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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कु० 5 / 17 2. विरोधिता, शत्रुता---रघु० 3 / 60 / मथ् दे० मन्थ / 3. घमंड -शि० 8 / 71, 4. लोभ, लालच 5. क्रोध, | मथ माथ / कोपावेश 6. डांस या मच्छर / मथन (वि०) (स्त्री० --नी) [ मथ्-+ ल्युट ] 1. बिलोने मत्सरिन् (वि.) [ मत्सर+इनि ] 1. ईर्ष्याल, डाह वाला, मंथन करने वाला 2. चोट पहुंचाने वाला, करने वाला-परवृद्धिमत्सरि मनो हि मानिनाम्-शि० क्षति देने वाला 3. मारने वाला, नष्ट करने वाला, 15 / 1, 21115 दुष्टात्मा परगुणमत्सरी मनुष्यः नाशक-मुग्धे मधुमथनमनुगतमनुसर राधिके --गीत -मृच्छ० 9 / 27, रघु०१८।१९ 2. विरोधी, शत्रुतापूर्ण 2- नः एक वृक्ष का नाम,----नम् 1. मन्थन करना, 3. लालायित, स्वार्थरत (अधि० के साथ) 4. दुष्ट / बिलोना, विक्षुब्ध करना 2. घिसना, रगड़ना 3. क्षति, मत्स्यः [ मद्+स्यन् ] 1. मछली-शले मत्स्यानिवा चोट, नाश / सम०-अचल:- पर्वतः मन्दराचल पक्ष्यन् दुर्बलान्बलवत्तराः - मनु०७।२० 2. मछलियों पहाड जिसको रई का डंडा बनाया गया था। की विशेष जाति 3. मत्स्य देश का राजा, स्यौ मथिः [ मथ+इ] रई का डंडा / / (द्वि० व०) मीन राशि,-स्याः (ब० ब०) एक मथित (भू० क० कृ०) [ मथ्+क्त ] 1. मथा गया, देश तथा उसके अधिवासियों का नाम-मनु० 2019 बिलोया गया, विक्षुब्ध किया गया, खूब हिलाया गया याज्ञ० 1283, / सम-अक्षका,--अक्षी एक विशेष 2. कुचला गया, पीसा गया, चुटकी काटी गई 3. कष्टप्रकार की सोमलता, अद्, अदत:--आव (वि.) ग्रस्त, दुःखी, अत्याचार पीडित 4. वध किया हुआ, मछलियाँ खाकर पलने वाला, मत्स्यभक्षी,--अवतारः नाश किया हुआ 5. स्थानभ्रष्ट (दे० मन्थ्), तम् विष्णु के दस अवतारों में सबसे पहला अवतार (बिना पानी डाले) मथा हुआ विशुद्ध मट्ठा / (सातवें मनु के शासनकाल में दूषित हुई सारी पृथ्वी | मथिन् (पुं०) [ मथ्+इनि] (कर्तृ० ए० ३०-मथाः कर्म० बाढग्रस्त हो गई और पावन मनु तथा सप्तर्षियों ब० व० मथः) रई का डंडा--मुहुः प्रणुन्नेषु मथां (इनको विष्णु ने मछली बनाकर बचा लिया था) को विवर्तनैर्नदत्सु कुम्भेषु मृदङ्गमन्थरम् कि०४।१६, ने० छोड़कर सब जीवधारी प्राणी कालकवलित हो गये) 22 / 44, 2. वायु 3. उज, 4. पुरुष का लिंग। तु० इस अवतार का जयदेवरचित वर्णन-प्रलयपयो- मयु (थ) रा [ मथ् +उ (ऊ) रच्+टाप् ] यमुना नदी धिजले धृतवानसि वेदं विहितवहिनचरित्रमखेदं के दक्षिणी किनारे पर बसा हुआ एक प्राचीन नगर, केशव धृतमीनशरीर जय जगदीश हरे-- गीत० 1, कृष्ण की जन्मभूमि तथा उसके कारनामों का स्थल, --अशनः 1. रामचिरैया (एक शिकारी पक्षी) यह भारत की सात पुण्यनगरियों में एक है, (दे० 2. मत्स्यभक्षी, असुरः एक राक्षस का नाम, --आजीवः अवन्ति) और आज भी हजारों की संख्या में भवत मछुया, आधानी-धानी मछलियाँ रखने की टोकरी लोग दर्शनार्थ यहाँ जाते हैं। कहा जाता है कि इस (जिसे मछुवे प्रयुक्त करते है)-उदरिन् (पुं०) नगर को शत्रुघ्न ने बसाया था --निर्ममे निर्ममोऽर्थेषु विराट का विशेषण,उदरी सत्यवती का विशेषण मथुरां मधुराकृति:-रघ० 1518, कलिन्दकन्या मथुरा --उदरोयः व्यास का विशेषण,- उपजीविन् (पुं०) गताऽपि गनोर्मिसंसक्तजलेष भाति-९।४८, / सम० मछवा,-करण्डिका मछलियाँ रखने की टोकरी,.... गन्ध --ईशः,-नाथः कृष्ण का विशेषण। (वि०) मछली की गंध रखने वाला, (धा) सरस्वती | मद् उत्तमपुरुष सर्वनाम के एक वचन का रूप जो प्रायः का नाम-घण्टः एक प्रकार की मछली की चटनी समस्त शब्दों के आरम्भ में प्रयुक्त होता है --यथा ---घातिन्--जीवत्, -जीविन् (पुं०) मछुवा,-जालम् मदर्थे, 'मेरे लिए' 'मेरी खातिर' 'मच्चित्त' 'मेरे विषय मछलियाँ पकड़ने का जाल, देशः मत्स्यवासियों का में सोचकर' मद्वचनम्, मत्सन्देश:, मत्प्रियम् आदि / देश,-नारी सत्यवती का विशेषण,-नाशकः-नाशनः मदi (दिवा० पर० माद्यति, मत्त) 1. मस्त होना, नशे मत्स्यभक्षी उकाव, कुररपक्षी-पुराणम् अठारह में चूर होना-वीक्ष्य मद्यमितरा तु ममाद--शि० पुराणों में से एक,--बन्धः,-बन्धिन् (पुं०) मछुवा 10 / 27. 2. पागल होना 3. आनन्द मनाना, खुशी -बन्धनम् मछली पकड़ने का कांटा, बंसी,---बन्ध मनाना 4. प्रसन्न या हृष्ट होना / प्रेर० (मादयति) (धि) नी मछलियाँ रखने की टोकरी,-रडुः,-रङ्गः, 1. नशे में चूर करना, मदोन्मत्त करना, पागल बना -रखक: रामचिरैया (मछली खाने वाला एक देना 2. (मदयति) उल्लसित करना, प्रसन्न करना, शिकारी पक्षी),---वेधनम्, -वेधनी मछली पकड़ने खुश करना-मा० 1236 3. प्रणयोन्माद को उत्तेजित को बंसी, सधातः मछलियों का झुंड,—मत्स्यतिका, करना-मा० 316, उद्-, 1. मस्त या नशे में चूर मत्स्यण्डी मोटी या बिना साफ की हुई चीनी - ही ही होना (आलं० से भी) 2. पागल होना-मनु०३। इयं सीधुपानोरेजितस्य मत्स्यण्डिकोपनता-मालवि०३।। 161, प्रेर०- नशे में चूर करना, मदोन्मत्त करना For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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