________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 759 ) , दम फलों का एक प्रकार का म मकरन्दवत मधु, फूलों का रस - मकरन्दतुन्दिलानामरविन्दानामयं मगधः [ मगध्--अच, मगं दोषं दधाति वा मग घा महामान्यः भामि० 116, 8 2. एक प्रकार की +क ] एक देश का नाम, बिहार का दक्षिणी भाग चमेली कोयल 4. भौंरा . एक प्रकार का सग- ----अस्ति मगधेषु पुष्पपुरी नाम नगरी-दश० 1 न्धित आम्रवृक्ष, --दम फूलों का केसर। अगाधसत्त्वो मगधप्रतिष्ट:--रघु० 6 / 21 2. भाट, मकरन्दवत् (वि.) | मकरन्द-मतुप ] मधु से पूर्ण,---ती बन्दी, चारण,--धाः (ब० व०) 1. मगध देश के पाटल की बेल या पाटल का फूल / अधिवासी, मागध 2. वडी पीपल / सभ० -- उद्भवा मकरिन (प.)। मकर - इनि 1 समद्र का विशेषण। बड़ी पीपल,-पुरी मगध की नगरी,-लिपिः (स्त्री०) मकरी [ मकर- डीप ] मादा घडियाल / सम० ---पत्रम्, मागधी लिपि या लिखावट / / -लेखा लक्ष्मी के मुखपर 'मकरी' का चिह्न,-प्रस्यः / मग्न (भू० क० कृ०) [मरज--क्त] 1. गोता लगा हुआ, एक नगर का नाम / डुबकी लगाई हुई 2. सराबोर, डूबा हुआ 3. लीन, मकुटम् मङ्क ---उट, अननासिकलोपः] ताज-तु० 'मुकुट'।। लिप्त (दे० मस्ज)। मकुतिः [ मङ्क --उति पपो० शद्रशासन, राजा की ओर मघः [म ।-अच, पपो०]1. विश्व के एक द्वीप या प्रभाग से शूद्रों के लिए आदेश। का नाम 2. एक देश का नाम 3. एक प्रकार की मकुरः [ मक उरच, पृपो० 11. शीशा, दर्पण 2. बकूल औषधि 1. मुख 5. मघा नाम का दशवां नक्षत्र, घम् का वृक्ष 3. काली 4. अरब की चमेली 5. कुम्हार एक प्रकार का फूल। के चाक का डंडा। मघव, मघवत् (पु.) [मघवन+तु अन्तादेशः, ऋकारस्य मकुलः [ मङ्क / उलच्, घृषो० ] 1. बकुल का वृक्ष इत्संज्ञा] इन्द्र का नाम / 2.काली। मघवन् (पुं०) [मह पूजायां कनिन, नि० हस्य घः, बुगामकुष्टः, मकुष्टकः | मङ्क-1-उ पपो० नलोपः, भकं भूषां गमश्च (कर्त० ए० ब० मघवा, कर्म० ब० व० स्तकति प्रतिहन्ति-गकुस्तक / अच् ] एक प्रकार ---मघोनः) 1. इन्द्र का नाम-दोहगां स यज्ञाय सस्याय की लोबिया। मघवा दिवम् रघु० 1126, 3 / 46, कि 3152, कु० मकुष्ठः [ मन् / स्था-क ] मोठ, (लोबिये का एक 3 / 1 2. उल्ल, पेचक 3. व्यास का नाम / प्रकार)। मघा [मह, +घ, हस्य घत्वम्, प्] दसवां नक्षत्र, जो मकूलकः [ मङ्क / ऊलक ।-कन् पृषो० नलोपः ] 1. कली पांच तारों का समूह है। सम० त्रयोदशी भाद्रपद ____2. दंती नामक वृक्ष / कृष्णा त्रयोदशी, --भवः, -भूः शुक्रग्रह / मक्क (भ्वा० आo-मक्कने) जाना, हिलना-जुलना। मक (म्वा० आ०-मते) 1. जाना, हिलना-जुलना मक्कुलः [ मक्क + उलक् ] धूप, गुग्गुल, गेरू / 2. सजाना, अलंकृत करना। मक्कोलः [ मक्क--ओलच् | खडिया मिट्टी। मलिः [मङ्क - इलच दावानल, जंगल की आग। मक्ष (भ्वा० पर० मक्षति) 1. इकट्ठा होना, ढेर लगना, | मङ्कुरः [मङ्क+उरच दर्पण, शीशा। सञ्चय करना 2. क्रुद्ध होना। मक्षणम् [मव-+-ल्युट, पृषो० खस्य क्षत्वम् ] टांगों की मक्षः [ मक्ष घिञ 11. क्रोध 2. पाखण्ड 3. समुच्चय, रक्षा के लिए कवच, पिंडलियों की रक्षार्थ कवच / संग्रह। सम० - वीर्यः पियाल वृक्ष / मञ्ज (अव्य०) मल+ उन्, पृषो० खस्य क्षत्वम्] तुरन्त, मक्षि (क्षी) का [ मक्ष ।-एबुल | टाप् इत्व ] मक्खी, जल्दी से, शीघ्र-मर्दपाति परितः पटलरलीनाम् मधुमक्खी --- भो उपस्थितं नयनमघु संनिहिता मक्षिका --शि० 5 / 37 2. अत्यन्त, बहुत अधिक / च मालवि० 2 / सम०--मलम मोम / मङ्खः [मंङ्ग्छ ।-अच्] 1. राजा का चारण 2. एक विशेष मख, मंख (भ्वा० पर० मखति, मखति) माना, चलना, प्रकार की औषधि / सरकना। मङ्ग (वा उभ० मङ्गति-ते) जाना, हिलना-जुलना। मखः [ मम्ब संज्ञायां घ.] यज, याविषयक कृत्य, --अकि- | मन [मङ्ग---अच 1. नाव का अगला भाग 2. नाव का चनत्वं मखज व्यनक्ति 50 5 / 16, मनु० 4 / 24, | एक पार्श्व / रघु० 3 / 39 / सम-अग्निः,---अनलः यज्ञाग्नि, मङ्गल (वि.)[मग+अलच्] 1. शुभ, भाग्यशाली, कल्या-असुहृद् (पुं०) शिव का विशेषण क्रिया यज्ञ णकारी, हितमाम-यथा मङ्गलदिवसः, मङ्गलवृषभः' विषयक कोई कृत्य, भ्रातृ (0) राम का विशेषण, में, 2. समृद्ध, कल्याणप्रद 3. बहादुर, * लम् 1. (क) ---द्विष (पं०) पिशाच, गक्षस रघु० 1127 शुभत्व, कल्याणकारिता जनकानां रघृणां च यत्कृत्स्नं -द्वेषिन (90) शिवका विशेषण, हन् (नपुं०) गोत्रमंगलम् -उत्तर० 6 / 42, रघु० 619, 1067, 1. इन्द्र का विशेषण 2. शिव का विशेषण / (ख) प्रसन्नता, सौभाग्य, अच्छी किस्मत, आनन्द, For Private and Personal Use Only