________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पर्यवेक्ष मिलात, असा मत (भू० क० कृ०) [मन्+क्त] 1. चिंतित, विश्वसित, प्रज्ञावान्, बुद्धिमान्, चतुर,-वैषम् मतभिन्नता, कल्पित 2. सोचा हुआ, माना हुआ, खयाल किया ---निश्चयः निश्चित विश्वास, दृढ़ विश्वास,-पूर्व हुआ, समझा हुआ 3. मूल्यवान् माना हुआ, सम्मानित, (वि०) साभिप्राय, स्वेच्छाचारी, यथेच्छ,–पूर्वम्, प्रतिष्ठित-रघु० 2 / 16, 884. प्रशंसित, मूल्य- -पूर्वकम् (अध्य०) सप्रयोजन, साभिप्राय, स्वेच्छा वान् 5. अटकल लगाया हुआ, अनुमान लगाया हुआ से, खुशी से,-प्रकर्षः बुद्धि की श्रेष्ठता, चतुराई,-भेवः 6. मनन किया हुआ, चिन्तन किया हुआ, प्रत्यक्ष विचारभिन्नता,--भ्रमः,-विपर्यास: 1. व्यामोह, मानकिया गया, पहचाना गया 7. सोचा गया 8. अभिप्रेत सिक भ्रम, मन को भ्रान्ति-श० 6 / 9 2. श्रुटि, उद्दिष्ट 9. अनुमोदित, स्वीकृत (दे० मन्),--तम् गलती, भूल, गलतफहमी,---विभ्रमः,-विभ्रंशः मन चिन्तन, विचार, सम्मति, विश्वास, पर्यवेक्षण-निश्चितं- की अव्यवस्था या दीवानापन, पागलपन, उन्माद, मतमुत्तमम्-भग० 1816, केषांचिन्मतेन-आदि -शालिन् (वि.) बुद्धिमान्, चतुर, होन (वि०) 2. सिद्धांत, उसूल, पन्थ, धर्ममत, विश्वास-ये मे मत- मूर्ख, अज्ञानी, मूढ़। मिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवा:-भग० 3 / 31 3. उप- मत्क (वि.) [अस्मदकन, मदादेशः] मेरा-संशृणव देश, अनुदेश, सलाह 4. उद्देश्य, योजना, अभिप्राय, कपे मकैः संगच्छस्व वनैः शुभैः-भट्टि० 8 / 16, प्रयोजन 5. समनुमोदन, स्वीकृति प्रशंसा। सम० -कः खटमल। -अक्ष (व.) पासे के खेल में प्रवीण,- अन्तरम् मत्कुणः [मद्+क्विप, कुण+क, ततः कर्म० स०] 1. खट1. भिन्न दृष्टि 2. भिन्न पन्थ,-अवलम्बनम् विशेष मल-मत्कुणाविव पुरापरिप्लवी-शि०१४।६८, प्रकार की सम्मति रखना। 2. बिना दाँत का हाथी 3. छोटा हाथी 4.बिना दाढ़ी मतङ्गः [माद्यति अनेन-मद्+अङ्गच दस्य तः ... तारा०] का मनुष्य 5. भैस 6. नारियल का पेड़,-णम् टांगों 1. हाथी 2. बादल 3. एक ऋषि का नाम-रघु० या जंघाओं के लिए कवच / सप०-अरिः पटसन 5 / 33 / का पौधा। मतङ्गाजः [ मतङ्ग+जन्+ड] हाथी-न हि कमलिनी मत्त (भ० क० कृ०) [मद्+क्त] 1. नशे में चूर, मतदृष्ट्वा ग्राहमवेक्षते मतङ्गजः--मालवि० 3, कि० 5 / वाला, मदोन्मत्त (आलं० से भी)-ज्योत्स्नापानमदाल४७, रघु०१२।