________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 908 ) आदि। सम० -कर्त (पु.) पुरोहित जो 'वषट्' रहना, पास में होना, वि-, परदेश में रहना (प्रेर०) का उच्चारण करके आहुति देता है, --कार: 'वषट् / देश निकाला देना, निर्वासित करना--भट्टि० 4 / 35, शब्द का उच्चारण करना। विप्र-, देशाटन करना, घर से बाहर जाना-रघु० वक (म्बा० आ० वष्कते) जाना, हिलना-जुलना। 12 / 11, सम- 1. रहना, निवास करना 2. साथ वष्कयः विष्क+अयन्] एक वर्ष का बछड़ा। रहना, साहचर्य करना-मनु० 4 / 79, याज्ञ० 3 / 15 / वष्कयणी, वष्कयिणी (स्त्री०) [वष्कय+नी+क्विप् ii (अदा० आ० वस्ते) पहनना, धारण करना-बसने +डीए, णत्वम्, वष्कय+इनि+ङीष, णत्वम्] वह परिधूसरे वसाना-श० 7 / 21, शि० 9 / 75, रघु० गाय जिसके बछड़े बहुत बड़े हो गये है, चिर प्रसूता, 1218, कु. 354, 79, भट्टि० ४।१०,प्रेर० ... बहुत दिनों की ब्यायी हुई। (वासयति-ते) पहनवाना, नि-, सुसज्जित करना वस् / (भ्वा० पर० वसति-कभी कभी-वसते, उषित) | -भट्टि० 157, वि-, धारण करना, पहनना-भट्टि 1. रहना, बसना, निवास करना, ठहरना, डठे रहना, 3 / 20 / वास करना (प्रायः अधि० के साथ, परन्तु कभी कभी ___jii (दिवा० पर० वस्यति) 1. सीधा होना कर्म के साथ) -धीरसमीरे यमनातीरे वसति वने 2. दृढ़ होना 3. स्थिर करना। वनमाली-गीत०५ 2. होना, विद्यमान होना, मौजूद _____iv (चुरा० उभ० वासयति-ते) 1.. काटना, होना,-वसन्ति हि प्रेम्णि गणा न बस्तुनि * कि० बाँटना, काट डालना 2. रहना 3. लेना, स्वीकार 8 / 37, यत्राकृतिस्तत्र गुणा वसन्ति, भूतिः श्रीींर्घतिः करना 4. चोट पहुंचाना, हत्या करना। कीर्तिर्वक्षे वसति नालसे---सुभा. 3. वेग से चलना, __v (चुरा० उभ० वसयति-ते) सुगन्धित करना, (समय) बिताना (कर्म के साथ), प्रेर० बसाना, सुवासित करना। आवास देना, आबाद करना-इच्छा० (विवत्सति) वसतिः, ती (स्त्री०) [ वस्+अति वा डीप् ] 1. रहना, रहने की इच्छा करना; अषि-, (कर्म के साथ) निवास करना, टिके रहना आश्रमेषु वसतिं चक्रे. 1. रहना, बसना, निवास करना, बस जाना यानि -~-मेघ० 1, 'अपना निवास स्थिर किया'-श०५।१ प्रियासहचरश्चिरमध्यवात्सम् उत्तर० 338, बाल्या- 2. घर, आवास, निवास, वासस्थान-हर्षों हर्षो हृदय-. परामिव दशा मदनोऽध्युवास-रधु० 5 / 63, 11661, वसतिः पञ्चबाणस्तु बाण:-प्रसन्न० 1122, श०२।१४ शि० 359, मेघ० 25, भट्टि. 113 2. उतरना, 3. आधार, आशय, पात्र (आलं०) कू०६।३७, इसी या अड्डे पर बैठना अनु-, (कर्म के साथ) निवास प्रकार 'विनयवसति:' 'धर्मकवसतिः' 4. शिविर, पड़ाव करना, मा-(कर्म के साथ) निवास करना, बसना 5. ठहरने और आराम करने का समय–अर्थात् -रविमावसते सतां क्रियाय विक्रम० 3 / 7, मनु० रात्रि, तस्य मार्गवशादेका बभूव वसतिर्यत:-रघु० 7 / 69 2. कार्यवाही प्रारम्भ करना-मनु० 3 / 2 15311, (वसतिः-- रात्रिः, मल्लि.) 'उसने रात को 3. व्यय करना, (समय) बिताना उप-, 1. रहना, विश्राम किया', तिस्रो वसतीरुषित्वा-७।३३, 1133.3 / ठहरना (इस अर्थ में कर्म० के साथ) 2. उपवास | वसनम् विस+ल्युट] 1. रहना, निवास करना, ठहरना रखना, अनशन करना-मनु० 2 / 220, 5420, (आलं. 2. घर, निवास स्थान 3. प्रसाधन करना, वस्त्र धारण से भी) उपोषिताभ्यामिब नेत्राम्यां पिबन्ती-दश०, करना, कपड़े पहनना 4. वस्त्र, कपड़ा, परिधान, नि-, 1. रहना, निवास करना, ठहरना-अहो कपड़े ... बसने परिधूसरे वसाना-श०७।२१, उत्संगे निवत्स्यति समं हरिणाङ्गनाभिः-श०२२७, निव- वा मलिनवसने सौम्य निक्षिप्य बीणाम् मेघ०८६, सिष्यसि मय्येव-भग० 1218 2. मौजूद होना, 41 5. करधनी, तगड़ी। विद्यमान होना,-पंच० 1231 3. अधिकार करना, | बसंतः [वस्+मच्] 1. वसंत ऋतु, बहार का मौसम बसना, अधिकार में लेना, निस्-, रह चुकना, अर्थात् (चैत्र और वैशाख यह दो मास बसंत ऋतु के होते (किसी विशेष काल) की समाप्ति तक जाना, प्रेर०- है) मधुमाधवी क्संतः-सुश्रु०, सर्व प्रिये चारुतरं निर्वासित करना, बाहर निकाल देना, देश निकाला वसन्ते---ऋतु० 6 / 2, विहरति हरिरिह सरसबसते देना,-रघु० 14167, परि- 1. निवास करना, .- गीत०१2. मूर्त या मानवीकृत वसंत जो कामठहरना 2. रात बिताना-दे० पर्यषित, प्र- 1. रहना, देव का साथी माना जाता है-सुहृदः पा वसंत निवास करना 2. विदेश जाना, यात्रा करना, घर से किं स्थितम्--कु० 4 / 27 3. पेचिस 4. चेचक, बाहर जाना, देशाटन करना-विधाय वृत्ति भार्यायाः शीतला / सम०-उत्सवः वसन्तोत्सव, वसन्त ऋतु की प्रवसेत्कार्यवान्नरः-मनु० 9 / 74, रघु०१११४, (प्रेर०)। रंगरेलियां (यह आनंदमंगल पहले चैत्र की पूर्णिमा देशनिकाला देना, निर्वासित करना प्रति-, निकट | को होली-उत्सव के अवसर पर मनाये जाते हैं), धमाल.) हरन और For Private and Personal Use Only