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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लक्षणम | लक्ष्यतेऽनेन-लक्ष करणे त्यट ] 1. चिह्न, निशानी, 1. सारस 2. सुमित्रा नामक पत्नी से उत्पन्न दशरथ निशान, संकेत, विशेषता, भेद बोधक चिह्न, वधुदुकलं का एक पुत्र (बचपन से ही लक्ष्मण राम में इतना कलहंसलक्षणम्---कु० 5 / 07, अनारंभी हि कार्याणां अधिक अनुरक्त था कि वह उसकी वनयात्रा में जाने प्रथमं बुद्धिलक्षणम् - सुभा० अव्याक्षेपो भविष्यन्त्याः को तैयार हो गया। राम के चौदह वर्ष के निर्वासन कार्यसिद्धेहि लक्षणम्-रघु० 10 // 6, 19647, गर्भलक्षण काल में घटित घटनाओं में लक्ष्मण का बड़ा हाथ था। --श० 5, पुरुषलक्षणम्, वीर्यवत्ता का चिह्न या पुंस्त्व- लङ्का के युद्ध में उसने कई बलवान् राक्षसों को, विशेष द्योतक इन्द्रिय 2. (रोग का) लक्षण 3. विशेषण, कर रावण के पुत्रों में अत्यंत शक्तिशाली मेघनाद को खूबी 4. परिभाषा, यथार्थ वर्णन 5. शरीर पर भाग्य- मार डाला। सबसे पहले तो स्वयं लक्ष्मण ही मेघनाद सूचक चिह्न (यह गिनती में 32 हैं)-द्वात्रिशल्लक्षणो- की शक्ति का शिकार हुआ, परन्तु हनुमान द्वारा लाई पेतः 6. (शुभाशुभ भाग्य का सूचक) शरीर पर बना गई संजीवन बूटी के उपयोग से सुषेण वैद्य ने उसे फिर कोई चिह्न - क्व तद्विधस्त्वं क्व च पुण्यलक्षणा -..कु. जीवित कर दिया। एक दिन काल साधु के वेश में 5337, क्लेशावहा भर्तुरलक्षणाहम्--रघु० 1415 राम के पास आया और कहा कि "जो कोई उनको 7. नाम, पद, अभिधान (प्राय: समास के अन्त में) एकान्त में वार्तालाप करते हुए कभी देख ले तो तुरन्त -विदिशालक्षणां राजधानीम-मेघ०२५, नै०२२१४१ उसका परित्याग किया जाना चाहिए" यह बात मान 8. श्रेष्ठता उत्कर्ष, अच्छाई जैसा कि 'आहितलक्षण ली गई। एक बार लक्ष्मण ने राम व सीता की -रघु० 671 में (यहाँ मल्लि० इस शब्द का अनुवाद एकान्तता में भंग डाल दिया, फलतः लक्ष्मण ने अपने करता है 'प्रख्यातगुण' और अमर० का उद्धरण -- गुण: भाई राम के बचन को 'स्वयं सरय में छलांग लगा कर प्रतीते तु कृतलक्षणाहितलक्षणी-देता है) 9. उद्देश्य, सत्य सिद्ध करके दिखा दिया (दे० रघु० 15192-5, क्रियाक्षेत्र या लक्ष्य, ध्येय 10. (कर आदि का) निश्चित उस का विवाह ऊर्मिला से हुआ, तथा अंगद और चन्द्र भाव-मनु० 85405 11. रूप, प्रकार प्रकृति 12. कर्त- केतु नामक दो पुत्र हुए), –णा हंसिनी,-णम् 1. नाम व्यनिर्वाह, कार्यप्रणाली 13. कारण, हेतु 14. सिर, शीर्षक, अभिधान 2. चिह्न, संकेत, निशानी। सम-प्रसूः विषय 15. बहाना, छप्रवेश (--लक्ष) --प्रसुप्तलक्षणः लक्ष्मण की माता सुमित्रा। -मा०७,-णः सारस,-णा 1. उद्देश्य, ध्येय 2. (अलं० लक्ष्मन (पं०) [ लक्ष+मनिन् ] 1. चिह्न, निशान, में) शब्द का परोक्षप्रयोग या गोण सार्थकता, शब्द की निशानी, विशेषता-शि० 1130, कि० 11128, एक शक्ति, इसकी परिभाषा इस प्रकार है :-मुख्यार्थ 14 / 64, रघु० 10130 कु. 