________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 938 ) मुम् ] राहु विधुमिव विधुन्तुद दंतदलनगलितामृत- / किया जाना चाहिए, कर्तव्य,-कि० 16.62 2. प्रतिज्ञा धारम् गीत० 4, नै० 471, शि० 2061 / / या प्रस्थापना की उक्ति, - यः सेवक, भत्य / सम० बिपुर (वि०) [विगता धू: कार्यभारो यस्मात् प्रा० -- अविमर्शः रचनासंबंधी दोष जिससे विधेय आश्रित ब.] 1. दुःखी, विपद्ग्रस्त, कष्टग्रस्त, शोकाकुल, स्थिति का हो जाय या उसका अधरा कथन किया दयनीय- मा० 2 / 3, 9/11, उत्तर० 3 / 18, 6 / 41, जाय-अविमष्ट: प्राधान्येनानिदिष्टो विधेयांशो यत्र कि० 11126 2. जिससे प्रेम करने वाला कोई न -काव्य० 7, उदा० उस स्थान पर देखो, - आत्मन रहा हो, शोकग्रस्त, पत्नो या पति की विरहव्यथा से (तुं०) विष्णु, -- ज (वि०) जो अपना कर्तव्य जानता ध्याकूल-मयि च विवरे भाव: कांता प्रवत्तिपराङ- है-पंच० 11337, पदम् 1. सम्पन्न किया जाने मुखः --विक्रम० 4 / 20, विधुरा ज्वलनातिसर्जनान्नन वाला उद्देश्य 2. कर्ता के संबंध में कहीं गई उक्ति मां प्रापय पत्युरन्तिकम् -कु०४।३२, शि०६।२९, 12 / --- विधेय / 8 3. शन्य, वञ्चित, विरहित, मुक्त -सा वै कलंक- विध्वंसः [वि+ध्वंस+घञ 1 1. बरबादी, विनाश विधुरो मधुराननश्रीः-भामि० 25 4. विरोधी, 2. शत्रुता, अरुचि, नापसन्दगी 3. अपमान, अपराध / वैरी, शत्रु पंच० २१८१,-रः रंडुवा,-रम् 1. खटका, | विध्वंसिन (वि.) वि+ध्वंस्-णिनि ] बरबाद होने भय, चिन्ता 2. पति या पत्नी से वियोग, प्रेमी या | वाला, टुकड़े टुकड़े हो जाने वाला। प्रेमिका द्वारा शोकाकुलता / विध्वस्त (भू० क० कृ०) विध्वंस्+क्त] 1. बरबाद विधुरा [ बिधुर+टाप् ] दही जिसमें चीनी व मसाले डाले हुआ, विनष्ट 2. इधर उधर बिखेरा हुआ, छितराया हुआ 3. अस्पस्ट, धुंधला 4. ग्रहणग्रस्त / विषुवनम् / वि+धु+ल्युट, कुटादित्वात् साधुः] हिलना, | विनत (भू० क० कृ०) [वि+नम्+क्त] 1. झुका हुआ, थरथरी, कंपकपी। नंवा हुआ 2. अवनत हुआ, लटकता हुआ, मुड़ा हुआ विधूत (भू. क.कृ.) [वि+धू+क्त ] 1. हिला हुआ, श० 3 / 11 3. डूबा हुआ, अवसन्न 4. झुका हुआ, उथलपुथल हुआ, तरंगित 2. थरथराता हुआ 3. उखड़ा कुटिल, वक्र 5. विनीत, शिष्ट (दे० वि पूर्वक नम्)। हुआ, मिटाया हुआ, हटाया हुआ 4. अस्थिर 5. परि- | विनता विनत+टाप] 1. अरुण और गरुड की माता जो त्यक्त,-तम् विरक्ति, अरुचि।। कश्यप की एक पत्नी थी-दे. गरुड़ 2. एक प्रकार विषतिः (स्त्री०) विषननम् [वि+धू+क्तिन, वि+धु की टोकरी / सम०--नंदनः, सुतः, सूनुः गरुड़ या +णि+ल्युट्, नुक्] हिलना, थरथरी, कंपकपी अरुण के विशेषण। विक्षोभ / बिनतिः (स्त्री०) [वि+नम् +क्तिन् 1. नमना, झुकना, विपत (भू० क० कृ०) [वि++क्त ] 1. पकड़ा हुआ, नीचे को होना 2. विनय, विनम्रता 3. प्रार्थना / थामा हुआ, ग्रहण किया हुआ 2. वियुक्त, अलग-अलग विनवः [वि-नन् / अच्] 1. ध्वनि, कोलाहल 2. एक रक्खा गया 3. धारण किया गया, कब्जे में किया वृक्ष का नाम। गया 4. रोका गया, नियन्त्रित किया गया 5. सहारा विनमनम [वि+नम+ल्यट] झुकना, नमना, सिर और दिया गया, प्ररक्षित, समर्थित (दे० वि पूर्वक ष), तम् कंधे झुका कर चलना / 1. आदेश की अवहेलना 2. असन्तोष। विनम्र (वि.) [वि+नम्+र] 1. झुका हुआ, झुक कर विषेय (सं० कृ०) [वि+धा+यत् ] 1. किये जाने के चलता हुआ कि० 4 / 3 2. अवसन्न, डूबा हुआ योग्य, अनुष्ठेय 2. विहित या नियत किये जाने के 3. विनयशील, विनीत / योग्य 3. (क) आश्रित, निर्भर' अथ विधिविधेयः | विनम्रकम् [विन+कन्] 'तगर' वृक्ष का फूल / / परिचयः-मा० 2013 (ख) अधीन, प्रभावित, निय. विनय (वि०) [वि-+ नी+अक्] 1. डाला हुआ, फेंका न्त्रित, दमन किया गया, परास्त किया गया (प्रायः हुआ 2. गुप्त 3. अशिष्टाचारी, --- यः 1. निर्देश, अनुसमास में) निद्राविधेयं नरदेवसैन्यम्-रघु० 762, शासन, अनुदेश (अपने कर्तव्यक्षेत्र में) नैतिक प्रशिक्षण संभाव्यमानस्नेहरसेनाभिसंधिना विधेयीकृतोऽपि - मा० - रघु० 224, मा० 1015 2. औचित्य, शिष्टाचार, 1, भग० 2064, मुद्रा० 301, शि० 3 / 20, रघु० सुशीलता-श० 1129 3. शिष्ट आचरण, सज्जनो१९।४ 4. आज्ञाकारी, शासनीय, अनुवर्ती, वश्य,-- चित व्यवहार, सच्चरित्र, अच्छा चलन-रघु० 679, अविधेयेंद्रियः पुंसां गौरिवैति विधेयताम—कि० 11 // मा० 1118 4. शालीनता, विनम्रता---सुष्ठ शोभसे 33 5. (व्या०) विधेय-कर्ता के संबंध में कही आर्यपुत्र एतेन विनयमाहात्म्येन-उत्तर०१, विद्या गई बात) होने के योग्य-अत्र मिथ्यामहिमत्वं ददाति विनयम; तथापि नीचविनयाददृश्यत रघु० नानुवाचं अपि तु विधेयम्-काव्य 7, - यम् 1. जो / 3 / 34, 1071, (यहां मल्लि. 'विनय' शब्द का For Private and Personal Use Only