________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 907 ) वल्लवः (स्त्री०-वी) [ वल्ल+बा+क] दे० 'बल्लव:'। इच्छा का वशवर्ती, विनीत, अधीन (पुं०) सेवक, शि० 12 / 39 / --आढयकः संस,-क्रिया जीतना, अधीन करनापल्लिः (स्त्री०) [वल्ल+इन 11. लता, बेल-भूतेशस्य (वि०) अधीन, आज्ञाकारी-भर्तृ०२।९४ (-गा) भुजंगवल्लिवलयनङ्नद्धजूटा जटा: ---मा० 102 आज्ञाकारिणी पत्नी। / 2. पृथ्वी / सम पूर्वा एक प्रकार का घास। वशंवद (वि.) [ वश+व+खच्, मुम् ] आज्ञाकारी, वल्ली (स्त्री०) [ वल्लि+ङीष् ] बेल, घुमावदार पौषा, अनुवर्ती, विनीत, अधीन, प्रभावित (शा. तथा लता। सम-जम् मिर्च,-वृक्षः साल का वृक्ष / आलं.) कोपस्य किं नु करभोरु वशंवदाऽभूः . भामि० वल्लरम् [ बल्ल+उरन् ] 1. निकुन्ज, पर्णशाला 2. वन- 319, 2 / 136, 157, ने० 1133, सा ददर्श गुरुहर्षव स्थली, झुरमुट 3. मंजरी 4. अनजुता खेत 5. रेमि- शंवदवदनमनंगनिवासम् --गीत०११ / स्तान, जंगल, उजाड़ 6. सूखा मांस। क्शका वश+के+क+टाप् ] आज्ञाकारिणी पत्नी। वल्लरम् [ वल्ल् +ऊरन् ] 1. सूखा मांस 2. (जंगली) | वशा [वश्+अ+टाप् ] 1. स्त्री, अबला 2. पत्नी सूअर का मांस,-रम् 1. झुरमुट 2. उजाड़, वीरान __3. पुत्री, ननद 5. गाय 6. बाँझ स्त्री 7. बंध्या 3. अनजुता खेत। .. गाय 3. हक्निी ... स्त्रीरत्नेष ममोर्वशी प्रियतमा यथे बल्ह / (म्वा० आ० वल्हते) 1. प्रमुख होना, सर्वोत्तम ! तवेयं वशा-विक्रम० 4125 / होना 2. ढकना 3. मार डालना, चोट पहुंचाना | वशिः [वश्+इन् ] 1. अधीनता 2. सम्मोहन, मन्त्रमु4. बोलना 5. देना। रघता (नपुं०) वश्यता। ii (चुरा० उभ० वल्हवति-ते) 1. बोलना 2. चम- वशिक (वि०) [वश+ठन् ] शून्य, रहित,-का अदर कना। की लकड़ी। वहिक, वल्हीक दे० बल्हिक, वल्हीक। वशिन् (वि०) (स्त्री-नी) [ वशः अस्त्यस्य इनि ] वश (अदा० पर० वष्टि, उशित) 1. चाहना, इच्छा 1. शक्तिशाली 2. नियन्त्रण में, बशीभूत, अधीन, करना, लालसा करना - निःस्वो वष्टिशतं शती दश- विनीत 3. जिसने अपनी विषयवासनाओं पर विजय शतम् --शान्ति० 216, अमी हि वीर्यप्रभवं भवस्य प्राप्त कर ली है, जितेन्द्रिय (संज्ञा शब्द की भांति जयाय सेनान्यमुशन्ति देवा:-कु. 3 / 15, श० 7 / 20 भी प्रयुक्त)--रघु० 2170, 8/90, 1941, श० 2. अनुग्रह करना 3. चमकना। 5 / 28 / वश (वि.) [वश् कर्तरि अच भावे अप वा ] 1. अधीन, / वशिनी [ वशिन्+डीए] शमीवृक्ष, जैडी का पेड़।। प्रभावित, प्रभावगत, नियन्त्रणगत (प्रायः समास में) | वशिरः [वश्+किरच्] एक प्रकार की मिर्च,-रम् समद्रीशोकवशः, मृत्युवश: आदि 2. आज्ञाकारी, विनीत, नमक। अनुवर्ती 3. विनम्र, वशीकृत 4. मुग्ध, आकृष्ट बशिष्ट दे० 'वसिष्ठ'। 5. जादू द्वारा वश में किया हुआ,--शः,---शम् | वश्य (वि०) [वश्+यत् ] 1. वश में होने के योग्य, 1. अभिलाषा, चाह, इच्छा 2. शक्ति, प्रभाव, निय- नियन्त्रणीय, शासित होने के योग्य-आत्मवश्यविन्त्रण, स्वामित्व, अधिकार, अधीनता, दीनता, स्ववशः धेयात्मा प्रसादमधिगच्छति-भग० 2164 2. वशीभूत, 'अपने अधीन' स्वतन्त्र, परवशः 'दूसरों के प्रभाव में- विजित, सधा हुआ, विनीत-भग० 6 / 36 3. प्रभाव अनयत् प्रभुशक्तिसम्पदा वशमेको नृपतीननंतरान् या नियन्त्रण में, अधीन, आश्रित, आज्ञाकारी-तस्य - रघु०८१९, वशं नी,--आनो अधीन करना, वश पुत्रो भवेद्वश्यः समृद्धो धार्मिकः सुधी:--हि०प्र० 18, में करना. जीत लेना, वशं गम,-ई-या, अधीन होना, (प्रायः समास में) (मनः) हृदि व्यवस्थाप्य समाधिमार्ग से हट जाना, दब जाना, विनीत होना न शुचो वश्यम्- कु० ३।५०,-श्यः सेवक, आश्रित,--श्या वशं वशिनामुत्तम गन्तुमर्हसि-रघु०८।१०, वशे कृ या विनम्रा या आज्ञाकारिणी पत्नी--यं ब्रह्माणमियं देवी वशीक बस में करना, हावी होना, जीत लेना, मुग्ध वाग्वश्येवानुवर्तते उत्तर० 112 (जिसका भाषा पर करना, जादू से बस में करना, घशात् (अपा०) पूरा आधिपत्य है),--श्यम् लौंग। क्रिया विशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर 'शक्ति के वश्यका [वश्य+कन्+टाप्] दे० 'वश्या'। द्वारा' 'प्रभाव के द्वारा' 'के कारण' 'प्रयोजन से' अर्थ | वर्ष (भ्वा० पर० वषति) क्षति पहुँचाना, चोट मारना, प्रकट करता है, दैववशात्, वायुवशात, कार्यवशात् वध करना। आदि 3. पालतू, रहने वाला 4. जन्म,--शः वेश्याओं वषट (अव्य०) वह +डपटि] किसी देवता को आहति का वासस्थान, चकला / सम०-अनुज,-वर्तिन देते समय उच्चारण किया जाने वाला शब्द (देवता (इसी प्रकार 'वशंगत) (वि.) आज्ञाकारी, दूसरे की के लिए संप्र. के साथ) इन्द्राय वषट्, पूष्णे वषट् For Private and Personal Use Only