७३ / / सेन वपुषा मत्ताश्चकोराङ्गना:-विद्ध० 1111, प्रभामतल्लिका [मतं मतिम् अलति भूषयति--मत+अल मत्तश्चन्द्रो जगदिदमहो विभ्रमयति-काव्य० 10, +ण्वुल पृषो० साधुः] सर्वोत्तमा, सर्वश्रेष्ठता प्रकट इसी प्रकार ऐश्वर्य धन बल° आदि 2. पागल, करने के लिए इस शब्द को संज्ञाओं के अन्त में जोड़ विक्षिप्त 3. मदवाला, भीषण (हाथी)-रघु० 12193 दिया जाता है, गोमतल्लिका 'श्रेष्ठ गौ' तु० उद्धः / 4. घमंडी, अहंकारी 5. खुश, अतिहृष्ट, हर्षोद्दीप्त मतल्ली दे० मतल्लिका। 6. प्रीतिविषयक, केलिपरायण, स्वैरी,--तः 1. पियमतिः (स्त्री०) [मन्+क्तिन् ] 1. बुद्धि, समझदारी, क्कड़ 2. पागल मनुष्य 3. मदवाला हाथी 4. कोयल भाव, ज्ञान, संकल्प--मतिरेव बलाद्गरीयसी--हि० | 5. भैसा 6. धतूरे का पौधा / सम०---आलम्बः 2686, अल्पविषया मतिः-रघु०११२ 2. मन, हृदय (किसी धनी पुरुष के) विशाल भवन की बाड़, इम: ---मम तु मतिनं मनागपैतु धर्मात--भामि० 4 / 26, मदवाला हाथी °गमना मस्त हाथी के सदृश चाल इसी प्रकार दुर्मति, सुमति 3. सोचना, विचार, वाली स्त्री अर्थात् अलसगति, काशि (सि) नी एक विश्वास, सम्मति, भाव, कल्पना, संस्कार पर्यवेक्षण सुन्दर लावण्यवती स्त्री,-दन्तिन (0)----नागः, --विधिरहो बलवानिति मे मतिः--भर्त० 291, ----वारणः मदवाला हाथी, (-ण:-णम्) 1. विशालभग. 1878 4. अभिप्राय, योजना, प्रयोजन-दे० भवन के चारों ओर बाड़ 2. किसी विशालभवन के मत्या 5. प्रस्ताव निर्धारण 6. सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर ऊपर बनी अटारी 3. वरांडा, अलिंद 4. भवन का -कि० 109 7. अभिलाष, इच्छा, कामना-प्रायो- सुसज्जित बहिर्भाग,-(णम्) कटी हुई सुपारी। पवेशनमतिर्नपतिर्बभूव-रघु० 894 8. सलाह, | मत्यम् [मत+यत्] 1. हल द्वारा बनाया खूड 2. ज्ञान परामर्श 9. याद, प्रत्यास्मरण (मतिक,-धा,- आधा, प्राप्त करने का साधन 3. ज्ञान का अभ्यास / मन लगाना, निश्चय करना, सोचना, मत्या (क्रि० | मत्सः [ मद्+सन् ] 1. मछली 2. मत्स्य देश का स्वामी। वि.) 1. जानबूझकर, साभिप्राय, स्वेच्छा से ... मत्या मत्सरः [ मद्+सरन् ] 1. ईाल, डाह करने वाला भुक्त्वाचरेत् कृच्छम् --मनु० 4 / 223, 5 / 19 2. इस 2. अतृप्त लालची, लोभी 3. दरिद्र 4. दुष्ट,...रः विचार से कि / व्याघ्रमत्या पलायन्ते)। सम० 1. ईयो, डाह-अदत्तावकाशो मत्सरस्य - का० 45, --धिरः विश्वकर्मा का विशेषण, - गर्भ (वि.) / परवृद्धिषु बद्धमत्सराणां-कि० 1317, शि० 9 / 63, For Private and Personal Use Only