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अभिपन्न (भू० क० कृ.) [अभि-+पद्+क्त] 1. समीप | अभिबुद्धिः (स्त्री०) [प्रा० स०] बुद्धीन्द्रिय या ज्ञानेन्द्रिय
गया हुआ या आया हुआ, उपागत, की ओर दौड़ा (विप० कर्मेंद्रिय), आंख, जिह्वा,कान, नाक और त्वचा। हुआ या गया हुआ 2. भागा हुआ, भगोड़ा शरणार्थी, अभिभवः [अभि+भू+-अप] 1. हार, पराभव, दमन; 3. पराभूत, पराजित, पीडित, गिरफ्तार किया हुआ, --स्पर्शानुकूला इव सूर्यकान्तास्तदन्यतेजोभिभवाद्वमन्ति पकड़ा हुआ,-कालाभिपन्नाः सीदन्ति सिकतासेतवो ---श०२।७, (जब दूसरी शक्ति के द्वारा आक्रान्त,अवरुद्ध यथा-रामा०, दोष, कश्मल', व्याघ्र आदि 4. या पराभूत हो)-अभिभव: कुत एव सपत्नजः-रघु० भाग्यहीन, संकटग्रस्त, 5. स्वीकृत 6. दोषी।
९।४, 2. पराभूत होना,-जराभिभवविच्छायंअभिपरिप्लुत (वि.) [अभि+परि+प्लु+क्त ] डूबा का० ३४६, आक्रान्त या प्रभावित होना, (ज्वरादिक
हुआ, भरा हुआ, बाढ़ग्रस्त, उखड़ा हुआ,-शोक, से) मूर्छित होना 3. तिरस्कार, अपमान,-निरभिक्रोध आदि से।
भवसाराः परकथा:-भर्त० २०६४, 4. निरादर, अभिपूरणम् [अभि+प+ ल्युट्] भरना, काबू में लाना। मानभंग,-अलभ्यशोकाभिभवेयमाकृति:-कु० ५।४९, अभिपूर्वम् (अव्य०) [अव्य० स०] क्रमशः ।
5. प्रबलता, उद्धब, विस्तार,-अधर्माभिभवात्कृष्ण अभिप्रणयनम् [अभि-प्र-+नी+ल्यट] वेदमंत्रों के द्वारा प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः-भग० ११४१, कि० २।३७ । संस्कार करना।
अभिभवनम् [अभि+भू+ल्युट्] हावी होना, पराजित अभिप्रणयः [ अभि+प्र+-नी+अच् ] प्रेम, कृपादृष्टि, करना, जीतना, पराभूत होना।। अरंजन ।
अभिभावनम् [अभि-भू+णिच+ल्युट] विजयी कराना, अभिप्रणीत (भू०क० कृ०)[अभि+प्र+नी+क्त]I. संस्कार पराजित करने वाला बनाना।
किया हुआ,-जज्वाल लोकस्थितय स राजा यथाध्वरे अभिभाविन्-भाव (५) क (वि.) [अभि+भूणिनि,
वह्निरभिप्रणीतः-भटि० २४, 2. लायाहुआ। उका वा] 1. पराजित करने वाला, हराने वाला, अभिप्रथनम् [अभि+प्रथ् + ल्युट्] फैलाना,विस्तार करना, जीतने वाला 2. दूसरों से आगे बढ़ने वाला, परमोऊपर से डालना।
त्कृष्ट, श्रेष्ठ होने वाला,-सर्वतेजोऽभिभाविना-रघु० अभिप्रदक्षिणम् (अव्य.] [अव्य. स०] दाहिनी ओर । १३१४, कि० १२६ । अभिप्रवर्तनम् [अभि+प्र+वृत्+ ल्युट्] 1. आगे बढ़ना 2. | अभिभाषणम् [अभि+भाष+ल्युट] सम्बोधित करते हुए
प्रगमन, आचरण 3. बहना, बाहर आना जैसे पसीने ____ बोलना, भाषण देना। का निकलना।
अभिभूतिः (स्त्री०) [अभि+भू+क्तिन्] 1. प्रधानता, अभिप्राप्तिः = दे० प्राप्तिः ।
प्रभुत्व 2. जीतना, हराना, पराभव,-अभिभूतिभयादअभिप्रायः [अभि-प्र++अच्] 1. लक्ष्य, प्रयोजन, सूनतः सुखमुज्झन्ति न धाम मानिन:-कि० २२०, 3.
उद्देश्य, आशय, कामना, इच्छा, अभिप्राया न सिध्यन्ति अनादर, अपमान । तेनेदं वर्तते जगत्--पंच० १११५८, साभिप्रायाणि | अभिमत (भू० क० कृ०) (अभि+मन्+क्त]. इष्ट, वचांसि-पंच २, गम्भीर शब्द, भावः कवेरभिप्रायः 2. अभीष्ट, प्रिय, प्यारा, रुचिकर, वाञ्छनीय-नास्ति अर्थ, भाव, तात्पर्य, या शब्द अथवा किसी परिच्छेद जीवितादन्यदभिमततरमिह जगति सर्वजन्तूनां--३५, का उपलक्षितभाव, तेषामयमभिप्रायः-इस प्रकार का ५८, अभिमतफलशंसी चारु पुस्फोर बाहुः---भट्टि. उनका आशय है, तात्पर्य (परिच्छेद का) 3. सम्मति, १२२७, 2. सम्मत, स्वीकृत, माना हुआ,-न किल विश्वास, 4. संबंध, उल्लेख ।
भवतां स्थानं देव्या गृहेऽभिमतं ततः- उत्तर० ३१३२, अभिप्रेत (भू० क० कृ०) [अभि+प्र--इ+क्त 1. अर्थ- प्रसिद्धमाहात्म्याभिमतानामपि कपिलकगभुप्रभृतीनां
पूर्ण, उद्दिष्ट, साशय, आकल्पित,-अत्रायमर्थोऽभिप्रेतः; -शारी०, सम्मानित, आदृत,---तम् कामना, इच्छा. निवेदयाभिप्रेतम् ---पंच. १, 2. इष्ट, अभिलषित, -तः प्रियव्यक्ति, प्रेमी।। --यथाभिप्रेतमनुष्ठीयताम् -हि०१3. सम्मत, स्वीकृत अभिमनस् (वि.) [प्रा० स०] 1. तुला हुआ, इच्छुक, 4. प्रिय, रुचिकर।
आतुर, उत्कंठित,-भवतोऽभिमना: समीहते सरुषः कर्तअभिप्रोक्षणम् [ अभि+प्र+उ+ल्युट् ] छिड़कना, मुपेत्य माननाम्-शि०१६।२,(यहाँ अभी “निश्शंक" छिड़काव।
अर्थ को प्रकट करता है)। अभिप्लवः [अभि । प्ल-|-अप] 1. कष्ट, बाधा 2. बाढ़, | अभिमन्त्रणम अभि+मन्त्र+ल्यूट]1 विशेष मंत्रों को पढ़कर उतरा कर बहना।
संस्कारयुक्त करना, या पवित्र करना,--याज्ञ० अभिप्लुत (भू० क. कृ०) [अभि-प्लु क्त] पराभूत, ११२३७, 2. सुहावना, मनोहर 3. संबोधित करता, व्याकुल (शा० तथा आलं.)।
आमंत्रित करना, परामर्श देना।
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