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अभिगमः-गमनम् [अभिगम्+अप, ल्युट् वा ] 1. (क)। करना । सम--स्बर: जादू के मंत्रों द्वारा किया गय।
उपागमन, पास जाना या आना, दर्शनार्थ गमन, पहुँ- बुखार,-मंत्रः जादू का गुर, जादू करने के लिए मंत्रचना, तवाहतो नाभिगमेन तृप्तम्-रघु० ५।११, फेंकना,-शि० ७५८,--यज्ञः,-होमः जादू टोन के १७७२, ज्येष्ठाभिगमनात्पूर्व तेनाप्यनभिनन्दिता- लिए किया जाने वाला यज्ञ, होम। १२१३५,2. संभोग (स्त्री या पुरुष के साथ)-परदा- अभिचारक) (वि.) (स्त्रियाम–रिकी,—रिणी) [अभि राभिगमनम्-का० १४७, प्रसह्य दास्यभिगमे-या० |
अभिचारिन् । +चर+ण्वुल, णिनि वा] अभिचार २२२९१।
करने वाला, जादू टोना करने वाला,-कः,-री ऐन्द्रअभिगम्य (सं० कृ०) [अभिगम्+य] 1. उपागम्य, दर्शनीय
जालिक, जादूगर। अन्विष्य, कु०६।५६, 2. प्राप्य, आमन्त्रक,-भीमकान्त पगुणैः... अधृष्यश्चाभिगम्यश्च-रघु०१।१६,।
अभिजन: [अभि+जन+घञ अवृद्धिः ] 1. (क) कुटुम्ब, अभिगर्जनम्-1 [अभिगर्ज +त्युद, क्त वा ] जंगली तथा
वंश, अन्वय (ख) जन्म,उत्पत्ति, कुल 2. उत्तम कुल अभिजितम् । भीषण दहाड़, चीत्कार।
में जन्म, उत्तम कुटुम्ब में उत्पत्ति;-स्तुत्यं तन्महात्म्य अभिगामिन (वि.) [अभि+गम्+णिनि ] निकट जाने
यदभिजनतो यच्च गुणत:--मा० २।१३, शीलं शैलवाला, संभोग करने वाला, ।
तटात्पतत्वभिजन: संदह्यतां वह्निना-भर्तृ० २, ३९, अभिगुप्तिः (स्त्री०)[अभि+गुप+क्तिन] संरक्षण, बचाव ।
3. जन्मभूमि, मातृभूमि, बापदादाओं की जन्मभूमि अभिगोप्त (पुं०) [ अभि+गुप्-+तृच् ] बचाने वाला,
(विप० निवास), यत्र पूर्वैरुषितं सोऽभिजन:-सिद्धा.
4. ख्याति, प्रतिष्ठा 5. घर का मुखिया या कुलभूषण संरक्षक। अभिप्रहः [अभि+ग्रह +अच् ] 1. छीन लेना, ठगना,
(श्रेष्ठव्यक्ति), 6. अनुचर, परिजन ।। लूटना 2. धावा, हमला 3. ललकार 4. शिकायत 5.
अभिजनवत् (वि०) [ अभिजन+मतुप् ] उच्च कुल का, अधिकार, प्रभाव।
उत्तम वंश में उत्पन्न,-°वतोभर्तुः इलाध्ये स्थिता गृहिणी अभिग्रहणम् [ अभि+ ग्रह, ल्युट ] लूटना, छीन लेना।
पदे-श० ४।१८।। अभिघर्षणम [ अभि+ +ल्युट ] 1. रगड़ना, झगड़ना,
| अभिजयः [अभि---जि+अच्] जीत, पूर्ण विजय । 2. बुरी भावना से अधिकार करना।
अभिजात (भू.क. कृ.) [अभि+जन्+क्त] 1. (क) अभिधातः [ अभि+हन+घञ्] 1. आघात करना,मारना
उत्पन्न, भग० १६।३।५, (ख) सर्वथा विकसित (ग) चोट पहुँचाना, प्रहार, तटाभिधातादिव लग्नपड़े
योग्य 2. जन्मा हुआ, पैदा हुआ 3. कुलीन, उच्चकुल -कु. ७४४९, 2. विध्वंस, पूर्ण नाश, समलोच्छेदन
में उत्पन्न, उच्च वंश में जन्म लेने वाला,-जात्यस्तेना--दुःखत्रयाभिघाताज्जिज्ञासा तदभिघातके हेती-सां०
भिजातेन शूरः शौर्यवता कुश:--रघु० १७१४, शिष्ट, का० १, -तम् कठोर उच्चारण (सन्धि नियमों की
नम्र-अभिजातं खल्बस्य वचनम-विक्रम० १, 4. उपेक्षा के कारण)।
योग्य, उचित उपयुक्त 5. मधुर, रुचिकर,--प्रजल्पिताअभिघातक (वि.) [स्त्री० -तिका] (मारकर) पीछे
यामभिजातवाचि-कु. ११४५, 6. मनोहर, सुन्दर हटाने वाला, दूर कर देने वाला।
7. विद्वान, बुद्धिमान, विवेकशील,-संकीर्ण नाभिजातेषु अभिघातिन् (पुं०) [ अभि-+हन्+णिनि ] शत्रु ।
नाप्रबुद्धेषु संस्कृतम् (वदेत्)। अभिधारः [ अभि-++णिच्+घञ्] 1. घी 2. यज्ञ में
अभिजाति: (स्त्री०) [अभि+जन्+क्तिन्] उत्तम कुल में घी की आहुति, प्रणीतपृषदाज्याभिधारघोरस्तनूनपात्
___ जन्म । -महावी० ३ ।
अभिजिघ्रणम् [ अभि-+घ्रा+ल्यूट जिघ्रादेश: ] नाक से अभिधारणम् [ अभि++णिच+ल्युट् ] षी छिड़कना । सिर का स्पर्श करना (स्नेहसूचक चिह्न)। अभिप्राणम् [ अभि+प्रा-ल्युट् ] सिर सूंघना (स्नेह- अभिजित् (पुं) [अभि + जि+क्विप्] 1. विष्णु 2. एक सूचक चिह्न)।
नक्षत्र का नाम । अभिचरः [अभि+चर+अच ] अनुचर, सेवक ।
अभिज्ञ (वि.) [अभि+जा+क] 1. जानने वाला, जानअभिचरणम् [अभि+चर+ल्युट्] 1. झाड़ना-फूंकना, जादू कार, अनुभवशील, कुशल (संब० या अधिक के साथ
टोना, बुरे कामों के लिए मंत्र पढ़ कर जादू करना, अथवा समास में)-यद्वा कौशलमिन्द्रसूनुदमने तत्राप्यइन्द्रजाल 2. मारना ।
भिज्ञो जन: --उत्तर० ५।३४, अभिज्ञाच्छेदपातानां अविचारः [ अभि+च+घञ्] 1. (मंत्रादि द्वारा) क्रियन्ते नन्दनद्रुमाः–कु० २०४१, मेघ० १६, रघु०
झाड़ फुक करना, मंत्रमुग्ध करना, जादू के मंत्रों का ७।६४, अनभिज्ञो भवान्सेवाधर्मस्य-१,2. कुशल, दक्ष, बुरे कामों के लिए प्रयोग करना, जादू, करना 2. हत्या । चतुर,--शा 1. पहचान 2. याद, स्मृति चिह्न।
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