________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 861 ) है) 3. कोई भी दृश्य पदार्थ या वस्तु 4. मनोहर रूप | रूपणम् [रूप+ल्युट] 1. सारोप वर्णन या आलंकारिक या आकृति, सुन्दर सूरत, सौन्दर्य, लावण्य, लालित्य वर्णन 2. गवेषण, परीक्षा / -मानुषीषु कथं वा स्यादस्य रूपस्य संभवः--श० 1 / रूपवत् (वि०) [रूप+मतुप, वत्वम्] 1. रंगरूप वाला 26, विद्या नाम नरस्य रूपमधिकम्-भर्त० 2020, 2. शारीरिक, दैहिक 3. सशरीर 4. मनोहर, सुन्दर, रूपं जरा हन्ति आदि 5. स्वाभाविक स्थिति या दशा, -ती सुन्दरी स्त्री। प्रकृति, गुण, लक्षण, मूलतत्त्व 6. ढंग, रीति 7. चिह्न | रूपिन् (वि.) [रूप+ इनि] 1. के सदृश दिखाई देने चेहरा-मोहरा 8. प्रकार, भेद, जाति 9. प्रतिबिम्ब, वाला 2. सशरीर, मूर्तिमान् 3. सुन्दर / प्रतिच्छाया 10. सादृश्य, समरूपता, 11. नमूना, रूप्य (वि.) [रूप+यत् सुन्दर ललित,- प्यम् 1. चांदी प्रकार, बनत 12. किसी क्रिया या संज्ञा का व्युत्पन्न 2. चाँदी (या सोने) का सिक्का, मुद्रांकित सिक्का, रूप, विभक्ति या लकार के चिह्न से युक्त रूप, रुपया 3. शुद्ध किया हुआ सोना / 13. 'एक' की संख्या, गणित की एक इकाई 14. पूर्णांक रुष / (भ्वा० पर० रूपति, रूषित) 1. अलंकृत करना, 15. नाटक, खेल, दे० रूपक 16. किसी ग्रंथ को बार सजाना 2. पोतना, चपड़ना, मण्डित करना, लीपना बार पढ़ कढ़ कर या कंठस्थ करके पारंगत होने (मिट्टी आदि से)। की क्रिया 17. मवेशी 18. ध्वनि, शब्द, (रूप का . (चुरा० उभ० रूषयति-ते) 1. कांपना 2. फट प्रयोग बहुधा समास के अन्त में होता है यदि निम्नां- जाना। कित अर्थ हो—बना हुआ' 'से युक्त' 'के रूप में | रूषित (भू० क० कृ०) [रूष्+क्त] 1. अलंकृत 2. पोता 'नामत:' 'सूरत शक्ल में'- तपोरूपं धनं धर्मरूप: हुआ, ढका हुआ, बिछाया हुआ 3. मिट्टी में लथेडा सखा) / सम० अधिबोधः ज्ञानेन्द्रियों द्वारा किसी हुआ 4. खुरदरा, ऊबड़ खाबड़ 5. कूटा हुआ, चूर्ण पदार्थ के रंग रूप का प्रत्यक्ष करना, अभिग्राहित किया हुआ। (वि०) काम करते हुए पकड़ा गया, मौके पर पकड़ा | रे (अव्य०)[रा+के] संबोधनात्मक अव्यय-रे रे शंकरगया,--आजीवा वेश्या, रंडी, गणिका,--आश्रयः अत्यंत गहाधिवासिनो जानपदाः --मा० 3 / सुन्दर व्यक्ति, इन्द्रियम् आँख, रंगरूप को प्रत्यक्ष खालिख+ अच् + टापु, लस्य र] 1. लकीर, घारी, करने वाली इन्द्रिय, उच्चयः ललित रूपों का समूह मदरेखा, दानरेखा, रागरेखा आदि 2. लकीर की श० २।९,-कारः,---कृत् (पुं०) मूर्तिकार, शिल्पी, माप, अल्पांश, लकीर इतना-न रेखामात्रमपि व्यतीयुः --- तत्त्वं अन्तहित गुण, मूलतत्त्व, धर (वि.) - रघु० 1117 3. पंक्ति, परास, लकीर, श्रेणी रूप धरे हए, छद्मवेषी, नाशनः उल्लू,--- लावण्यम् 4. आलेखन, रूपरेखा, चित्रांकन लावण्यं रेखया रूप की उत्कृष्टता, चारुता, विपर्ययः विरूपण, किचिदन्वितं-श०६।१४ 5. भारतीय ज्योतिषियों शारीरिक रूप में विकृत परिवर्तन, - शालिन् (वि०) की प्रथम याम्योत्तर रेखा जो लंका से उज्जैन होते सुन्दर, --- संपद्, संपत्तिः (स्त्री०) रूप की उत्कृष्टता, हए मेरु पर्वत तक खिची हुई है 6. पूर्णता, सन्तोष सौन्दर्य की वृद्धि, सौन्दर्यातिरेक / 7. वोखा, जालसाजी / सम-अंशः रेखांश, द्राधिमांश रूपक: [ रूप-1-ण्वुल, रूप---कन् वा ] विशेष सिक्का, के घात, देशान्तरीय घात,-अन्तरम् प्रथम याम्योत्तर रुपया,-कम् 1. शक्ल, आकृति, सूरत, (समास के रेखा से पूर्व या पश्चिम की दूरी, किसी स्थान का अन्त में) 2. कोई वर्णन या प्रकटीकरण 3. चिह्न, देशान्तर,---आकार (वि०) परम्परा प्राप्त, रेखामय, चेहरा-मोहरा 4. प्रकार, जाति 5, नाटक, खेल नाट्य धारीदार, -गणितम् ज्यामिति / कृति (नाट्य रचनाओं के प्रमुख दो भेदों में से एक, रेच दे० 'रेचक' / दश्य, इसके फिर आगे दस भेद हैं, इसके अतिरिक्त रेचक (वि०) (स्त्री-चिका) [रेचयति रिच---णिच इसके और अवान्तर भेद है जो गिनती में अठारह है +ण्वुल] 1. रिक्त करने वाला, निर्मल करने वाला तथा 'उपरूपक' नाम से विख्यात है)-दृश्यं तत्राभि- 2. दस्तावर, मुलय्यन (मल को ढीला करने वाला) नेयं तद्पारोपात्तु रूपकम् ---सा० द० 272, 273 3. फेफड़ों को खाली करने वाला, श्वास को बाहर 6. (अले. में) अंग्रेजी के मैटाफर (metaphor) के फेंकने वाला,-क: 1. श्वास का बाहर निकालना अनुरूप एक अलंकार जिसमें उपमेय को उपमान के ठीक बहिःश्वसन, निःश्वसन विशेष कर एक नथने से समनुरूप वणित किया जाता है-तपकमभेदो य उपमा (विप० पूरक अर्थात् अन्तः श्वसन, सांस अन्दर ले नोपमेययोः-काव्य०१० (विवरण के लिये देखो यही जाना और कुम्भक, श्वास को जहां का तहाँ रोकना) स्थान) 7. एक प्रकार का तोल / सम-साल: संगीत 2. वस्तियन्त्र या पिचकारी 3. जवाखार, शोरा, में विशेष-समय,-मावः आलंकारिक या रूपकोक्ति / ---- कम दस्तावर, विरेचन / For Private and Personal Use Only