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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 804 ) गणिका / सम०-अगारः, आगारः मोती का घोंघा, / प्रकार 'इन्द्रमुखा देवाः' आदि 15. सतह, ऊपरी पार्श्व - आवलिः,-ली (स्त्री०)-कलापः मोतियों का हार 16. साधन 17. स्रोत, जन्मस्थान, उत्पत्ति 18. उच्चा..... गणः मोतियों का हार, मोतियों की लड़ी मेघ० रण जैसा कि 'मुखसुख' में 19. वेद, श्रुति 46, रघु० 16 / 18, जालम् मोतियों की लड़ी या 20. (काव्य में) नाटक में अभिनयादि कर्म का करधनी,-दामन् (नपुं०) मोतियों की लड़ी, पुष्पः मूलस्रोत, एक संधि / सम० .. अग्निः 1. दावानल एक प्रकार को चमेली, प्रसूः (स्त्री०) मोती की 2. आग के मुख वाला बेताल 3. अभिमन्त्रित या शुक्ति, प्रालम्बः मोतियों की लड़ी, -- फलम् 1. मोती यज्ञीय अग्नि 4. चिता में अग्न्याधान के अवसर पर कु. 116, रघु०६।२८ 16 / 62 2. एक प्रकार शव के मुख पर रक्खी जाने वाली आग, अनिलः, का फूल 3. सीताफल या कुम्हड़ा 4. कपूर, मणिः - उच्छ्वासः सांस, अस्त्रः केकड़ा, आकारः चेहरा, मोती, मात (स्त्री०) मोती का घोंघा, लता, मुखछवि, दर्शन,--आसवःअधरामृत, आस्रावः, सावः -स्रज्. हारः मोतियों की माला, शक्तिः स्फोट: थूक, मुंह की लार, इन्दुः चन्द्रमा जैसा मुंह अर्थात् वह घोंघा या सोपी जिसमें से मोती निकलते हैं। गोल सुन्दर मुख, उल्का दावानल, कमलम् कमल मुक्तिः (स्त्री०) [मुच्+क्तिन्] 1. छुटकारा, निस्तार, जैसा मुख, खुरः दांत,—गंधक: प्याज--चपल (वि०) उन्मोचन 2. स्वातंत्र्य, उद्धार 3. मोक्ष, आवागमन के बातूनी, वाचाल,-चपेटिका मुंह पर लगाई जाने वाली चक्र से आत्मा का मोचन 4. छोड़ना, त्याग, परित्याग, चपत, चीरिः (स्त्री०) जिह्वा,-जः ब्राह्मण, जाहम् टालना-संसर्गमुक्तिः खलेषु -भर्तृ० 2062 5. फेंकना, मुंह की जड़, कण्ठ,--दूषणः प्याज, दूषिका मुहासा, गिरा देना, छोड़ देना, मुक्त करना 6. आजाद करना, निरीक्षकः सुस्त, आलसी, मह की ओर ताकने वाला, खोलना 7. ऋण मुक्त होना, ऋण परिशोध करना / -- निवासिनी सरस्वती का विशेषण,-पटः चूंघट-कुर्वन् सम० क्षेत्रम् वाराणसी का विशेषण, मार्गः मोक्ष काम क्षणमुखपटप्रीतिमैरावतस्य मेघ०६२, --पिण्डः का रास्ता, मुक्तः लोबान / (भोजन का) ग्रास, पूरणम् 1. मुंह को भरना मुक्त्वा (अव्य०) / मुच् + क्त्वा] 1. छोड़कर, परित्याग 2. एक कुल्ला पानी, मुंहभर, प्रसादः प्रसन्नवदन, करके 2. सिवाय, छोड़ कर, विना / मुख की प्रसन्नमुद्रा, प्रियः संतरा, बंधः भूमिका, मुखम् [खन्-+-अच्, डित् घातोः पूर्व मुटु च] 1. मुंह प्रस्तावना, बन्धनम् 