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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 793 ) मावन (वि.) (स्त्री०-नी) [मद्+णि+ल्युट] नशे | जिसके सुगंधि श्वेत फूल आते हैं—पत्राणामिव में चूर करने वाला दे० मादक-न: 1. कामदेव शोषणेन मरुता स्पष्टा लता माधवी-श० 3 / 10 2. धतूरा,--नम् 1. नशा करना 2. आनन्द देना, __ मेघ० 78 4. तुलसी 5. कुट्टिनी, दूती। सम. उल्लास देना 3. लौंग। -लता वासंती लता, - वनम् माधवी लताओं का मावनीयम् [ मद्+णि+अनीयर् ] एक नशीला पेय / उद्यान। मादृक्ष (वि.) (स्त्री०-ली), मावश (वि०) भादश | माधवीय (वि०) [माधव+छ] माधवसंबंधी।। (वि.) (स्त्री० --शो) [अस्मद् + दृश्+क्स माधुकर (वि०) (स्त्री-री) [मधुकर+अण्] भौंरे से (क्विप्, का वा) मदादेशः, आत्वम् ] मेरी भांति, संबद्ध या मिलता-जुलता, जैसा कि 'माधुकरी वृत्तिः' मुझसे मिलता जुलता-प्रवृत्तिसाराः खलु मादशा में,-री 1. घर 2 जाकर भिक्षा मांगना, जिस प्रकार गिरः -कि० 225, उत्तर० 2, उपचारो नैव कल्प्य मधुमक्खी एक फूल से दूसरे फूल पर जाकर मधु इति तु मादृशाः--रस० / एकत्र करती है 2. पांच भिन्न 2 स्थानों से प्राप्त मानक: [ मद्र+वा ] मद्र देश का राजकुमार / भिक्षा। मावती [ मद्र+मतुप, वत्वम् अण् मीप,] पान्ह की | माधुरम् [मधुर+अण्] मल्लिका लता का फूल / द्वितीय पत्नी का नाम / माधुरी [माधुर+हीप्] 1. मिठास, मधुर या मजेदार माडी [ मद्र+अण्+कीत् ] पाण्डू की द्वितीय स्त्री का स्वाद वदने तव यत्र माधुरी सा-भामि० 21161, नाम / सम०-मन्दनः नकुल और सहदेव का विशेषण, J -कामालसस्वर्वामाघरमाधुरीमघरयन वाचां विपाको -पतिः पाण्डु का एक विशेषण / __ मम–४|४२, 37143 2. खींची हुई शराब / / मानेयः [माद्री-ढक ] नकूल और सहदेव का बिशेषण / माषर्यम [मघर+व्या ] 1. मिठास, सहावनापन-माधुर्यमाधव (वि.) (स्त्री०-वी) [ मधु+अण, विष्णुपक्षे मीष्टे हरिणान् ग्रहीतुम्,--रघु० 18513 2. आकर्षक माया लक्ष्म्याः धव: प० त०] 1. मधु की तरह मीठा सौंदर्य, उत्कृष्ट सौन्दर्य,-रूपं किमप्यनिर्वाच्यं तनोर्मा2. शहद से बना हुआ 3. वासन्ती 4. मधु दैत्य के धुर्यमुच्यते 3. (काव्य० में) मिठास, (मम्मट के वंशजों से संबंध रखने वाला,-: कृष्ण का नाम अनुसार) काव्य रचनाओं में पाये जाने वाले तीन ---राधामाधवयोजयन्ति यमनाकले रहः केलय:-गीत. मुख्य गुणों में से एक-चित्तद्रवीभावमयो लादो 1, माधवे मा कुरु मानिनि मानमये 2. कामदेव का माधुर्यमुच्यते---सा० द. 606, दे० काव्य०८ भी। मित्र वसन्त ऋतु-स्मर पर्युत्सुक एष माधव:-कु० / माध्य (वि.) [मध्य+अण] केन्द्री, मध्यवर्ती। 4 / 28, स माधवेनाभिमतेन सख्या (अनुप्रयातः) 3 // | माध्यन्दिनः [मध्यंदिन+अण्] वाजसनेयिसंहिता की एक 23 3. वैशाख मास --भास्करस्य मधुमाधवाविव शाखा,-नम् शुक्लयजुर्वेद की एक शाखा जिसका -रघु० 1117 4. इन्द्र का नाम 5. परशुराम का अनुसरण माध्यंदिन करते है। नाम 6. यादवों का नाम (ब०व०) -शि०१६२५२ | माध्यम (वि०) (स्त्री०-मी) [मध्यम+अण्] मध्यवर्ती 7. मायण का पुत्र एक प्रसिद्ध ग्रन्थकर्ता, सायण और | अंश से संबद्ध, केन्द्रीय, मध्यवर्ती,बिल्कुल मध्य का। भोगनाथ इसके भाई थे, लोगों की मान्यता है कि | माध्यमक (वि०) (स्त्री०-मिका), माध्यमिक (वि०) माधव पन्द्रहर्वी शताब्दी में हुआ। यह बहुत ही | स्त्री०-की) [मध्यम+वुन, ठकू वा] मध्यवर्ती, प्रसिद्ध विद्वान् था, कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना का केन्द्रीय। श्रेय इसे प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि सायण | माध्यस्थं, माध्यस्थ्यम् [मध्यस्थ+अण, व्यश् वा] और माधव दोनों ने मिल कर संयुक्त रूप से चरों वेदों ___ 1. निष्पक्ष 2. तटस्थता, उदासीनता-अभ्यर्थनाभङ्गपर भाष्य लिखा- श्रुतिस्मृतिसदाचारपालको माधवो भयेन साधर्माध्यस्थ्यमिष्टेऽप्यवलंबतेऽर्थ----कु. 1152, बुधः, स्मात व्याख्याय सर्वार्थ द्विजाथं श्रौत उद्यतः / 3. मध्यस्थीकरण, बीचबचाव करना। जै० न्या० वि० / सम०-वल्ली-माधवी दे०,-श्री माध्याह्निक (वि.) (स्त्री०-की) [मध्याह्न+ठक] वसन्त कालीन सौन्दर्य / ___दोपहर से संबंध रखने वाला। माधवकः [ माधव+वा ] एक प्रकार की नशीली शराब | माध्व (वि.) (स्त्री०-ध्वी) [मधु+अण्] मधुर, मीठा, (मधु से बनाई गई)। -ध्वः [मध्व+अण्] मध्वाचार्य का अनुयायी,-ध्वी माषविका [माधवी+कन्+टाप, ह्रस्व] माधवी लता। एक प्रकार की शराब जो मधु से तैयार की __---माधविका परिमलललिते -गीत०१। जाती है। माधवी [मधु+अण्+कीप्] 1. कन्दयुक्त खांड 2. शहद | माध्वीकम् [मधुना मधूकपुष्पेण निर्वत्तम् --ईकक] एक से बनाया हुआ एक प्रकार का पेय 3. बासंती लता। प्रकार की शराब जो मधूक वृक्ष के फूलों से For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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