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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 848 ) कोप, भीषणता 4. खेद, शोक 5. हर्ष, आनंद, खुशी--। केलिक्रीडा 3. रति, मैथुन 4. हर्ष, उल्लास 5. कूल्हा, मनसि रभसविभवे हरिरुदयतु सुकृतेन ---गीत०५।। पुट्ठा। रम् (म्वा० आ० रमते, परन्तु वि, आ, परि उपसर्ग लगने रमणा, रमणी [रमण+टाप,ङीप वा] 1. सुन्दर तरुण पर पर०, रत) 1. प्रसन्न होना, खुश होना, हर्ष स्त्री, --लता रम्या सेयं भ्रमरकुलरम्या न रमणी मनाना, तृप्त होना-रहसि रमते-मा० ३।२~-मनु० --भामि० 2 / 90 2. पत्नी, स्वामिनी-भोगः को 2 / 223 2. हर्षित होना,--प्रसन्न होना, आनन्द रमणी बिना-सुभा० / मनाना, स्नेहशील होना (करण और अधि० के रमणीय (वि०) [रम्यतेऽत्र-रम् आधारे अनीयर] सुहावना, साथ) - लोलापार्यदिन रमसे लोचनैर्वञ्चितोऽसि आनन्दप्रद, प्रिय, मनोहर, सुन्दर--स्मितं नैतत्किन्तु -- मेघ० 27, व्यजेष्ट षड्वर्गमरस्त नीतौ - भट्टि० प्रकृतिरमणीयं विकसितम -- भामि० 2 / 9 / / 112 3. खेलना, क्रीडा करना, प्रेमालिङ्गन करना, रमा रमयति -रम् + अच्+टाप्] 1. पत्नी, स्वामिनी जी बहलाना,.-राजप्रियाः करविण्यो रमन्ते मधपैः सह 2. लक्ष्मी, विष्णु की पत्नी तथा धनदौलत की देवी --भामि० 11126 (यहाँ दूसरा अर्थ भी संकेतित 3. धन / सम०- कान्तः, नाथः, पतिः विष्णु का है) भट्टि० 615, 674. संभोग करना-सा तत्पु- विशेषण,-वेष्टः तारपीन। श्रेण सह रमते -हि० 3 5 रहना, ठहरना, टिकना. रम्भा [रम्भ / अच+टाप] 1. केले का पौधा--विजितप्रेर०--(रमयति--ते) प्रसन्न करना, खुश करना, रम्भमूरुद्वयम्-गीत०१०, पिबोरुरम्भातरुपीवरोरु-- सन्तुष्ट करना-इच्छा० (रिरंसते) क्रीडा करने नै० 22043 2037 2. गौरी का नाम, नलकुबेर की की इच्छा करना -शि० 15 / 88, अभि-हर्ष मनाना, पत्नी जो इन्द्र के स्वर्ग में अत्यंत सुन्दरी मानी जाती है प्रसन्न या आनन्दित होता, अत्यनुरक्त होना--भट्टि० --तरुमूरुयुगेन सुन्दरी किम् रम्भा परिणाहिना परम्, 117, भग० 18 / 45, आ-, (पर०) 1. आनन्द तरुणीमपि जिष्णुरेव तां धनदापत्यतपःफलस्तनीम्-.लेना, खुशी मनाना - भट्टि. 8152, 3 / 38 नं० 2 / 37, सम० ---ऊरू (वि०) (स्त्री०-रु,-रू) 2. ठहरना, थमना, छोड़ देना (बोलना आदि), समाप्त केले के आन्तर भाग के समान जंधाओं वाला या करना-मनु० 2 / 73, उप-, (पर० और आ०), वाली-शि० 8 / 19, रघु० 6135 / 1. रुकना, अन्त करना, समाप्त करना-सङ्गतावुपरराम रम्य (वि.) [रम्यतेऽत्र यत्] 1. सुहावना, सुखद, आनन्दच लज्जा-नि० 9 / 44, 13 // 69 2. रुकना, थमना प्रद, रुचिकर-रम्यास्तपोवनानां क्रियाः समवलोक्य -भयाद्रणादुपरतं मस्यन्ते त्वां महारथाः--भग० .....श० 1113 2. सुन्दर प्रिय, मनोहर-सरसिजमनु२।३५, भट्टि० 8 / 54, 55, कि० 4 / 17 3. चुप विद्धं शैवलेनापि रम्यं-श० 1120, ५२,---म्यः होना, शांत होना, भग० 6 / 20. 4. मरना--दे० चम्पक नाम का वृक्ष,-म्यम् वीर्य / उपरत, परि-, (पर०) प्रसन्न होना, खुश होना | रय् (म्वा० आ-रयते, रयित) जाना, हिलना-जुलना। -भट्टि० 8 / 53, वि-(पर०) 1. अन्त होना, | रयः हरय-+अच्] 1. नदी की धारा, प्रवाह,-जम्बूकुञ्जसमाप्त होना, अवसान होना - अविदितगतयामा प्रतिहतरयं तोयमादाय गच्छे:-मेघ 20 2. बल, रात्रिरेव व्यरंसीत्-उत्तर० 1127 2. रुकना, बन्द चाल, वेग-उत्तर० 3136 3. उत्साह, उत्कण्ठा, होना थमना, छोड़ देना (बोलना आदि)-एतावदुक्त्वा उत्कटता, उग्रता। विरते मृगेन्द्रे-रघु० 2 / 51, शि० 2 / 13, प्रायः अपा० | रल्लकः [रमणं रत् इच्छा तां लाति-ला+क=रल्ल के साथ, हा हन्त किमिति चित्तं विरमति नाद्यापि +कन्] 1. ऊनी वस्त्र, कंबल 2. पलक मारना विषयेभ्यः- भामि० 4 / 25, उत्तर० 1 / 33, सम् .. युवतिरल्लक-भल्लसमाहतो भवति को न यवा गत(आ०) प्रसन्न होना, हर्ष मनाना-भट्टि० 19130 / चेतनः 3. एक प्रकार का हरिण।। रम (वि.)[रम्+अच] सुहावना, आनन्दप्रद, संतोषजयक, रवः [रु+अप] 1. क्रन्दन, चीख, चीत्कार, हह, (जान आदि,-मः 1. हर्ष, खुशी 2. प्रेमी, पति 3. कामदेव. वरों की) चिंघाड़ 2. गाना, (पक्षियों की) कूजनध्वनि रमम् [रमेः अठः हींग / सम० ---ध्वनिःहींग / -रघु० 9 / 29 3. झनझनाहट 4. शब्द, कोलाहल रमण (वि०) (स्त्रीगी-) [रम्यति-रम् +णि+ल्युट् ...--घंटा. भूषण चाप आदि। सुहावना, सन्तोषजनक, आनन्दप्रद, मनोहर-भट्टि रवण (वि.) [+युच्] 1. क्रंदन करने वाला, चिंघाड़ने 6172,-: 1. प्रेमी, पति -पप्रच्छ रामा रमणोऽ वाला, चीखने बाला 2. ध्वन्यात्मक, शब्दायमानभिलाषम्-रघु० 14 / 27, मेघ० 37,87, कु. 4 / 21, -उत्कण्ठाबन्धनैः शुभं रवणरम्बरं ततम् भट्टि. शि० 96. 2. कामदेव 3. गधा 4. अंडकोष 7 / 14 3. तीक्ष्ण, तप्त 4. चंचल, अस्थिर,--ण: 1. ऊँट -पम् 1. कीड़ा करना 2. प्रेमालिंगन, जी बहलाना,। -शि. 1222 2. कोयल,-नम् पीतल, कांसा / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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