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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभी खुला न हो) 2. सम्मान करना 3. उदासी, / मातिः (स्त्री०) [मा--क्तिन्] 1. माप 2. चिन्तन, विचार, खिन्नता 4. निर्धनता 5. क्रोध, आवेश 6. वस्त्र की प्रत्यय / किनारी या झालर ( घोट) 7. दुहरा दाँत मातुलः [मातुओता मातृ-डुलच] 1. मामा-भग० माणवः [ मनोरपत्यम् अण्, अल्पार्थे णत्वम् ] 1. लड़का, 1 / 26 मनु० 21130, 5 / 81 2. धतूरे का पौधा बालक, छोकरा, बच्चा 2. छोटा मनुष्य, मुण्डा 3. एक प्रकार का सांप / सम० पुत्रक: 1. मामा का (तिरस्कार सूचक) 3. सोलह (बीस) लड़ियों की बेटा 2. धतूरे का फल / मोतियों की माला। मातुलङ्गः दे० मातुलिंगः / माणवकः [माणव-कन् ] 1. लड़का, बालक, बच्चा, मातुला, मातुलानी, मातुली [मातुल+टाप, ङीष्, वा, पक्षे छोकरा (प्राय: तिरस्कारसूचक के रूप में प्रयक्त) आनुक च] 1. मामी, मामा की पत्नी-मनु० 2 / 131, 2. छोटा मनुष्य, बौना, मुंडा-मायामाणवक हरिम् याज्ञ० 21232 2. पटसन / - भाग 3. मूर्ख व्यक्ति 4. छात्र धर्मशास्त्र पढ़ने मातुलिङ्गः, मातुलङ्गः मातुल+गम्+खच, मुम्, पृषो० वाला, विद्यार्थी 5. सोलह (या बीस) लड़ियों की साधुः] एक प्रकार का नींबू का वृक्ष- (भुवो) भागाः मोतियों की माला। प्रेखितमातुलङ्गवृतयः प्रेयो विधास्यन्ति वाम-मा० माणवीन (वि०) [ माणवस्येदं खञ् ] बालकों जैसा, ६।१९,-गम् इस वृक्ष का फल, चकोतरा। बच्चों जैसा। मातुलेयः (स्त्री--पी) [मातुल+छ, मातुली+तुक वा] माणव्यम् [माणवानां समूहः यत्] बच्चों या छोकरों की मामा का पुत्र / टोली। मात (स्त्री०) [मान् पूजायां तच न लोपः] 1. माँ, माता माणिका [मान्+घञ् नि० णत्वम् +कन्+टाप् इत्वम् -मातृवत्परदारेषु यः पश्यति स पश्यति, सहस्रं तु पितृन् एक विशेष बाट (आठ पल वजन के बराबर) या माता गौरवेणातिरिच्यते सुभा० 2. माता (आदर तोल। तथा वात्सल्य सूचक)-मातर्लक्ष्मि भजस्व कंचिदपरम् माणिक्यम् [मणि+कन्-+-व्यञ] लाल / -भर्त० 3164, 87, अयि मातर्देवयजनसंभवे देवि माणिक्या [माणिक्य+टाप] छिपकली। सीते-- उत्तर 4 3. गाय 4. लक्ष्मी का विशेषण माणिबन्धम, माणिमन्थम् [मणिबंध (मन्थ) + अण्]. सेंधा 5. दुर्गा का विशेषण 6. अन्तरिक्ष, आकाश 7. पृथ्वी नमक। 8. देव माता-मातृभ्यो बलिमुपहर -मृच्छ० 1 (ब० माण्डनिक (वि०) (स्त्री० की) [मण्डन+ठक] किसी व०) देव माताओं का विशेषण, जो शिव की परि चारिका कही जाती हैं परन्तु बहुधा स्कन्द की परिचर्या वाला, कः प्रान्त का शासक, राज्यपाल / में लिप्त रहती हैं (ये गिनती में आठ है-ब्राह्मी मातङ्गः [मतङ्गस्य मुनेरयम् अण्] 1. हाथी-शि० 1 / 64 माहेश्वरी चंडी वाराही वैष्णवी तथा, कौमारी चैव 2. नीचतम जाति का पुरुष, चाण्डाल 3. किरात, भील चामुंडा चचिकेत्यष्टमातरः। कुछ के मत में वह केवल पहाड़ी या बर्वर 4. (समास के अन्त में) कोई भी सात है----ब्राह्मी माहेश्वरी चैव कौमारी वैष्णवी तथा, सर्वोत्तम वस्तु-उदा० बलाहक मातंगः / सम. माहेन्द्री चैव वाराही चामुंडा सप्त मातरः : कुछ लोग --दिवाकरः एक कवि का नाम,-नकः हाथी जैसा इनकी संख्या 16 तक बतलाते हैं)। सम० केशट: विशाल मगरमच्छ-रघु०१३।११। मामा,-गणः देव माताओं का समह, गम्धिनी विपरीत मातरिपुरुषः [अलुक् समास] 'वह जो घर में अपनी माता स्वभाव वाली माता,-गामिन (पं०) माता के साथ गमन करने वाला,-गोत्रम् मातृकुल,-पातः, कायर, शेखीखोरा, बुजदिल / ---घातकः,---घातिन् (पुं०), नः माता की हत्या मातरिश्वन् (पुं०) [मांतरि अन्तरिक्ष श्वयति वर्धते करने वाला,--घातुकः 1. मातृहन्ता 2. इन्द्र का शिवकनिन् डिच्च, अलक स०] वाय-पुनरुषसि विशेणष,---चक्रम् देवमाताओं का समूह,--देव (वि.) विविक्तः मातरिश्वावर्ण्य ज्वलयति मदनाग्नि जो माता को ही अपना देवता मानता है, माता को देवता मालतीनां रजोभिः शि० 11117, कि० 5 / 36 / / की भांति पूजने वाला,-नन्दनः कार्तिकेय का विशेषण, मातलिः [मतलस्यापत्यं पुमान्---मतल+इन.] इन्द्र के पक्ष-(वि.) मातृकुल से संवद्ध, (-क्षः) मामा, सारथि का नाम / सम० सारथिः इन्द्र का विशेषण / नाना आदि,-पित (द्वि०व०) (मातापितरौ या माता [मान् पूजायां तुच न लोपः] माता, माँ।। मातरपितरौ) माता-पिता,-पुत्रौ (मातापुत्री) मां मातामहः [मातृ +डामह] नाना, ...हो (द्वि० व.) नाना और बेटा,-पूजनम् देवमातृकाओं को पूजा,-बन्धुः, नानी, ही नानी। बान्धवः मातृकुल के संबंधी-रघु० 12 / 12, (ब० For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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