________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कामात व्यक्ति की सी-सी ध्वनि,--बंधः मंथन, संभोग, का काम, दे० अचिस्तुंगानभिमखमपि प्राप्य रत्न --हिंडकः 1. स्त्रियों को फुसलाकर उनसे बलात्कार | प्रदीपान्-मेघ०६८,-मुख्यम् हीरा,-राज् (पुं०) करने वाला 2. विलासी। लाल, राशिः 1. रत्नों का ढेर 2. समुद्र,—सान: मेरु रतिः (स्त्री०) [ रम्-|-क्तिन् ] 1. आनन्द, खुशी, सन्तोष, पर्वत,-सू (वि.) रत्नों को उत्पन्न करने वाला हर्ष-श० 211 2. स्नेहशीलता, भक्ति, अनुराग, / - रघु० 1165, -सू, सूतिः (स्त्री०) पृथ्वी। आनन्दानुभूति (अधि० के साथ) पापे रति मा कृथाः | रत्निः (पुं०, स्त्री०) [ऋ- कत्निच, यण] 1. कोहनी --भत० 177, स्वयोपिति रतिः---२।६२, रघु० 2. कोहनी से मुट्ठी तक की दूरी, एक हाथ का 1123 कु. 5165 3. प्रेम, स्नेह, सा० द. द्वारा की परिमाण (पुं०) बन्द मुट्ठी (यह शब्द 'अरनि' का गई परिभाषा रतिर्मनोऽनुकूलेऽर्थे मनसः प्रवणायितम् ही भ्रंश प्रतीत होता है)। -207, तु० 206 से भी 4. सम्भोग का आनन्द .... रथः | रम्यतेऽनेन अत्र वा-- रम् / कथन् / गाड़ी, जलूसी दाक्षिण्योदकवाहिनी विगलिता याता स्वदेशं रतिः गाड़ी, यान, वाहन, विशेषकर युद्धरथ 2. नायक ...-.-मृच्छ०८३८, इसी प्रकार 'रतिसर्वस्वम्' दे० नी० (रथिन्) 3. पैर, 4. अवयव, भाग, अंग 5. शरीर, तु० 5. मथुन, संभोग, सहवास 6. रतिदेवी, कामदेव की आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु कठ. पत्नी-साक्षात्कामं नवमिव रतिर्मालती माधवं यत 6. नरकुल / सम०-अक्षः गाड़ी का धुरा-अंगम ....मा० 1116, कु० 2 / 23, 4 / 45, रघु० 62 1. गाड़ी का कोई भाग 2. विशेषकर गाड़ी के पहिये 7. योनि, भग। सम०-अंगम्,- कुहरं योनि, भग, -रथो रथांगध्वनिना विजज्ञे रघ० 7141, श०७।१० -गहम,-भवनम्,--मन्दिरम् 1 क्रीडा गृह 2. चकला, 3. चक्र, विशेषकर विष्ण का,-चक्रधर इंति रथांगमदः रंडीखाना 3. योनि, भग, -तस्करः फुसलाने वाला, सततं बिभषि भुवनेषु रूढये-शि० 15 / 26 4. कुम्हार व्यभिचारी,--दूतिः-ती (स्त्री०) प्रेम का संदेश ले का चाक °आह्वयः, नामकः, नामन् (पं०) चकवा, जाने वाली--कु० ४।