________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14. हाथी की झूल 15. गुण, धर्म 16. धर्मानुष्ठान / वर्णसिः [वन+असि, नुक] जल / 17. अज्ञात राशि-र्णम् 1. केसर, जाफरान 2. रंग- वर्णाटः [वर्ण+अ+अच्] 1. चित्रकार 2. गायक 3. दार उबटन या सुगन्धद्रव्य / सम० - अंका लेखबी, जो अपनी आजीविका अपनी पत्नी के द्वारा करता है, --अपसवः जातिच्यत-अपेत (वि.) जातिशून्य, स्त्रीकृताजीव / जातिच्यत, पतित-अहः एक प्रकार का लोबिया, वणिका [वर्णा अक्षराणि लेख्यत्वेन सन्त्यस्या: ठन) 1, -आगमः किसी अक्षर का जोड़ना भवेद्वर्णागमाद्धंसः अभिनेता की वेशभूषा या नकाब 2. रंग, रंगलेप --सिद्धा०,-आत्मन् (पुं०) शब्द, उदकम् रंगीन 3. स्याही, मसी 4. लेखनी, पेंसिल / सम-परिपहा पानी-- रघु० १६७०,--कूपिका दवात,-क्रमः स्वांग भरना या नकाब धारण करना- ततः प्रकरण 1. वर्ण व्यवस्था, रंगों का क्रम 2. वर्णमाला-चारकः नायकस्य मालतीवल्लभस्य माधवस्य वर्णिकापरिग्रहः चितेरा, * ज्येष्ठः ब्राह्मण, -लिः, - तूलिका,-सूली कथम्--मा० 1 / (स्त्री०) कूची, चितेरे का ब्रुश,--द (वि०) रंगसाजणित (भू० क० कृ०) वर्ण -+क्त] 1. चित्रित 2. वर्णन (-बम्) दारुहल्दी-दात्री हल्दी-दूतः पत्र,-धर्मः प्रत्येक किया गया, बयान किया गया 3. स्तुति की गई, जाति के विशिष्ट कर्तव्य,-पातः किसी अक्षर का लोप प्रशंसा की गई। हो जाना,-पुष्पम् पारिजात का फल,-पुष्पकः पारिजात, . त का फूल, पुष्पकः पारिजात, बणिन् (वि.) [वर्णोऽस्त्यस्य इनि] (समास के अंत में -प्रकर्षः रंग की श्रेष्ठता, प्रसादनम् अगर की प्रयुक्त) 1. रंग रूप वाला 2. जाति से संबंध रखने लकड़ी,--मात (स्त्री० लेखनी, पेंसिल, कूची,-मातृका वाला-पुं० 1. चित्रकार 2. लिपिकार, लेखक 3. सरस्वती, माला, राशिः (स्त्री०) अक्षरों की ब्रह्मचारी, दे० ब्रह्मचारिन्,-अथाह वर्णी-कु० 5/66, यथाक्रमसूची, वर्णमाला,-वतिः,-वर्तिका (स्त्री०) 52, वर्णाश्रमाणां गुरवे स वर्णी विचक्षणः प्रस्तुत रंग भरने की तूलिका,-विपर्ययः वर्णो का उलट फेर-- माचचक्षे-रघु० 5 / 19 4. इन चार मुख्य वर्गों में (भवेत) सिंहों वर्ण विपर्ययात-सिद्धा०, विलासिनी से किसी एक वर्ण का व्यक्ति / सम० --लिङ्गिन् हल्दी,-विलोडकः 1. सेंध लगाकर घर में घुसने (वि०) ब्रह्मचारी की वेशभूषा धारण किए हुए, या वाला 2. साहित्य चोर (शा० शब्दचोर),-वृत्तम् उसके चिल्लों को धारण करने वाला ..स वणिलिङ्गी वर्णों की गणना के आधार पर विनियमित छन्द या विदितः समाययौ युधिष्ठिरं द्वैतवने बनेचरः वृत्त (विप० मात्रावृत्त), - व्यवस्थितिः (स्त्री०) - कि० 21 / वर्णव्यवस्था, वर्णविभाग, -शिक्षा वर्णमाला सिख-णिती डीबी स्त्री र चारों वर्षों में से लाना,-श्रेष्ठः ब्राह्मण,---संयोगः एक ही वर्ण के लोगों किसी एक वर्ण की स्त्री 3. हल्दी। में विवाहसंबंध होना,--संकरः 1. अन्तर्जातीय विवाह वर्णः [+णुः नित्] सूर्य / के कारण वर्णों का सम्मिश्रण 2. रंगों का मिश्रण वर्ण्य (वि.) [वर्ण +ण्यत्] वर्णन करने के योग्य (प्रकृत -चित्रेषु वर्णसंकर:-का० (यहां, दोनों अर्थ अभिप्रेत और प्रस्तुत शब्दों की भांति यह 'वण्य' शब्द भी है) शि०१४।३७,--संघातः, - समाम्नायः वर्णमाला। __ काव्य ग्रन्थों में प्रायः प्रयुक्त होता है),-यम् केसर, वर्गक: [वर्णयति-वर्ण+ण्वल] 1. मुखावरण, नकाब जाफरान / अभिनेता की. वेशभूषा 2. चित्रकारी, चित्रकारी के [वृत्त-घा] (प्रायः समास के अन्त में) जीविका, लिए रंग-शि० 16062 3. रंगलेप या कोई उबटन वृत्ति-जैसा कि 'कल्यवर्तम' में। सम०.- जन्मन् के रूप में प्रयुक्त होने वाली वस्तु---एतैः पिष्टतमाल वर्तक (वि०) [ वृत्+ण्वुल ] जीवित, विद्यमान, वर्तमान वर्णकनिभरालिप्तमम्भोधरः -- मृच्छ० 5 / 46, भट्टि. ___..'क: 1. बटर, लवा 2. घोड़े का सुम,-कम् एक 19411 4. भाट, चारण, स्तुतिगायक 5. चन्वन | प्रकार का पीतल या कासा। (वृक्ष),-का 1. कस्तूरी 2. रंगलेप, चित्रकारी वर्तका,--की। वर्तक+टाप, डीष वा) बटेर, लवा। के लिए रंग 3. उत्तरीय वस्त्र, दुपट्टा, - कम् 1.वर्तन (वि.) [वृत+ल्युट ] 1. टिकाऊ, रहने वाला, रंगलेप, रंग, वर्ण श० 6 / 15 2. चन्दन 3. परिच्छेद, ठहरने वाला, विद्यमान 2. स्थिर,-नः ठिंगना, बौना अध्याय, प्रभाग। -नी 1. मार्ग, सड़क 2. जीना, जीवन 3. पीसना, वर्णनम् -ना वर्ण +ल्यूट] 1. चित्रकारी 2. वर्णन, चूर्ण बनाना 4. तकुआ,--नम् 1. जीना, विद्यमान आलेखन, चित्रण --स्वभावोक्तिस्तु डिभादेः स्वक्रिया- रहना 2. ठहरना, डटे रहना, निवास. करना 3. कर्म, रूपवर्णनम्--काव्य० 10 3. लिखना 4. वक्तव्य, गति, जीने का ढंग या त्रीक़ा,-- स्मरसि च तदुपाउक्ति 5. प्रशंसा, सस्ताव ( ना केवल इसी न्तेष्वावयोर्वर्तनानि--उत्तर० 1126, (यहाँ शब्द का अर्थ में)। अर्थ 'आवास या निवास' भी है) 4. जीवित रहना, For Private and Personal Use Only