________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रहितेक लक्ष्मी:--रघु० 14186, 12 / 26 7. नायक ग्या अर्थाः-काव्य०२ 5. बहाना, झूठमठ, छपवेश की पत्नी 8. मोती. हल्दी / सम०-ईशः 1. विष्णु - इदानीं परोक्षे किं लक्ष्य सुप्तमुत परमार्थसुप्तका विशेषण 2. आम-का वृक्ष 3. समृद्ध या भाग्य- मिदं द्वयं - मच्छ० 3, 3318, कन्दर्प प्रवणमनाः शाली पुरुष,-कान्तः 1. विष्णु का विशेषण 2. राजा, सखीसिसिक्षालक्ष्येण प्रतियुवमञ्जलिं चकार-शि० ---गृहम् लाल कमल का फूल, - तालः एक प्रकार का 8 / 35, रघु० 6 / 58 6. लाख, सौ हजार / सम० ताड़ का वृक्ष,-नायः विष्णु का विशेषण,-पतिः -~-क्रम (बि०) ध्वनि आदि अर्थ जिसकी प्रणाली 1. विष्णु का विशेषण, 2. राजा-विहाय लक्ष्मीपति- (गौणरूप से) प्रत्यक्षज्ञेय है,-भेदः, वेषः निशाना लक्ष्म कार्मुकम् --कि० 1144 3. सुपारी का पेड़, लगाना--कि० ३।२७,-सुप्त (वि०) झूठमूठ सोया लॉग का वृक्ष, पुत्रः 1. घोड़ा 2. कामदेव का नामा- हुआ,-हन (वि०) निशाना मारने वाला, (0) तर,--पुष्पः लाल,---पूजनम् लक्ष्मी के पूजा करने का बाण, तीर। कृत्य (दुलहन को विवाह करके घर लाने के पश्चात् लख, लल (भ्वा० पर० लखति, लखति) जाना, हिलना दूल्हे द्वारा दुलहन के साथ मिलकर किया जाने जुलना। वाला अनुष्ठान),-पूजा कार्तिकमास की अमावस्या लग्न (म्वा० पर० लगति, लग्न) 1. लग जाना, दृढ़ के दिन किया जाने वाला लक्ष्मीपूजन (मुख्य रूप से रहना, चिपकना, जुड़ जाना-श्यामाथ हंसस्य करासाहकार और व्यापारियों के द्वारा-जिनका कि नवाप्तेर्मन्दाक्षलक्ष्या लगति स्म पश्चात्-नै० 38, वाणिज्यवर्ष, आज के दिन समाप्त होकर नया वर्ष गमनसमय कण्ठे लग्ना निरुध्य माम-मा० 3 / 2 आरम्भ होता है),-फल: बिल्व वृक्ष, रमणः विष्णु 2. स्पर्श करना, संपर्क में आना-कर्णेलगति चान्यस्य का विशेषण,-वसतिः (स्त्री०) 'लक्ष्मी का निवास' प्राणरन्यो वियुज्यते--पंच० 12305, यथा यथा लाल कमल का फूल,-वारः बृहस्पतिवार, वेष्टः लगति शीतवातः--मृच्छ०, 5 / 11 3. स्पर्श करना, तारपीन,-सखः लक्ष्मी की कृपा का पात्र,-सहजः, प्रभावित करना, लक्ष्य स्थान तक जाना--विदितेङ्गिते -सहोदरः चन्द्रमा के विशेषण / हि पुर एव जने सपदीरिताः खल लगन्ति गिरः लक्मीवत् (वि.) [ लक्ष्मी+मतप, वत्वम् ] 1. सौभाग्य- -शि० 9 / 69 4. मिल जाना, सम्मिलित होना, शाली, किस्मत वाला, अच्छे भाग्य वाला 2. दौलत- (रेखा आदि) काटना 5. ध्यानपूर्वक अनुसरण करना, मंद, धनवान्, समृद्धिशाली 3. मनोहर, प्रिय, अनुघटित होना, बाद में घटित होना,--अनावृष्टिः सुन्दर। संपद्यते लग्ना-पंच०१ 6. नियुक्त करना, अटकाना, लक्ष्य (सं० कृ०) [लक्ष्+ण्यत् 11. देखने के योग्य, (किसी को) धन्धे में लगाना-तत्र दिनानि कतिअवलोकन करने योग्य, दृश्य, अवेक्षणीय, प्रत्यक्ष चिल्लगिष्यन्ति-पंच० 4, 'मुझे कुछ दिन वहाँ लग जानने के योग्य-दुर्लक्ष्यचिह्ना महतां हि वृत्ति:-कि० जायंगे', अव-, जुड़ जाना, चिपक जाना-रघु० 1723 2. संकेतित या अभिज्ञेय (करण के साथ 16668, आ-, जमे रहना,--काव्या० 3150, या समास में)-दूराल्लक्ष्यं सुरपतिधनुश्चारुणा तोर वि-चिपकना, लग जाना, जुड़ जाना। णेन-मेघ०७५, प्रवेपमानाघरलक्ष्यकोपया -कु० 5 / ii (चुरा० उभ०-लागयति-ते) 1. स्वाद लेना 74, रघु० 45, 760 3. ज्ञातव्य या प्राप्य, सुराग 2. प्राप्त करना / लगाने योग्य-कु० 5 / 72, 81 4. चिह्नित या लगड (वि.) लग्+अलच, डलयोः ऐक्यात् ड:] प्रिय, चित्रित किया जाना 5. परिभाषा के योग्य 6. उद्दिष्ट मनोहर, सुन्दर / किये जाने योग्य 7. अभिव्यक्त किया जाना या परोक्ष लगित (भू० क. कृ०) [लग+क्त] 1. जुड़ा हुआ, रूप से प्रकट किया जाना 8. खयाल किये जाने योग्य, चिपका हुआ 2. संबद्ध, अनुसक्त 3. प्राप्त, उपलब्ध। चिन्तनीय,-क्ष्यम् 1. उद्देश्य, निशाना, चिह्न, लगुड़ः, लगुरः, लगुलः [लग+ उलच्, पक्षे लस्य ड:, रः चांदमारी, उर्दिष्ट चिह्न, (आलं० से भी) वा] मुद्गर, छड़ी, लाठी, सोटा। -उत्कर्षः स च धन्विनां यदिषवः सिध्यन्ति लग्न (भू० क० कृ०) [लग्+क्त] 1. जुड़ा हुआ, चिपका लक्ष्ये चले-श० 215, दृष्टि लक्ष्येषु बध्नन् हुआ, सटा हुआ, दृढ़ थामा हुआ-लताविटपे एका-मुद्रा० 12, रघु०११६१, 6 / 11, 9/67, कु० 3147, वली लग्ना-विक्रम० 1 2. स्पर्श करना, संपर्क में 64, 5 / 49 2. निशान, निशानी 3. वस्तु जिसकी आना 3. अनुषक्त, संबद्ध 4. चिपटा हुआ, जुड़ा हुआ, परिभाषा की गई है (विप० लक्षण)-लक्ष्यैकदेशे साथ लगा हुआ 5. काटना, (रेखा आदि का) लक्षणस्यावर्तनमव्याप्तिः-तर्क. 4. परोक्ष या गोण मिलाना 6. ध्यानपूर्वक अनुसरण करना, आसन्न या मर्थ जो लक्षणा शक्ति से प्रतीत हों,-बाच्यलक्ष्यव्यं-] निकटवर्ती 7. व्यस्त, काम में लगा हुआ 8. शुभ HTTER For Private and Personal Use Only