________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 867 ) (दे० लग), न: 1. भाट, चारण 2. मदोन्मत्त हाथी, / अधम, निंद्य, तिरस्करणीय - शि० 9 / 26, पंच०१॥ -~-ग्नम् 1. संपर्क बिन्दु, मिथश्छेदन-बिदु, वह बिन्दु 106 6. अशक्त, दुर्बल 7. ओछा, मन्दबुद्धि जहाँ कि क्षितिज और क्रान्ति-वृत्त या ग्रहपथ मिलते ___8. फुर्तीला, चुस्त, चपल, स्फूर्त श० 25 9. - तेज, हैं 2. क्रान्ति वृत्त का बिन्दु जो एक समय क्षितिज द्रुतगामी, त्वरित--किंचित् पश्चात् व्रज लघुगतिः या याम्योतर-रेखा पर होता है 3. वह क्षण जिसमें -- मेघ० 16, रघु० 5 / 45 10. सरल, जो कठिन सूर्य का प्रवेश किसी राशि विशेष में होता है न हो-रघु० 12166 11. सुलभ, सुपाच्य, हलका 4. बारह राशियों की आकृति 5. शुभ या सौभाग्य प्रद (भोजन) 12. ह्रस्व (जैसे कि छन्दः शास्त्र में स्वर) क्षण 6. (अतः) कार्यारंभ का उचित समय / सम० 13. मदु, मन्द, कोमल 14. सुखद, रुचिकर, वांछनीय -अहः, --दिनम्, दिवसः, ---वासरः, शुभदिन ज्योति- - रघु० 11112 80 15. प्रिय, मनोहर, सुन्दर षियों द्वारा (विवाहादि संस्कार के लिए) बताया 16. विशुद्ध, स्वच्छ अव्य० 1. हलकेपन से, क्षुद्रभाव गया शुभ समय, नक्षत्रम् शुभ नक्षत्र,--मण्डलम् से, अनादरपूर्वक 2. शीघ्र, फुर्ती से, लघु लघुत्थिता राशिचक्र,--मासः शुभ महीना,---शुद्धिः (स्त्री.) ----श० 4, सवेरे उठा हुआ', (नपुं०) 1. काला अगर, किसी धर्मकृत्य के अनुष्ठान के लिए बताये गये या विशेष प्रकार का अगर 2. समय की विशेष माप। मुहूर्त की मांगलिकता। सम०----आशिन्,-आहार (वि.) थोड़ा खाने वाला, लग्नकः [ लग्न+कन् ] प्रतिभू, जमानत, वह जो जमानत मितभौजी, मिताहारी,---उक्तिः (स्त्री०) अभिव्यक्ति करे / का संक्षिप्त प्रकार,---उत्थान,- समुत्थान (वि.) लग्निका [लग्न+कन+टाप, इत्वमा निग्निका' का फुर्तीला, द्रुतगति से कार्य करने वाला,काय (वि.) अपभ्रंश रूप, दे० / हलके शरीर वाला, (यः) बकरा,-क्रम (वि०) शीघ्र लघयति (ना० धा० पर०) 1. हलका करना, भार कम पग रखने वाला, जल्दी चलने वाला,-खविका खटोला, करना (शा०)-नितान्तगुर्वी लघयिष्यता धुरम्-रघु० छोटी खाट,---गोधूमः छोटी जाति का गेहूँ,-चित्त, 13135 2. कम करना, घटाना, धीमा करना, न्यून - चेतस्,----मनस्,-हृदय (वि.) 1. हलके मन वाला, करना--विक्रम० 3 / 13, रघु० 11162 3. तुच्छ नीचहृदय, क्षुद्रमन का, कमीने दिल का 2. मन्दबुद्धि समझना, तिरस्कार करना, घृणा करना-कि० 2 / 18, 3. चंचल, अस्थिर,-जङ्गल: लवा पक्षी,- द्राक्षा बिना महत्त्वहीन या नगण्य समझना--कि० 5 / 4, 13138 / बीज का अंगूर, किशमिश, ब्राविन् (वि०) अनायास लधिमन् (पुं०) [लधु+इमनिच् ] 1. हलकापन, भार का पिघल जाने वाला,-पाक (वि०) सुपाच्य,-पुष्पः अभाव 2. लघुता, अल्पता, नगण्यता 3. तुच्छता, एक प्रकार का कदंब का वृक्ष,--प्रयत्न (वि०) 1. (वर्ण ओछापन, नीचता, कमीनापन-मानुषतासुलभो लघिमा आदि) थोड़े से जिह्वाव्यापार से उच्चरित 2. निठल्ला, प्रश्नकर्मणि मां नियोजयति-का० 4. नासमझी, आलसी,-बदरः,-बदरी (स्त्री०) एक प्रकार का छिछोरपन 5. इच्छानुसार अत्यंत लघु हो जाने की बेर,... भवः नीच योनि या क्षेत्र घर में जन्म,-भोजनम् अलौकिक शक्ति, आठ सिद्धियों में से एक / हलका भोजन,-मांसः एक प्रकार का तीतर,-मूलम् लधिष्ठ (वि.) [अयमेषामतिशयेन लघः-इष्ठन् ] हलके समीकरण की राशि का न्यूनतर मूल,--मूलकम् मूली, से हलका, निम्नतम, अत्यंत हलका ('लघु' शब्द की -लयम् एक प्रकार सुगन्धित जड़, खस, वीरणमूल, उ० अ०)। ---- वासस् (वि०) हलके और निर्मल वस्त्र धारण लघीयस् (वि.) [ अयमनयोः अतिशयेन लघुः - ईयसुन् ] करने वाला,--विक्रम (वि०) तेज कदम वाला, शीघ्र अपेक्षाकृत हलका, निम्नतर, बहुत हलका ('लघु' पग उठाने वाला, वृत्ति (वि.) 1. बदचलन, नीच, शब्द की उ० अ०)। दुष्ट 2. क्षुद्र, मंदबुद्धि, कुव्यवस्थित, दुर्वत्त,-वेषिन् लघु (वि०) (स्त्री०-घु,---घ्वी) [लधेः कुः नलोपश्च ] (वि०) बारीक निशाना लगाने वाला, हस्त (वि.) 1. हलका, जो भारी न हो---तणादपि लघुस्तूलस्तू- ----स्तः (वि.) 1. हलके हाथ का, चतुर, दक्ष, विशेलादपि च याचकः-सुभा०, रिक्तः सर्वो भवति हि षज्ञ रघु० 9 / 63 2. सक्रिय, फुर्तीला, (स्तः) लघुः पूर्णता गौरवाय--मेघ० 20 (यहाँ शब्द का विशेषज्ञ या कुशल धनुर्धर / / अर्थ 'तिरस्करणीय' भी है) रघु० 9 / 62 2. तुच्छ, लघुता, त्वम् [लघु+तल+टाप् लघु+त्व वा] अल्प, न्यून--पंच० श२५३, शि० 9 / 38, 78 1. हलकापन, ओछापन 2. छोटापन, थोड़ापन 3. नग3. ह्रस्व, संक्षिप्त, सामासिक - लघुसंदेशपदा सरस्वती प्यता, महत्त्वहीनता, तिरस्कार, मर्यादा का अभाव ----रघु० 877 4. क्षुद्र, तृणप्राय, नगण्य, महत्त्वहीन -~~-इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितंर्गुणः 4. अप--- कायस्थ इति लघ्वी मात्रा-मुद्रा० 1 5. नीच, मान, निरादर-पंच० 1 / 140, 353 5. क्रिया मस एका For Private and Personal Use Only