________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10. (काग- कलच, ड का वृक्ष डाली, किसान, ( 875 ) लहर, झाल–करेणोत्क्षिप्तास्ते जननि विजयन्तां / भग० 2 / 35 6. फुर्ती. चुस्ती, वेग 7. क्रियाशीलता, लहरयः---गंगा० 40, इमां पीयषलहरी जगन्नाथेन दक्षता, तत्परता-हस्तलाघवम् 8. सर्वतोमुखी प्रतिभा निर्मिताम्-५३, इसी प्रकार आनन्द, तरुणा, सुधा -बुद्धिलाघवम् 9. संक्षेप, (अव्यक्ति की संक्षिप्तता) आदि / 10. (कविता में) मात्रा की कमी। ला (अदा० पर० लाति) लेना, प्राप्त करना, ग्रहण करना लाङ्गलम् [लग-+कलच, पृषो० वृद्धिः] 1. हल 2. हल की संभालना-ललुः खङ्गान्-भट्टि०१४।९२, 15:53 / शकल का शहतीर 3. ताड़ का वृक्ष 4. शिश्न, लिंग, लाकुटिक (वि.) (स्त्री०-को) [लकुटः प्रहरणमस्य ठक्] 5. एक प्रकार का फूल / सम०-ग्रहः हाली, किसान, लाठी या सोटे से सुसज्जित,-कः सन्तरी, पहरेदार -दण्डः हल का लट्ठा, हलस, ध्वजः बलराम का पंच०४। नामान्तर,-पद्धतिः (स्त्री०) खूड, हल से बनी रेखा, लाक्षकी (स्त्री०) सीता का नाम / सीता,-फालः हलकी फाली। लाक्षणिक (वि.) (स्त्री०-की) [लक्षणया बोधयति / लाङ्गलिन् (पुं०) [लागल+इनि] 1. बलराम का नाम ठक] 1. वह जो चिह्न या निशानों से परिचित हो -बन्धुप्रीत्या समरविमुखो लाङ्गली याः सिषेवे-मेष. 2. विशिष्ट, संकेतक 3. गौण अर्थ रखने वाला, गौण 49 2. नारियल का पेड़ 3. साँप / अर्थ में प्रयुक्त (शब्द आदि--- लक्षक जो वाच्य और लाङ्गलो [लाङ्गल+अच्+डोष्] नारियल का पेड़ / व्यंजक से भिन्न हो)-स्याद्वाचको लाक्षणिकः शब्दो- लागलीषा [लाङ्गल+ईषा] हलस, हल का लट्ठा / ऽत्र व्यञ्जकस्त्रिधा-काव्य० 2 4. गौण, निकृष्ट लाङ्गुलम् [लङ्ग+उलच्; बा० वृद्धिः] 1. पूंछ 2. शिश्न, 5. पारिभाषिक,-कः पारिभाषिक शब्द / लिंग। लाक्षण्य (वि०) [लक्षणं वेत्ति -त्र्य1. चिह्न संबंधी, | लागूलम् [लङ्ग् +ऊलच् पृषो०] 1. पूंछ --लागूलचाल संकेतद्योतक 2. लक्षणों का ज्ञात, लक्षण या संकेतों नमधश्चरणावपातम् .... "श्वा पिंडदस्य कुरुते-भर्त० की व्याख्या करने के योग्य / 2 / 31, 'कुत्ता पूंछ हिलाता है' 2. शिश्न, लिंग / लाक्षा [लक्ष्यतेऽनया लक्ष+अच्, पृषो० वृद्धिः] एक / | लालिन् (पुं०) [लाङ्ल+इनि] बन्दर, लंगूर / प्रकार का लाल रंग, महावर, लाख (प्राचीनकाल में | लाज, लाञ् (भ्वा० पर० लाजति, लाजति) 1. कलंक यह स्त्रियों की एक प्रसाधन सामग्री