________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 850 ) के योग से बनने वाली औषधियों के तैयार करने / खुशी मनान वाला, प्रसन्नता अनुभव करने वाला, वाला वैद्य, (-सा) जिह्वा,----भामि० 2 / 59, तेजस् भक्त (प्रायः समास में)-इयं मालती भगवता सदश(नपुं०) रुधिर -----: वैद्य,-धातु (नपुं०) पारा, संयोगरसिकेन वेधसा मन्मथेन मया च तुभ्यं दीयते ---प्रबन्धः कोई भी काव्यरचना, विशेष कर नाटक, -मा०६, इसी प्रकार 'कामरसिक:'-भर्तृ०३।११२, --फल: नारियल का पेड़,- भङ्गः रस का टूट जाना परोपकाररसिकस्य-मच्छ० ६३१९,-क: 1. रसिया, या अवरोध,- भवम् रुधिर, राजः पारा, विक्रयः गुणग्राही, सहृदय पुरुष तु० अरसिक 2. स्वेच्छाचारी मदिरा की बिक्री, शास्त्र रससिद्धि का विज्ञान, 3. हाथी 4. घोड़ा, --का 1. ईख का रस, राब, मींझा -सिब (वि.) 1. काव्य-सम्पन्न, रसवेत्ता-जयन्ति ते 2. जिह्वा 3. स्त्रियों की करधनी-दे० 'रसाला' भी। सुकृतिनः रससिद्धाः कवीश्वराः-भर्त० 2 / 24 2. रस- | रसित (भू० क० कृ०) [ रस्+क्त] 1. चखा हुआ सिद्धि म कुशल,-सिदिः (स्त्री०) रससिद्धि में 2. रस या मनोभाव से युक्त 3. मुलम्मा चढ़ा हुआ, कुशलता। .... तम् 1. शराब या मदिरा 2. अंदन, दहाड़, गरज, रसनम् [ रस्+ल्युटु ] 1. क्रन्दन करना, चिल्लाना, चिंघाड़, कोलाहल, शोर-हेरम्बकण्ठरसितप्रतिमानमेति चिंघाड़ना, शोर मचाना, टनटन करना, कोलाहल ---मा०९।३। करना 2. बादलों की गड़गड़ाहट, बादलों की गरज | रसोनः [रसेनकेन ऊनः] लहसुन .. तु० लशुन / 3. स्वाद, रस 4. स्वाद लेने की इन्द्रिय, जिह्वा रस्य (वि.) [ रस+यत् ] रसवाला, मजेदार, सुस्वादु, -इन्द्रियं रसग्राहक रसनं जिह्वाग्रवर्ति–तर्क०, भग० रुचिकर --रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः 15 / 9 5. प्रत्यक्षीकरण, गुणागुणविवेचन, ज्ञान-सर्वे सात्त्विकप्रियाः - भग० 17 / 8 / ऽपि रसनादसा:—सा० द० 244 / रह (भ्वा० पर०, चुरा० उभ० रहिति, रयति-ते, रसना दे० रशना। सम--रवः पक्षी,-लिह (पुं०) रहित) छोड़ देना, त्याग देना, परित्याग करना, कुत्ता / तिलांजलि देना, छोड़कर अलग हो जाना.....रहयत्या. रसवत् (वि.) [ रस+मतुप ] 1. रसेदार, रसीला पदुपेतमायतिः-कि० 2 / 14 / 2. स्वादिष्ट, मशालेदार, मजेदार, सुरस - संसारसुख- | रहणम् [ रह+ल्युट्] छोड़ कर भाग जाना, परित्याग वृक्षस्य द्वे एव रसवत्फले, काव्यामृतरसास्वादः सम्पर्कः कर देना, अलग हो जाना--- सहकारवते समये सह सज्जनः सह 3. तर, गीला, पानी से आई 4. मनो- का रणस्य केन सस्मार पदम् - नलो० 2 / 14 / हर, शानदार, प्रांजल, परिष्कृत 5. भावों से भरा | रहस् (नपुं०) [ रह+असुन् ] 1. एकान्तता, एकान्तवास, हुआ, जोशीला 6. स्नेहसिक्त, प्रेमपूरित 7. साहसी, अकेलापन, एकाकीपन, निर्जनता---रघु० 313, 15 // रसिक,-ती रसोई। 92, पंच० 11138 2. उजड़ा हुआ या सुनसान स्थान, रसा [ रस्+अच्टाप् ] 1. निम्नतर नारकीय प्रदेश, छिपने की जगह 3. भेद की बात, रहस्य 4. मैथुन, नरक 2. पृथ्वी, भूमि, मिट्टी-भामि० 1159, स्मरस्य संभोग 5. गुप्त इन्द्रिय--(अव्य०) चुपचाप, आँख युद्धरङ्गतां रसारसारसारसा-नलो० 2010 3. जिह्वा / बचा कर, गुप्त रूप से, एकान्त में, निर्जनस्थान में, सम-तलम् 1. पृथ्वी के नीचे सात पातालों में से अतः परीक्ष्य कर्तव्यं विशेषात्सङ्गतं रहः- श० एक, दे० पाताल 2. नीचे की दुनिया, नरक, राज्यं 5 / 24, प्रायः समास में-वृत्तं रहः प्रणयमप्रतिपद्यमाने यातु रसातलं पुनरिदं न प्राणितुं कामये--- भामि० ---5 / 23 / 2063 जातिर्यातु रसातलम्-भर्तृ० 2 / 39 / रहस्य (वि.) [ रहसि भवः-यत् ] 1. गुप्त, निजी, रसालः [ रसमालाति-आ+ला+क, प० त०] 1. आम प्रच्छन्न 2. भेदभरा, स्यम् 1. भेद (आलं० से भी) का पेड़,-भुङ्गाः रसालकुसुमानि समाश्रयन्ते ---भामि० --स्वयं रहस्यभेद: कृतः-विक्रम०२ 2. रहस्य से 217 2. गन्ना, ईख,-ला 1. जिह्वा 2. वह दही भरा जादू, मंत्र, (अस्त्रसंबंधी) भेद, गुप्त बात-सरहजिसमें शक्कर तथा मसाले मिला दिए गये हों स्यानि जम्भकास्त्राणि----उत्तर० 1 3. आचरण का 3. 'दूर्वा' घास, दूब 4. अंगूरों की बेल या अंगूर, भेद या रहस्य, गुप्त बात- रहस्यं साधूनामनुपधि -~-लम् लोबान / विशुद्धं विजयते---उत्तर० 2 / 2 4. गुह्य या गोपनीय रसिक (वि.) [ रसोऽस्त्यस्य ठन् ] 1. मसालेदार, मजे- शिक्षा, एक रहस्यमय सिद्धान्त-भक्तोऽसि मे सखा दार, स्वादिष्ट 2. शानदार, ललित, सुन्दर 3. जोशीला चेति रहस्यं ह्येतदुत्तमम्---भग० 4 / 3, मनु० 2 / 150, 4. उत्तमता या रस को पहचानने वाला, स्वादयुक्त, (अव्य०- स्यम्) चुपचाप, गुप्तरूप से-याज्ञ० 3 // गुणग्राही, विवेचक-तद् वृत्तं प्रवदन्ति काव्यरसिकाः 301 (यहाँ यह विशेषण के रूप में भी समझा जा शार्दूलविक्रीडितम्---श्रुत० 40 5. आनन्द लेने वाला. ! सकता है)। सम-आल्यायिन् (वि०) भेद की बात For Private and Personal Use Only