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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 864 ) जंगली,-: 1. रुद्र का उपासक 2, गर्मी, उत्कण्ठा, भयानक 3. जालसाजी से भरा हुआ, बेईमान, --वः सरगर्मी, जोश, मन्यु या भीषणता का मनोभाव ..दे० 1. बर्बर 2. एक नरक का नाम-मनु० 4 / 88 / सा० द० 232 या काव्य० ४,--ब्रम् 1. क्रोध, कोप | रोहिण: रोहिण-+-अण] 1. चन्दन का वृक्ष 2. वटवृक्ष / 2. उग्रता, भीषणता, बर्बरता 3. गर्मी, उष्णता, रौहिणेयः [रोहिणी+ढक्] 1. बछड़ा 2. बलराम का सूर्यताप। नामांतर 3. बुधग्रह,--- यम् पन्ना, मरकतमणि / रौप्य (वि०) रूप्य+अण्] चाँदी का बना हुआ, चाँदी, | रोहिषु (पुं०) एक प्रकार का हरिण / चाँदी जैसा,-प्यम् चाँदी। रौहिषः [रुह +टिषच्, घातोश्च वृद्धिः] दे० 'रोहिष',-षम् रौरव (वि० (स्त्री०-बी) [रुरु-अण] 1. 'रुर' मग की एक प्रकार का घास / खाल का बना हुआ---रधु० 3 / 31 2. डरावना, | लः [ली-|-ड] 1. इन्द्र का विशेषण 2. (छन्द 0 में) लघु, . मत्कुक्षेरद्य भोजनम्--रघु० 15 / 18, उप-, ह्रस्व मात्रा 3. पाणिनि द्वारा प्रयुक्त (दस लकारों के | 1. देखना, अवलोकन करना, निगाह डालना, अंकित लिए) परिभाषिक शब्द, जो दस काल तथा अवस्थाओं करना,सम्यगपलक्षितं भवत्या-श० 3 2. अंकित को प्रकट करते हैं। करना, चिह्न लगाना- याज्ञ० 130, 1151 लक् (चुरा० उभ० लाकयति-ते) 1. स्वाद लेना 2. प्राप्त | 3. प्रकट करना, मनोनीत करना 4. अतिरिक्त उपकरना। लक्षित होना, वस्तुतः अभिव्यक्त की अपेक्षा अधिक लकः (लक- अच्] 1. मस्तक 2. जंगली चावलों की सम्मिलित करना-नक्षत्रशब्देन ज्योतिःशास्त्रमुपबाल। लक्ष्यते -- मन० 3 / 162 पर कुल्लू० 5. मनन करना, लकचः, लकुचः [लक+अचन्, उचन् वा] बडहर का पेड़, विचारकोटि में लाना 6. खयाल करना, मानना, -चम् बडहर का फल / वि.--, 1. अवलोकन करना, ध्यान देना, देखना लकुटः [लक+उटन् ] मद्गर, सोटा। 2. चरित्रचित्रण करना, अन्तर प्रकट करना 3. व्याकुल लक्तकः लक+क्त+कन्, रक्त+के+क, रस्य लत्वं वा] / होना, चकित होना, घबरा जाना---निर्व्यापारविल____ 1. लाख, महावर 2. चिथड़ा, जीर्ण कपड़ा। क्षितानि सान्त्वय बलानि--उत्तर०६, सम्--, 1. अवलक्तिका लक्तक+टाप, इत्वम] छिपकली / लोकन करना, प्रत्यक्ष करना, देखना, ध्यान देना लक्ष i (भ्वा० आ० लक्षते, लक्षित) प्रत्यक्ष करना, --आश्चर्यदर्शन: सलक्ष्यते मनुष्यलोकः, - श० 7, समझना, अवलोकन करना, देखना / संलक्ष्यते न छिदुरोऽपि हारः- रघु०१६।९२, 'ध्यान i (चुरा० उभ० लक्षयति - ते, लक्षित) 1. देखना, नहीं दिया जाता या ज्ञात नहीं होता' 8142 अवलोकन करना, निरखना, ज्ञात करना, प्रत्यक्ष 2. परीक्षण करना, सिद्ध करना, निर्धारित करना करना--आर्यपुत्रः शून्यहृदय इव लक्ष्यते ... बिक्रम -हेम्नः संलक्ष्यते हग्नौ विशुद्धिः श्यामिकाऽपि वा 2, रघु० 9/72, 167 2. चिह्न लगाना, प्रकट ----रघु० 1110 3. सुनना, जानना, समझना करना, चरित्रचित्रण करना, संकेत करना सर्वभूत- 4. चरित्रचित्रण करना, भेद बताना। प्रसूतिहि बोजलक्षणलक्षिता---मन्० 9 / 35 3. परि- लक्षम् [लक्ष्+अच्] 1. सौ हजार (इस अर्थ में पुं० भी), भाषा करना-इदानीं कारणं लक्षयति--आदि -इच्छति शती सहस्रं सहस्री लक्षमीहते-सुभा०, त्रयो 4. गौण रूप से संकेत करना, गौण अर्थ में सार्थक लक्षास्तु विज्ञेया:-याज्ञ. 3 / 102 2. चिह्न, चाँदमारी, करना ....यथा गंगा शब्दः स्रोतसि सवाध इति तटं लक्ष्य, निशाना-प्रत्यक्षवदाकाशे लक्षं बध्वा----मद्रा. 1 लक्षयति तद्वत् यदि तटेऽपि सबाधः स्यात्तत्प्रयोजनं 3* निशान, निशानी, चिह्न 4. दिखावा, बहाना, जाललक्षयेत् काव्य०२, अत्र गोशब्दो शहीकार्थ लक्षयति साजी, छद्मवेश, जैसा कि 'लक्षसुप्तः' में 'झूठमूठ सोया -सा. द०२ 5. लक्ष्य करना 6. खयाल करना, / हुआ। मम०-अधीश: लाखों की सम्पत्ति का स्वामी / आदर करना, सोचना, अभि , अंकित करना, देखना, लक्षक (वि.) [लक्ष वल अप्रत्यक्षरूप से सूचित करने आ-, देखना, प्रत्यक्ष करना, अवलोकन करना-- | वाला, गौण रूप से अभिव्यक्त करने वाला, --कम् आलक्ष्य दन्तमकुलान-श०७।१७, नातिपर्याप्तमालक्ष्य सौ हजार, एक लाख / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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