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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 805 ) खल्वेषा गर्भदासी रत्न 2, मुखरतावसरे हि विराजते / (अतः) सुन्दर, प्रिय, मनोहर, कांत-- हरिरिह मुग्ध -कि० 5 / 16 3. कोलाहलमय, लगातार शब्द वधूनिकरे विलासिनि बिलसित केलिपरे गीत०१, करने वाला, टनटन बजने वाला, (पाजेब की भांति) उत्तर० ३१५,-ग्धा कुमारी सुलभ भोलेपन से आकर्षक रुनझुन करने वाला--स्तम्बरमा मुख रशृङ्खलकर्षिणस्तें किशोरी, सुन्दर तरुणी, (काव्यकृतियों में यह एक .... रघु० 5 / 72, अन्तः कूजन्मुखरशकुनो यत्र रम्यो / नायिका का भेद माना जाता है) / सम०...-अक्षी बनान्तः .. उत्तर० 2 / 25, 20, मा० 9 / 5, मुखरमधीरं | सुन्दर आँखों वाली युवती बियोगो मुग्धाक्ष्याः स त्यज मजीरं रिपूमिव केलिए लोलम् .... गीत०५, खल रिपुघातावधिरभूत् उत्तर० 3 / 44, आनना मृच्छ० 1135 3. ध्वननशील, अनुनादी, गूंजने वाला सुन्दर मुख वाली, घी, - बुद्धि, मति (वि.) (प्रायः समास के अन्त में)-स्थान-स्थाने मुखरककुभो मूर्ख, मूढ़, जड़, भोला-भाला, भावः सादगी, झाङकृतनिर्झराणाम् उत्तर० 2 / 14, मण्डली मुखर- भोलापन / शिखरे (लताकुंजे) गीत० 2, रघु० 13:46 मुच्i (भ्वा० आ० मोचते) धोखा देना, ठगना; दे० 4. अभिव्यंजक या सूचक 5. अश्लीलभाषी, गाली देने मुञ्च् / वाला, वदजबान 6. उपहास करने वाला, हँसी दिल्लगी il (तुदा० उभ०--मुञ्चति--ते, मुक्त) शिथिल करना, करने वाला (मुखरीकृ , शब्द करवाना, बुलवाना, मुक्त करना, छोड़ना, जाने देना, ढीला होने देना, प्रतिध्वनित करवाना), - र: 1. कौवा 2. नेता मुख्य स्वतंत्र करना, छुटकारा करना (बन्धन आदि से) या प्रधान पुरुष .. यदि कार्यविपत्तिः स्यान्मुखरस्तत्र ... वनाय ''यशोधनो धेनुमषेममोच--रघु० 2 / 1. हन्यते हि० 1129 3. शंख / 3 / 20, मनु० 8 / 202, मोक्ष्यते सुरबन्दीनां वेणी:र्यमुखरयति (ना० धा० पर०) 1. प्रतिध्वनित या कोला- विभूतिभिः- कु० 2 / 61, रघु०१०१४७, मा भवानहलमय करना, गुंजाना 2. बलवाना या बातें करवाना, ङ्गानि मञ्चतु विक्रम० 2, भगवान् करे आपके अंग अत एव शुश्रूषा मा मुखरयति-मुद्रा० 3 3. अधि- म्लान न हों,--हतोत्साह न होइए' 2. आजाद करना, सूचित करना, घोषणा करना, अभिज्ञापन करना। ढीला छोड़ना (वाणी की भांति) कण्ठं मुञ्चति बहिणः मुखरिका, मुखरो [मुखर+कन् टाप, इत्वम्, मुखर+डोष्] समदनः मच्छ० 5 / 14, 'अपनी वाणी या कंठ को लगाम की वलगा, लगाम का दहाना। ढील देता है अर्थात चीत्कार करता है' 3. छोड़ना, मुखरित (वि०) मिखर इतच] कोलाहलमय या अनु- परित्याग करना, उन्मुक्त करना, छोड़ देना, एक ओर नादित किया हुआ, बजता हुआ, कोलाहलपूर्ण-गण्डो- डाल देना, उत्सर्ग करना रात्रिर्गता मतिमतां वर डडीनालिमाला मुखरितककूभस्ताण्डवे शूलपाणे: मुञ्च शय्याम् - रघु० 5 / 66, मुनिसुता प्रणयस्मृति--मा० 11 1 रोधिना मम च मुक्तमिदं तमसा मनः श०६७, मुख्य (वि०) मुखे आदी भवः --यत्] 1. मुख या चेहरे | मौनं मुञ्चति किं च कैरवकुले भामि० 114, आवि से संबंध रखने वाला 2. बड़ा, प्रधान, प्रमुख, प्रथम, भूते शशिनि तमसा मच्यमानेब रात्रिः --- विक्रम० 118, सर्व प्रधान, उत्तम, द्विजातिमख्यः, वारमुख्याः, मेघ० 96, 41, रघु० 3 / 11 4. अलग रखना, अपयोधमुख्या: आदि, - रख्यः नेता, पथप्रदर्शक ख्यम् हरण करना, अलगाना, दे० मुक्ता 5. डालना, फेंकना, 1. प्रधान यज्ञकृत्य या धार्मिक संस्कार 2. वेदों का उछाल देना, पटक देना, बोझा उतारना मृगषु पठनपाठन / सम० अर्थः शब्द का मुख्य या मूल शरान्मुमुक्षोः रघु० 9158, भट्टि० 15153 7. निका(विप० गौण) आशय, चान्द्रः मुख्य चांद्र मास, नृपः लना, गिराना, उडेलना, टपकाना (आंसू) ढलकाना नपतिः प्रभुसत्ताप्राप्त राजा, सर्वोपरि प्रभु,-मन्त्रिन् -अपसृतपाण्डुपुत्रा मुञ्चन्त्यभ्रूणीब लता:-श० 4 / 11, (पु.) प्रधान मंत्री। चिरविरहज मुंञ्चतो बाष्पमुष्णम् मेघ० 12, भट्टि० मुगहः एक प्रकार का जल कुक्कुट / 7 / 2 8. उच्चारण करना, बोलना मा० 9 / 5, मुग्ध (वि) [ मुह+क्त ] 1. जड़ीकृत, मूछित 2. हत- भट्टि० 7.57 1. प्रदान करना, अनुदान देना, अर्पण बुद्धि, प्रणयोन्मत्त 3. मढ़, अज्ञानी, मुर्ख, जड़-शशाङ्क: करना 10. पहनना (आ०) 11. उत्सर्ग करना केन मधेन राधांशरिति भाषित:----भामि० 2 / 29 (मलमूत्र का)-कर्मवा० (मुच्यते) ढीला किया जाना, 4. सरल, सीधासादा, भोला-भाला -उत्तर० 1146 छुटकारा पाना, स्वतंत्र होना, दोषमुक्त होना;-मुच्यते 3. भूल करने वाला, भल में पड़ा हुआ 6. बालोचित सर्वपापेभ्यः प्रेर० (मोचयति-ते) 1. स्वतंत्र या सरलता से मोहित करने बाला (अभी प्रेमरस से मुक्त कराना 2. गिरवाना 3. ढीला छोड़ना, आजाद अपरिचित), बालसुलभ, --(कः) -- अयमाचरत्यविनयं करना, छुटकारा देना 4. उद्धार करना, सुलझाना मुग्धासु तपस्विकन्यासु श० 1125, रघु० 9 / 34, / 5. जुआ हटाना, (घोड़े आदि पर से) साज उतारना For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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