1. भूमिका 2. ढक्कन, आवरण, (आलं० से भी) -- ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत् ऋक् "- भूषणम् पान लगाना-दे० तांबुल, भेदः चेहरे का -----10 / 90112 सभ्रूभङ्गं मुखमिव-मेघ० 24, त्वं विकृत हो जाना, मधु (वि) मिष्टभाषी, मधुराधर, मम मुखं भव -विक्रम० 1, 'मेरे मुखपात्र या प्रति- मार्जनम् मुंह धोना, वन्त्रणम् लगाम की मुखरी निधिवक्ता बनिये 2. चेहरा, मुखमण्डल -- परिवृत्ताध- या वल्गा, रागः चेहरे का रंग रघु० 12 / 8, 17 / मुखी मयाद्य दृष्टा-विक्रम० 1117, नियमक्षाममुखी 31, लाङ्गलः सूअर, लेपः 1. (ढोलक के) उपरी तकवेणिः - श० 721, इसी प्रकार चन्द्रमुखी, भाग पर लेप करना 2. कफ प्रकृति वाले पुरुष की मखचन्द्र आदि 3. (किसी जानवर की) यूथन, थूथनी एक दीमारी, वल्लभः अनार का पेड़, वाद्यम् या मोहरी 4. अग्रभाग, हरावल, पुरोभाग 5. किनारा, 1. मुंह से बजाया जाने वाला बाजा, फंक मार कर नोक, (बाण का) फल, प्रमुख पुरारिमप्राप्तमुखः बजाया जाने वाला बाजा 2. मुंह से 'बम् बम्' शब्द शिलीमुखः - कु० 5 / 54, रघु० 3 / 57, 596. (किसी करना, वासः, वासनः श्वास को सुगंधित बनाने उपकरण का) की धार या क्षण नोक 7. च्चक, वाला एक गंधद्रव्य, विलण्ठिका वकरी, ... व्यादानम् स्तनाग्र--कु० 1140; रघु० 3 / 8 8. पक्षी की चोंच मुंह फाड़ना, जंभाई लेना, शफ (वि०) गाली देने 9. दिशा, तरफ जैसा कि 'दिङमुखं, अन्तर्मुख' में वाला, अश्लीलभाषी, बदज़बान, शुद्धिः (स्त्री०) 10. विवर, द्वार, मुंह-नीवाराः शुकगर्भकोटरमुख- मुंह को धोना या निर्मल करना, शेषः राहु का भ्रष्टास्तरूणामधः श० 1214, नदीमुखेनेव समुद्र- विशेषण,-शोधन (वि०) 1. मुंह को स्वच्छ करने वाला माविशत् - रघु० 3 / 28, कु० 118 11. प्रवेश द्वार, 2. तीक्ष्ण, तीखा, (नः) चरपराहट, तीखापन, (नम्) दरवाजा, गमन मार्ग 12. आरंभ, शुरू, सखीजनोद्वीक्षण- मुंह को साफ करना, श्री (स्त्री) 'मुख का सौन्दर्य' कोमुदीमुखम् रघु० 3 / 1, दिनमुखानिरविहिमनिग्रहै- प्रिय मुखमुद्रा, सुखम् उच्चारण की सुविधा, ध्वन्या विमलयन् मलयं नगमत्यजत् -9 / 25, 5/76, घट० त्मक सुख, सुरम् होठों की तरावट / 2 13. प्रस्तावना, 14. मुख्य, प्रधान, प्रमुख (इस अर्थ मुखम्पचः | मुख+पच् / खच्, मुम् | भिखारी, साधु / में प्रयोग समास के अन्त में) बन्धोन्मक्त्यै खल | मखर (वि) [मुख मुखव्यापार कथनं राति--रा मखमखान्कुर्वते कर्मपाशान् भामि० 4 / 21, इसी . +क] / बातूनी, वाचाल, वाक्पटु-मुखरा For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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