थी, वे इससे लगाना, निन्दा करना 2. भूनना, तलना। अपने पैर के तलवे तथा ओष्ठ रंगती थी, तु० 'अल | लाजः [लाज+अच्] गीला धान,-जाः (ब० व०) भुना क्तक'। कहते हैं कि वीरबहटी नामक कीड़े से अथवा हुआ, या तला हुआ घान (स्त्री० भी)-(तं) किसी विशेष वृक्ष की राल से यह रंग तैयार किया अवाकिरन्बाललता: प्रसूनैराचारलाजैरिव पौरकन्याः जाता था)-निष्ठ्यूतश्चरणोपभोगसुलभो लाक्षारस: -रघु०२।१०,४।२७, 7425, कु०७।६९, 80 / केनचित् (तरुणा)-श० 4 / 5, ऋतु० 6 / 13, कि० लाञ्छु (म्वा० पर० लांछति) 1. भेद करना, चिह्नित 5 / 23 2. 'वीरबहटी' जिससे यह रंग बनता है। करना, विशिष्ट बनना 2. सजाना, अलंकृत करना / सम-तरुः --वक्षः एक वृक्ष का नाम, पलास, ढाक लाञ्छनम् [लाञ्छ कर्मणि ल्युट्] 1.चिह्न, निशान, निशानी, ----प्रसादः,-प्रसाधनः लाल लोध्रवृक्ष, -- रक्त (वि०) विशिष्टताद्योतक चिह्न-नवाम्बुदानीकमुहूर्तलाञ्छने लाख से रंगा हुआ। (धनषि)-रघु० 3 / 53, प्रायः समास के अन्त में लाक्षिक (वि०) (स्त्री०-की) [लाक्षा---ठक्] 1 लाख 'चिह्नित' 'विशिष्टीकृत' अर्थ बतलाने के लिए-जातेऽ से संबंध रखने वाला, लाख से बना हुआ या रंगा थ देवस्य तया विवाहमहोत्सवे साहसलाञ्छनस्य हुआ 2. एक लाख (संख्या) से संबद्ध / विक्रमांक. 1012, रघु० 6 / 18, 16 / 84, इसी लाख (भ्वा० पर० लाखति) 1. सूख जाना, नीरस होना प्रकार 'श्रीकण्ठपदलाञ्छनः' मा० 1, श्रीकण्ठ' विशेषण 2. अलंकृत करना 3. पर्याप्त होना, सक्षम होना को धारण करते हुए 2. नाम, अभिधान 3. दाग, 4. प्रदान करना 5. रोकना। धब्बा, अपकीर्ति का चिह्न 4. चन्द्रमा का कलंक लागुडिक (वि.) [लगुड + ठक्] दे० 'लाकुटिक' / (काला धब्बा) कु० 7 / 35 5, सीमान्त / लाथ् (भ्वा० आ० लाघते) बराबर होना, पर्याप्त होना, | लाछित (वि०) [लाञ्छ्+क्त] 1. चिह्नित, अन्तरयुक्त, सक्षम होना। विशिष्ट 2. नामी, नामक 3. विभूषित 4. सुसज्जित / लाघवम् [लघोर्भावः अण्] 1. अल्पता, क्षुद्रता 2. लघुता, | लाट (पुं०, ब० व०) एक देश और उसके अधिवासियों हलकापन 3. अविचार, निष्फलता 4. नगण्यता का नाम-एष च (लाटानुप्रास): प्रायेण लाटजन5. अनादर, घृणा, अपमान, अप्रतिष्ठा--सेवा लाघव- प्रियत्वाल्लाटानुप्रासः-सा० द. १०,-ट: 1. लाट कारिणी कृतधियः स्थाने श्ववृत्ति विदुः-मुद्रा० 3 / 14, | देश का राजा 2. पुराने जीर्णशीर्ण वस्त्र 3. कपडे For Private and Personal Use Only