा या अनिवार्य संकट, जैसे उससे निवेदन किया कि जरा नीचे झुक जाओ जिससे कि भाग्य-दोष से या दैवात् आपद्ग्रस्त होना 2. . कि मुझे दक्षिण में जाने का मार्ग मिले, और जब तक अपशकुन, धूमकेतु / मैं वापिस न आऊँ, इसी प्रकार झके रहो। विध्य विनीत (भू० क. कृ.) वि+नी+क्त] 1. दूर ले पर्वत ने इस बात को मान लिया (क्योंकि एक वर्णन जाया गया, हटाया हया 2 सुप्रशिक्षित, अनुशासित के अनुसार अगस्त्य मुनि विध्य पर्वत का गुरु माना 3. संस्कृत, आचरणशील . सूशील, विनम्र, विनीत, जाता है) परन्तु अगस्त्य फिर दक्षिण से वापिस सौम्य 5. शिष्ट, शालोन, सौजन्यपूर्ण 6. प्रेषित, न लौटा, और विध्य को मेरु जैसी उत्तंगता न मिल विसजित 7. पालतू, सघाया गया 8. सीधा, सरल सकी) 2. शिकारी / सम-अटवी, विन्ध्य महावन, (वेशभूषा आदि) 9. आत्म संयमी, जितेन्द्रिय --- कूटः, कूटनम् अगस्त्य ऋषि के विशेषण, 10 सजा प्राप्त, दंडित 11, शासनीय, शासन किये --वासिन पवैयाकरण व्याडि का विशेषण, ( नी जाने के योग्य 12. प्रिय, मनोहर (दे० वि पूर्वक | दुर्गा का विशेषण / नी), तः 1. सधाया हुआ धोड़ा 2. व्यापारी। विन (भ० क० कृ०) [विद्+क्त 1. ज्ञात 2. हासिल, विनीतकम् [विनीत+कन्] 1. गाड़ी, सवारी (डोलो प्राप्त 3. विचार विमर्श किया हुआ, अनुसंहित 4. रक्खा आदि 2. ले जाने वाला, वाहक / __हुआ, स्थिर किया हुआ 5. विवाहित (दे० विद्) / विनेत (पं.) |वि-+नी--तच | 1. नेता, पथ प्रदर्शक / विन्नकः [विनकन्] अगस्त्य का नाम / 2. अध्यापक, शिक्षक रघ०८१९१3. राजा, शासक | विन्यस्त (भ० क. कृ०) वि+नि+असक्त 4. सजा देने वाला, दण्ड देने वाला- अयं विनेता 1. रक्खा हुआ, डाला हुआ 2. जड़ा हुआ, फर्श जमाया दृप्तानाम् -- महावी० 3 / 46, 4 / 1, रघु० 6 / 39, हुआ या खड़जा लगाया हुआ 3. स्थिर 4. क्रमबद्ध 14 / 23 / 5. समर्पित 6. उपस्थित किया गया, प्रस्तुत 7. जमा विनोदः [वि+न+घञ्] 1. हटाना, दूर करना-श्रम किया हुआ, निक्षिप्त / विनोदः 2. मनोरंजन, दिल बहलाब, कोई भी रोचक | विन्यासः वि-- न्यस् / घा] 1. सौंपना, जमा करना या रंजनकारी व्यवसाय प्रायेणते रमणविग्हेष्वंग 2. धरोहर 3. क्रमपूर्वक रखना, समंजन, निपटारा, नानां विनोदा: मेध० 87, श० 25 3. खेल, अक्षरविन्यासः अक्षर उत्कीर्ण करना-प्रत्यक्षरश्लेषमयक्रीडा, आमोद-प्रमोद 4. उत्सुकता, उत्कण्ठा 5. प्रबन्धविन्यासर्वदग्ध्यनिधिः ... वास०, किसी ग्रन्थ की आनन्द, प्रसन्नता, परितप्ति - विलपनविनोदोऽप्य- रचना 4. संग्रह समवाय 6 स्थान, आधार / सुलभः - उत्तर० 3 / 30, जनयतु रसिकजनेषु मनोरम- विपक्तिम (वि०) [वि---पच् --- क्ति- मप्] 1. पूर्ण रूप से रतिरसभावविनोदम --गीत० 12 6. एक प्रकार पका हुआ, परिपक्व 2. विकसित, (पूर्व कृत्यों के का रतिबंध / परिणाम स्वरूप) पूर्णता को प्राप्त / For Private and Personal Use Only