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( ७२ ) दृष्टि, संकेत या मुद्रादि से प्रकट करने वाला)-नृत्या- न्खलमेऽभिनिवेश:--श०३, असत्यभते वस्तून्यभिनिवेशः भिनयक्रियाच्युतम्-कु० ५।७९, अभिनयान् परिचेतु- ----मिता० २. 2. उत्कट अभिलाष, दृढ़ प्रत्याशा 3. मिवोद्यता-रघु० ९।३३, नर्तकीरभिनयातिलंजिनीः, दृढ़संकल्प, दृढ़ निश्चय, धैर्य,--जनकात्मजायां नितां१९।१४ 2. नाटकीय प्रदर्शनी, स्वांग, मंच पर प्रदर्शन तरुक्षाभिनिवेशमोशम्-रघु० १४।४३, अनुरूप करना, ललिताभिनयं तमद्य भर्ता मरुतां द्रष्टुमना: शतोषिणा कु०५।७, 4. (योगदर्शन में)एक प्रकार का सलोकपाल:-विक्रम० २।१८, सा० द. अभिनय का | अज्ञान जो मृत्यु के भय का कारण हो, सांसारिक निरूपण इस प्रकार करता है:-भवेदभिनयोऽवस्थानु- विषय-वासनाओं तथा शारीरिक आमोदप्रमोद में व्यस्त कारः स चतुर्विधः,आङ्गिको वाचिकश्चैवमाहार्यः सात्वि- रहना साथ ही यह भय भी लगा रहे कि मृत्यु के द्वारा कस्तथा। १७४ । अभिनय—किसी दशा का अनुकरण इन सब से वियोग हो जाना है। करना है, यह चार प्रकार का है:-(१) आंगिक-| अभिनिवेशिन् (वि०) [अभि-नि---विश्+णिनि] 1. शारीरिक चेष्टाओं द्वारा व्यक्त होने वाला (२) आसक्त, संसक्त 2. जमा रहने वाला, अनन्यचित्त, 3. वाचिक शब्दों द्वारा प्रकट होने बाला (३) आहार्य- दृढ़ निश्चयी, कृतसकल्प । वेशभूषा, अलंकार, सजावट आदि से व्यक्त होने अभिनिष्क्रमणम् [अभि+निस्+क्रम ल्युट] बाहर निकवाला (४) सात्विक-स्वेद, रोमांच आदि के द्वारा लना। आन्तरिक भावनाओं को प्रकट करने वाला।
अभिनिष्टानः [अभि+नि+स्तन्+घञ--सस्य षत्वम्] अभिनव (वि.) [प्रा० स०] 1. बिल्कुल नया या ताजा | वर्णमाला का अक्षर ।
(सर्वथा) पदपङक्तिर्दश्यतेऽभिनवा-श० ३१८, ५।१, | अभिनिष्पतनम् [अभि--निस्+-पत् + ल्युट्] टूट पड़ना, °वा वधूः का० २, नवोढ़ा 2. बहुत छोटा, अनुभवहीन। निकल पड़ना।
सम०-यौवन-वयस्क, नौ जवान, बहुत छोटा। अभिनिष्पत्तिः (स्त्री०) [ अभि-न-निस् --पद्+क्तिन् ] अभिनहनम् [अभि-+नह ल्युट्] आँख पर बाँधने की पूति, समाप्ति, निष्पन्नता, पूर्णता । पट्टी, अंधा।
अभिनिह्नवः [अभि+नि+न+अप्] मुकरना, छिपाना । अभिनियुक्त (वि०) [अभि+नि+युज+क्त] काम में
अभिनीत (भू० क. कृ.) (अभि-+नी+क्त] 1. निकट लगा हुआ, व्यस्त ।
लाया गया, पहुंचाया गया 2. किया गया, नाटक के अभिनिर्मुक्त (वि.)[अभि+निर+म+क्त] 1 सूर्यास्त रूप में खेला गया 3. सुसज्जित, अलंकृत, अत्यन्त श्रेष्ठ
होने के कारण छुटा हुआ कार्य या छोड़ा हुआ कार्य 2 4. उपयुक्त, उचित, योग्य, -अभिनीततरं वाक्यमित्युसूर्यास्त के समय सोया हुआ।
वाच युधिष्ठिरः-महा० 5. सहनशील, दयालु, समअभिनिर्याणम् [अभि+निर+या+ल्युट] । 1. प्रयाण 2. चित्त 6. क्रुद्ध 7. कृपाल, मित्र सदृश ।
आक्रमण, किसी शत्रु के सामने अभिप्रस्थान। अभिनीतिः (स्त्री०) [ अभि+नी+क्तिन् ] 1. इंगित, अभिनिविष्ट [भू० क. कृ०] [अभि+नि+विश्+क्त] 1. भावपूर्ण अंग विक्षेप, 2. कृपालुता, मित्रता, सहिष्णुता,
तुला हुआ, लीन, जुटा हुआ 2. दृढ़ता पूर्वक जमा हुआ | --सान्वपूर्वमभिनीतिहेतुकम कि० १३१३६। सावधान, लगा हुआ 3. सम्पन्न, अधिकार युक्त,--गुरु- अभिनेत (पं.) नाटक का पात्र,-त्री नाटक की पात्री। भिरभिनिविष्टं (गर्भ) लोकपालानुभाव:-रघु० | अभिनेतन्य) (सं० कृ०) [अभि-नी+यत्, तव्यत् वा २७५, 4. दृढनिश्चयी, कृतसंकल्प 5. (कदर्थ) | अभिनेय नाटक के रूप में खेले जाने योग्य,-दृश्यं हठी, दुराग्रही।
तत्राभिनेयं तद्रोपारोपात्त रूपकम-सा०द० २७३, तस्य अभिनिविष्टता [अभिनिविष्ट+तल+टाप्] दृढ़संकल्पता, | (प्रबन्धस्य) एकदेश: अभिनेयार्थः कृतः--उत्तर०४,
दढनिश्चय, निदाक्षेपापमानादेरमर्षोऽभिनिविष्टता- इसका एक अंश रंग मंच के उपयुक्त बना दिया गया। सा० ८०–अर्थात निंदा, बदनामी या अपमान की | अभिन्न (वि.) [न० त०] 1. न टूटा हुआ, अनकटा 2. परवाह न करते हुए अपने उद्देश्य पर दृढ़ता से आगे अविकृत 3. अपरिवर्तित, 4. जो अलग न हो, वही, बढ़ते जाना।
एकरूप (अपा० के साथ),--जगन्मिथोभिन्नमभिन्नमीअभिनिवतिः (स्त्री०) [अभि+निवृत्+क्तिन्] निष्प- श्वरात्-प्रबोध० । प्रता, पूर्ति ।
अभिपतनन् [ अभि+पत्+ल्युट् ] 1. उपागमन 2. टूट अभिनिवेशः [अभि+नि+विश्+घन]1 लगन, आसक्ति पड़ना, आक्रमण करना, चढ़ाई करना 3. कूच करना,
एकनिष्ठता, दढ़ विनियोग (अधि० के साथ या समास रवानगी। में), कतमस्मिस्ते भावाभिनिवेशः---विक्रम० ३, अहो | अभिपत्तिः (स्त्री०) अभि-पद्+क्तिन] 1. उपागमन, निरर्थकव्यापारेष्वभिनिवेश: का० १२०, बलीया- निकट जाना 2. पूर्ति ।
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