7543 2. चित्ती, धब्बा वाधे तद्योगे रूढितोऽथप्रयोजनात, अन्योऽर्थो लक्ष्यते -मलिनमपि हिमांशोर्लक्ष्म लक्ष्मी तनोति-श० 1120, यत्सा लक्षणारोपितक्रिया: --काव्य० 2, दे० सा० द० मा० 9 / 25 3. परिभाषा -पुं० 1. सारस पक्षी, 13 भी 3. हंस। सम० अन्वित (वि.) शुभलक्षणों 2. लक्ष्मण का नामान्तर / से युक्त,-ज (वि.) (शरीर पर विद्यमान) चिह्नों की व्याख्या करने में सक्षम,-भ्रष्ट (वि.) अभागा, लक्ष्मीः (स्त्री०) [ लक्ष+ई, मुट+च ] 1. सौभाग्य, दुर्भाग्यग्रस्त, लक्षणा-जहल्लक्षणा, दे०,-संनिपातः समृद्धि, धनदौलत --सा लक्ष्मीरुपकुरुते यया परेषाम्दाग लगाना, कलंकित करना / कि० 8118, तृणमिव लघुलक्ष्मी व तान् संरुणद्धि ---- भर्तृ० 2 / 17 2. सौभाग्य, अच्छी किस्मत 3. सफलता, लक्षण्य (वि०) [ लक्षण+-यत् ] 1. चिह्न का काम देने सम्पन्नता–उत्तर० 2 / 18 4. सौन्दर्य, प्रियता, बाला 2. अच्छे लक्षणों से युक्त। अनुग्रह, लावण्य, आभा, कान्ति-मलिनमपि हिमांशोलक्षशस् (अव्य०) [लक्ष-|-शस् ] लाख-लाख करके अर्थात् लक्ष्म लक्ष्मीं तनोति -- श० 1120, मा० 9 / 25, बड़ी संख्या में। 5 / 39, 52, 9 / 2, कु० 3 / 49 5. सौभाग्यदेवी, लक्षित (भू० क० कृ०) [लक्ष-+क्त] 1. दुष्ट, अवलोकित समृद्धि, सौन्दर्य, लक्ष्मी विष्णु की पत्नी मानी जाती चिह्निा, निगाह डाली गई 2. प्रकट किया गया, है (देवासुरों द्वारा अमृत प्राप्ति के लिए समुद्रमंथन सकेतित 3. चरित्रचित्रित, चिह्नित, अन्तर बताया गया किये जाने पर अन्य मूल्यवान् रत्नों के साथ लक्ष्मी 4. परिभापित 5. उद्दिष्ट 6. परोक्ष रूप से अभिव्यक्त भी समुद्र से निकली)-इयं गेहे लक्ष्मी : * उत्तर०११३८, संकेतित, इशारा किया गया 7. पूछताछ की गई, राजकीय या प्रभुशक्ति, उपनिवेश, राज्य (यह बहुधा परीक्षित / रानी की सपत्नी के रूप में मानी जाती है, और लक्ष्मण (वि०) [लक्ष्मन् + अण्, न वृद्धिः ] 1. चिह्नों से राजा की रानी के रूप में इसका मर्तवर्णन किया युक्त 2. शुभलक्षणों से युक्त, सौभाग्यशाली, अच्छी जाता है)-तामेकभार्यां परिवादभीरोः साध्वीमपि किस्मत वाला 3. समृद्धिशाली, फलता-फूलता –णः | त्यक्तवतो नुपस्य, वक्षस्यसंघट्टसुखं वसन्ती रेजे सपत्नी For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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