________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 794 ) तैयार की जाती है-चचाम मघ माध्वीकम् --भट्रि० | माननीय (वि.) [मान्+अनीयर] सम्मान के योग्य, 14 / 94 2. अंगूरों से खींची हुई शराब---साध्वी आदरणीय, प्रतिष्ठित होने का अधिकारी (संबं० के माध्वीकचिन्ता न भवति भवतः---गीत० 12 साथ)- मेनां मुनीनामपि माननीयाम्---कु० 1318, (=मधो-टी०) 3. अंगूर / सम०-~फलम् एक रघु० 1 / 11 / / प्रकार का नारियल। मानव (वि.) (स्त्री०-वी) [मनोरपत्यम् अण] मन से मान् / (भ्वा० आ० 'मन्' का इच्छा 0= मीमांसते) संबंध रखने वाला, या मनु के वंश में उत्पन्न --मानii (म्वा० पर०, चुरा० उभ० ='मन्' का प्रेर०) वस्य राजर्षिवंशस्य प्रसवितारं सवितारम्-उत्तर० मानः [मन+घञ्] आदर, सम्मान, प्रतिष्ठा, सादर 3, मनु० 12 / 107 2. मानवसंबंधी,-वः 1. मनुष्य, विचार-मानद्रविणाल्पता-पंच० 21159, भग०६७, आदमी, इंसान,-मनोर्वशो मानवानां ततोऽयं प्रथितोऽइसी प्रकार 'मानधन' आदि 2. गर्व (अच्छे भाव में) भवत्, ब्रह्मक्षत्रादयस्तस्मान्मनोजांतास्तु मानवा:-महा०, आत्मनिर्भरता, आत्मप्रतिष्ठा-जन्मिनो मानहीनस्य मनु० 2 / 9, 5 / 35 3. मनुष्यजाति (ब०६०),-वम् तृणस्य च समागति: - पंच० 11106, रघु० 16181 एक विशेष प्रकार का दंड / सम०-इन्द्र,--देवः, 3. अहंकार, घमण्ड, अवलेप, आत्मविश्वास 4. सम्मान -पतिः मनुष्यों का स्वामी, राजा, प्रभु०-रघु० की आहत भावना 5. ईायक्त क्रोध, डाह के कारण 14 / 32 ...धर्मशास्त्रम् मनुसंहिता, मनुस्मृति,---राक्षस: उद्दीप्त रोष (विशेषतः स्त्रियों में), क्रोध,-मंच मयि मनुष्य के रूप में राक्षस या पिशाच तेऽमी मानवमानमनिदानम्-गीत० 10, माधवे मा कुरु मानिनि राक्षसाः परहितं स्वार्थाय निघ्नन्ति ये-भर्तृ० 274 / मानमये-९, शि० 984, भामि० २५६-नम् मानबत् (वि.) [मान+मतुप, बत्वम्] घमंडी, अहंकारी, 1. मापना 2. माप, मापदण्ड 3. आयाम, संगणना अभिमानी, दर्पवान्,-ती घमंडी या दर्पोद्धत स्त्री 4. मापदण्ड, मापने का डंडा, मानदण्ड 5. प्रमाण (ईर्ष्या के कारण क्रुद्ध) / सत्ताधिकार, प्रमाण या प्रदर्शन के साधन,-येऽमी मानव्यम् [मानव+यत् (माणव्यम् भी) लड़कों का समूह / माधुर्योजःप्रसादा रसमात्रधर्मतयोक्तास्तेषां रसधर्मत्वे मानस (वि.) (स्त्री०-सी) [मन एव, मनस इदं वा कि मानम् - रस०, मानाभावात्, (विवादास्पद भाषा अण] 1. मन से संबंध रखने वाला, मानसिक, आत्मिक में बहुधा प्रयुक्त)6. समानता, मिलना-जुलना / सम० (विप० शारीरिक) 2. मन से उत्पन्न, इच्छा से --आसक्त वि०) दर्पवान, अहंकारी, घमंडी,-उन्नतिः उदित-कि मानसी सृष्टि:-श०४, कु. 1218, (स्त्री.) बहुत आदर, भारी सम्मान,- उन्माव: भग० 1016 3. केवल मनसा विचारणीय, कल्पनीय घमंड का नाश,-कलहः,--कलिः ईर्ष्यायुक्त क्रोध से 4. उपलक्षित, ध्वनित 5. 'मानस' सरोवर पर रहने उत्पन्न झगड़ा,-क्षतिः (स्त्री०)-गः-हानिः वाला,—स: विष्णु का एक रूप, सम् 1. मन, हृदय (स्त्री०) सम्मान को क्षति, दीनता, अपमान, अप्र- -सपदि मदनानलो दहति मम मानसम-गीत०१०, तिष्ठा,-प्रन्थिः सम्मान या गर्व की क्षति-द (वि०) अपि च मानसमण्डनविधिः-भामि० 1113, मानस 1. सम्मान करने वाला 2. घमंडो,--दण्डः मापने का ! विषविना (भाति) 116 2. कैलाश पर्वत पर डंडा, गज-स्थितः पृथिव्या इव मानदण्ड:---कु० 111, स्थित एक पुनीत सरोवर-कैलाशशिखरे राम मनसा --धन (वि.) सम्मानरूपी धन से समृद्ध-महौजसो निर्मितं सरः, ब्रह्मणा प्रागिदं यस्मात्तदभून्मानसं सरः / मानधना धनाचिताः - कि० १११९,-धानिका ककड़ी, राम (कहा जाता है कि यह सरोवर ही राजहंसों -परिखण्डनम् मानध्वंस, दीनता,-भङ्ग दे० 'मानक्षति', की जन्मभूमि है, राजहंस प्रतिवर्ष प्रसवकाल के आरंभ -महत् (वि.) गौरव से समुद्ध, अत्यंत दर्वीला होने के अवसर पर या बरसाती हवाओं के आगमन -कि जीणं तृणमत्ति मानमहतामग्रेसरः केसरी-भर्तृ० पर इस सरोवर के तट पर आ विराजते हैं--मेघ२।२९,-योगः माप तोल की ठीक रीति-मन श्यामा दिशो दृष्ट्वा मानसोत्सुकचेतसाम्, कूजितं ९।३३०,-रन्ध्रा एक प्रकार की जलमड़ी, एक छिद्र रांजहंसानां नेदं नपुरशिञ्जितम्-विक्रम०४।१४, 15, युक्त जलकलश जो पानी में रखा हुआ शनैः शनैः यस्यास्तोये कृतवसतयो मानसं संनिकृष्टं नाध्यास्यन्ति भरता रहता है, उसी से समय की माप की जाती व्यपगतमुचस्त्वामपि प्रेक्ष्य हंसा:-मेघ०७६ दे० मेघ. है,--सूत्रम् 1. मापने की डोरी 2. (सोने की) जंजीर 11, घट०९ भी) रघु०६।२६, मेघ० 62, भामि० जो शरीर में पहनी जाय, करधनी। 113 3. एक प्रकार का नमक। सम०-आलयः मान:शिल (वि.) [मनःशिला+अणु] मैनसिल से युक्त / राजहंस, मराल, - उत्क (वि.) मानसरोवर जाने के माननं,-ना [मान् + ल्युट, स्त्रियां टाप् च] 1. सम्मान लिए उत्सुक मेघ० ११,--ओकस्,—चारिन् (पुं०) करना, आदर करना 2. हत्या--शि०१६।२। राजहंस-जन्मन् (पुं०) 1. कामदेव 2. राजहंस / For Private and Personal Use Only