________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 760 ) उल्लास मा० 113, उत्तर० 348, (ग) कुशल, पारः,...वासरः मंगलवार,-विधिः उत्सव या कोई क्षेम, कल्याण, मंगल--सङ्गः सतां किमु न मङ्गलमात- शुभकृत्य,शब्द: अभिनन्दन, आशीर्वादात्मक अभिनोति भामि० 11122 2. शुभ शकुन, कोई भी व्यक्ति,--सूत्रम् दे० 'मंगलप्रतिसर', स्नानम् मंगल शुभ घटना 3. आशीर्वाद, नांदी, शुभकामना 4. शुभ कामना के लिए किसी शुभ अवसर पर किया जाने या मंगलकारी पदार्थ 5. शुभावसर, उत्सव 6.(विवाह वाला स्नान। आदि) शुभ संस्कार 7. कोई पुरानी प्रथा 8. हल्दी, / मङ्गलीय (वि०) [मङ्गल+छ] शुभ, सौभाग्यसूचक / लः मंगलग्रह,-ला पतिव्रता स्त्री। सम०-अक्षताः / मङ्गल्य (वि.) मिल+यत्] 1. शुभ सौभाग्यशाली, (पुं०, ब० व०) आशीर्वाद देते समय ब्राह्मणों के सानंद, किस्मतवाला, समृद्ध-मनु० 2131 2. सुखद, द्वारा लोगों पर फेंके जाने वाले चावल,-अगुव (नपुं०) रुचिकर, सुन्दर 3. पवित्र, विशुद्ध, पावन --उत्तर० चन्दन का एक भेद, अयनम् आनंद या समृद्धि का ४।१०,-त्यः 1. बट-वृक्ष 2. नारियल का पेड़ 3. एक मार्ग,-अलङ्गकृत (वि.) शुभ अलंकारों से अलंकृत प्रकार की दाल, मसूर की दाल,-ल्या 1. सुगन्धित कुं० 6187, -अष्टकम् विवाह के अवसर पर वरवधू चन्दन का भेद 2. दुर्गा का नाम 3. अगर की लकड़ी की मंगलकामना के लिए पढ़े जाने वाले आशीर्वादात्मक 4. एक विशेष सुगंध द्रव्य 5. एक प्रकार का पीला श्लोक, -आचरणम् (सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य रंग, त्यम् (अनेक तीर्थ स्थानों से लाया गया) 1. राजा से) किसी भी ग्रन्थ के आरम्भ में पढ़ी जाने वाली के राज्याभिषेक के लिए शुभ तीर्थजल 2. सोना प्रार्थना के रूप में मंगल-प्रस्तावना,-आचार: 1. शुभ, 3. चन्दन की लकड़ी 4. सिंदूर 5. खट्टा दही।। पवित्र प्रथा 2. आशीर्वादोच्चारण, नांदी,—आतोद्यम् | मङ्गल्यकः [ मंगल्य+कन् ] एक प्रकार की दाल, उत्सव के अवसर पर बजाया जाने वाला ढोल, मसूर / -----आदेशवृत्तिः भाग्य में लिखे को बताने वाला | म / (भ्वा० पर० मङ्कति) अलंकृत करना, सजाना / ज्योतिषी,---आरम्भः गणेश का विशेषण--आलम्भनम् ji (भ्वा० आ० मङ्घते) 1. ठगना, धोखा देना किसी शुभ वस्तु को स्पर्श करना,--आलयः, 2. आरम्भ करना 3. कलंकित करना 4. निन्दा ----आवासः देवालय, मन्दिर,--आह्निकम् मंगल- करना 5. जाना, जल्दी से जाना 6. आरंभ करना कामना के लिए नित्य अनष्ठेय धार्मिक कृत्य,--इच्छु प्रस्थान करना। आनन्द या समृद्धि का इच्छुक,-करणम् किसी मच् (म्वा० आ० मचते) 1. दुष्ट होना 2. ठगना, (वि.) भी कार्य की सफलता के लिए पढ़ी 'धोखा देना 3. शेखी बघारना 4. घमण्डी या अहंकारी जाने वाली प्रार्थना,---कारक, कारिन (वि०) शुभ, होना। मंगलकारी, कार्यम् उत्सव का अवसर, कोई भी मचिका [भशम्भु चर्चति-म-चर्च --प्रवुल-+टाप, इत्वम्] मांगलिक कृत्य-श. 4, क्षौमम उत्सव के अवसर 'श्रेष्ठता या सर्वोत्तमता' को प्रकट करने के लिए पर पहना जाने वाला रेशमी वस्त्र-रघु० 1218, संज्ञा के अन्त में लगाया जाने वाला शब्द यथा -प्रहः शुभग्रह घटः,-पात्रम् उत्सव के अवसर पर पानी गोमचचिका 'एक बढ़िया गाय या बैल, तु० से भरा कलश जो देवोंको अर्पित किया जाय, * छायः प्लक्ष का वृक्ष, पाकड का पेड़, तूर्यम, वाद्यम् एक मच्छः [मद् + क्विप्-शी+ड] (मत्स्य का भ्रष्ट रूप) वाद्य यंत्र विगुल, या ढोल आदि-जो उत्सवादिक के मछली। शुभ अवसरों पर बजाया जाय-रघु० 3 / 20, देवता / मज्जन् (पुं०) [मस्ज्+कनिन्] मांस और हड्डियों में शुभ या रक्षक देवता,—पाठकः भाट, चारण, बन्दीजन रहने वाली मज्जा, पौधे का रस / सम०-कृत -आः दुरात्मन् वृथामंगलपाठक शैलूषापसद ---- (नपुं०) हड्डी, समुद्धयः वीर्य, शुक्र / वेणी०१,-पुष्पम् शुभ फूल,-प्रतिसरः,-सूत्रम् शुभ मज्जनम् मिस्ज भावे ल्यट] 1. डुबकी लगाना, गोता डोरी, शुभ डोरा जो सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने गले में लगाना, पानी में डुबको, सराबोर होना 2. स्नान तब तक पहनती है जब तक उनका पति जीवित है, करना, नहाना-प्रत्यग्रगज्जनविशेषविविक्तकान्तिः -अन्त्रः कल्पितमङ्गलप्रतिसराः (अङ्गनाः)-मा० 5 / 18 -रत्न० 1121, रघु० 16 / 57 3. डूबना 4. मांस और 2. ताबीज़ को डोरा--प्रव (वि०) शुभ (दा) हल्दी, हड़ियों के बीच की मज्जा। -प्रस्थः एक पहाड़ का नाम, मात्रभूषण वि० शुभ | मज्जा मिस्+अ+टाप्] 1. मांस और हड्डियों के अलंकार अर्थात् जनेऊ या कस्तूरी-तिलक आदि से बीच का रस या वसा 2. पौधों का रस। सम० सुभूषित,-वचस् (पुं०)-वादः मंगलात्मक अभिव्यक्ति -रजस् ( नपुं० ) 1. एक विशेष नरक 2. गुग्गुल आशीर्वचन, मंगलाचरण,-वाद्यम् दे० 'मंगलतूर्यम्', / –रसः वीर्य, शुक्र,-सारः जायफल / For Private and Personal Use Only