१६,-पतिः, ---प्रिय,—रमणः चक्रवाकरथांगनामन् वियतो रथांगश्रोणिबिवया, कामदेव, अपि नाम मनागवतीर्णोऽसि रतिरमणबाण अयं त्वां पृच्छति रथी मनोरथशतैर्वृतः--विक्रम गोचरम् मा० 1, दधति स्फूट रतिपतेरिषवः शिततां 4 / 18, कु० 3 / 37, रघु० 324, (कविसमय के यदुत्पलपलाशदृशः शि० 9 / 66, रसः संभोग का अनुसार चकवा रात होने पर चकबी से वियुक्त हो आनन्द, लंपट (वि०) कामी, कामासक्त, कामुक, जाता है, फिर सूर्योदय होने पर उनका मेल होता है) -सर्वस्वम् रतिक्रीडा का अत्युत्तम रस, अत्यानन्द पाणिः विष्णु का नाम, ईशः रथ पर बैठ कर युद्ध करं व्याधुन्वत्याः पिबसि रतिसर्वस्वमधरम् - श० करने वाला योद्धा, ईषा,-शा गाड़ी का जोड़ा 1 / 24 / (गाड़ी में लगने वाली सबसे लम्बी दो लकड़ियाँ जिन रत्नम् रमतेऽत्र, रम्+न, तान्तादेशः] 1. मणि, आभूषण, पर गाड़ी का सारा ढांचा जमाया जाता है),- उद्वहः, हीरा--कि रत्नमच्छा मतिः . भामि० श८६, न -उपस्थः रथ का वह स्थान जहाँ सारथि बैठता है, रत्नमन्विष्यति मग्यते हि तत्-कु० 5 / 45, (रत्न चालक का आसन,-कटया,-कड्या रथों का समूह, गिनती में पांच, नौ या चौदह बतलाये जाते हैं-दे० --कल्पकः राजा के रथों की व्यवस्था का अधिकारी, शब्द पंचरत्न, नवरत्न, और चतुर्दशरत्न) 2. कोई -कारः गाड़ी बनाने वाला, बढ़ई, पहिये घड़ने वाला भी मूल्यवान् पदार्थ, कीमती खजाना 3. अपने प्रकार रथकारः स्वकां भार्या सजारां शिरसाबहत- पंच० की अत्युत्तम वस्तु (समास के अन्त में) जाती जाती ४।५४,---कुटुंबिकः,---कुटुंबिन् (पुं०) रथवान्, सारथि, यदूत्कृष्ट तद्रनमभिधीयते- मल्लि०, कन्यारत्न- - कूबरः,----रम् गाड़ी की शहतीरी-केतुः रथ का मयोनिजन्म भवतामास्ते वयं चाथिनः महावी० झण्डा,-- क्षोभः रथ का हचकोला--- रघु 1158, 1130, इसी प्रकार पुत्र, स्त्री, अपत्य आदि -- गर्भकः डोली, पालकी,--गुप्तिः (स्त्री०) रथ के 6. चुम्बक / सम०-अनुविद्य (वि.) रत्नों से जड़ा चारों ओर लगा लोहे या लकड़ी का ढांचा जिससे रथ हआ, -- आकार: 1. रनों की खान 2. समुद्र--रत्नेषु की किसी से टकराने पर रक्षा हो सके,- चरणः, लप्तेषु बहुप्वम्त्यरद्यापि रत्नाकर एव सिंधु:-विक्रम ---पावः 1. रथ का पहिया 2. चकवा,--चर्या रथ का 1112, रत्नाकरं वीक्ष्य-रघु० १३३१,--आलोकः इधर उधर घुमना, रथ का उपयोग, रथ पर सवारी मणि की कान्ति,--आवली,--माला रत्नों का हार, करना-अनभ्यस्तरथचर्या:-- उत्तर०५,--धुर (स्त्री०) -कंदल: मंगा, खचित (वि.) रत्न या मणियों से गाड़ी के जोड़े की शहतीरी, नाभिः (स्त्री०) रथ के जड़ा हुआ,-गर्भः समुद्र (-र्भा) पृथ्वी,-दीपः, पहिये की नाह या नाभि, नीड:- रथ के अन्दर का -----प्रदीपः 1. रनों का बना दीपक 2. रत्न जो दीपक भाग या आसन,-बंधः रथ का साज-सामान, रस्सी EEEEEEEEEEEEEEEEE For Private and Personal Use Only