SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 801
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 792 ) व.) मातकुल के रिश्तेदारों का समूह, वे ये हैं-मातुः का अनुवाद 'ज्योंही' 'ही' आदि है, विद्धमात्र:-रघु० पितुः स्वसुः पुत्रा मातुर्मातुः स्वसुः सुता: मातुर्मातुल- 5 / 51, 'ज्योंही वह वेधा गया त्योंही' 'बींधे जाने पुत्राश्च विज्ञेया मातृबांधवाः, * मण्डलम् देवमातृकाओं पर ही', भुक्तमात्रे, 'खाने के बाद ही', प्रविष्टमात्र का समूह, मात (स्त्री०) पार्वती का विशेषण, मुखः एव तत्रभवति -- श० 3 आदि / मुर्ख व्यक्ति, भोंदू,—यशः देवमातृकाओं के निमित्त मात्रा [मात्र+टाप ] 1. माप -देखो 'मात्रम्' ऊपर किया गया यश,-वत्सलः कार्तिकेय का विशेषण,-स्वसू 2. मापदंड, मानक, नियम 3. सही माप 4.'माप को (स्त्री०) (मातृष्वस या मातुःस्वस) माता की बहन, इकाई, एक फुट 5. क्षण 6. कण, अणु 7. भाग, अंश मौसी, स्वसेयः (मातृष्वसेयः) माता की बहन का -सुरेन्द्रमात्राश्रितगर्भगौरवात-रघु० 3 / 11 8. अल्पांश, पुत्र (यो) मौसी की पुत्री, इसी प्रकार मातृष्व. अल्प परिमाण, छोटी माप - दे. मात्र (3) 9. अर्थ, स्त्रीयः-या। महत्त्व-राजेति कियती मात्रा--पंच० 140, 'राजा मातक (वि.) [मातृठम] 1. माता से आया हुमा, किस अर्थ का है, क्या महत्त्व है उसका' अर्थात् मैं या उत्तराधिकार में प्राप्त--मातकं च धनुरूजितं उसे कोई महत्त्व नहीं देता--कायस्थ इति लध्वी मात्रा दषत्-रघु० 11764, 90 2. माता संबंधी,-क: मु०१ 10. धन, संपत्ति 11. (छन्दः शास्त्र में) एक मामा,--का 1. माता 2. दादी 3. धात्री, दाई 4. स्रोत, मात्रा का क्षण, ह्रस्व स्वर को उच्चारण करने में लगने मूल 5. देवमातृका 6. अक्षरों में लिखे हुए कुछ वाला काल 12. तत्त्व 13. भौतिक संसार, भतद्रव्य रेखाचित्र जो जादू की शक्ति रखने वाले कहे जाते 14. नागरी के अक्षरों का ऊपरी (अतिरिक्त) भाग, हैं 7. इस प्रकार प्रयुक्त की गई वर्णमाला (ब० व०)। अर्थात् मात्रा 15. कान की बाली 16. आभूषण, अलंमात्र (वि.) (स्त्री०-त्रा, श्री) [मा+त्रन्] 'इतनी माप कार / सम-छम्बस, आधीमात्रा का अण,-छन्दस, का जितना कि 'इतना ऊँचा लंबा या चौड़ा जितना -वृत्तम्, वह छंद जिसका विनिमय मात्राओं की कि' 'वहाँ तक पहुंचता हुआ जहां तक कि' अर्थों को गिनती के आधार पर होता है-उदा० आर्या,-भस्त्रा प्रकट करने के लिए संज्ञाओं के साथ जोड़ा जाने बटवा,-सङ्गः गार्हस्थ्य सामग्री या संपत्ति में आसक्ति वाला प्रत्यय, जैसा कि ऊरुमात्री भित्तिः (इस अर्थ या अनुराग-मनु०६।५७,-समकः एक प्रकार के छेदों में समास के अन्त में 'मात्रा' शब्द का प्रयोग भी का समूह दे० परिशिष्ट 1,- स्पर्शः भौतिक संपर्क, चिन्तनीय है, दे० नी०),--त्रम् 1. एक माप (चाहे भौतिक तत्त्वों के साथ इन्द्रियों का संयोग, -- भग० वह लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई की हो; चाहे डीलडौल, 2 / 14 / स्थान, दूरी या संख्या की हो, प्रयोग बहुधा समास | मात्रिका [ मात्रा-+टक-+टाप् ] मात्रा, या छन्दः शास्त्र के अन्त में - उदा. अंगुलिमात्रम् अंगुलि के बराबर का ह्रस्वस्वर के उच्चारण में लगने वाला क्षण चौड़ाई; किंचिन्मात्रं गत्वा कुछ दूरी, क्रोशमाने एक (=मात्रां)। कोस की दूरी पर रेखामात्रमपि रेखा तक की चौड़ाई | मात्सर (वि.) (स्त्री० रो), मात्सरिक (वि०) भी, इतनी चौड़ाई जितनी कि एक रेखा की होती | (स्त्री० की) [ मत्सर+अण, ठक् वा ] डाह करने है;--रघु० 217, इसी प्रकार क्षणमात्रम् निमिषमा- वाला, ईर्ष्याल, विद्वेषी, असूयाय क्त। त्रम् एक क्षण का अन्तराल, शतमात्रम् संख्या में सौ, | मात्सर्यम् [ मत्सर + ष्यत्र ] ईर्ष्या, डाह, असूया, विद्वेष गजमात्रम् इतना ऊँचा या बड़ा जितना कि हाथी ___ -- अहो वस्तुनि मात्सर्यम् -- कथा० 21149, कि० तालमात्र, यवमात्रम् आदि 2. किसी चीज का पूरा 3153 / माप, वस्तुओं को पूर्ण समष्टि, राशि-जीवमात्र या मात्स्यिकः [ मत्स्य+ठक ] गछुवा, माहीगीर / प्राणिमात्रम् जीवधारियों प्राणियों का समस्त समदाय, मायः| मथ+धा 11. बिलोना, मंथन, विलोडन करना मनुष्यमात्रो मत्यः, प्रत्येक मनुष्य मरणशील है। 2. हत्या, विनाश 3. मार्ग, सड़क / 3. किसी चीज का सामान्य माप, केवल एक बात का मापुर (वि०) (स्त्री-री) [ मथुरा- अण् ] 1. मथुरा उससे अधिक नहीं, इसका अनुवाद प्रायः 'केवल,' से आया हुआ 2. मथुरा में उत्पन्न 3. मथुरा में रहने 'सिर्फ' या 'भी, ही आदि शब्दों से किया जाता है; वाला। -जातिमात्रेण हि० 1158, केवल जाति से; टिट्टिभ- मावः [मद्+घ ] 1. नशा, मस्ती 2. हर्ष, खुशी मात्रेण समुद्रो व्याकुलीकृत:-२११४९, केवल टिटहरे 3. घमंड, अहंकार / / के द्वारा, वाचामात्रेण जप्यसे--श० 2, केवल वाणी | मादक (वि.) (स्त्री०—विका) [ मद्-+-णिच् ण्वुल ] द्वारा' इसी प्रकार अर्थमात्रम्, संमानमात्रम्-पंच० 1. नशा करने वाला, उन्मत्त बनाने वाला, बेहोश 1583 त्तान्त शब्दों के साथ जुड़ कर 'मात्र' शब्द करने वाला 2. आनन्ददायक,-पः जलकुक्कुट / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy