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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 761 ) मज्जुषा दे० मञ्जूषा। 11, या मुखरमधीरं त्यज मजीरं रिपुमिव केलिषु मञ्च (भ्वा० आ० मञ्चते) 1. थामना 2. ऊँचा या लम्बा लोलम् ...5, मा० १,-रम् वह स्थूणा जिसमें रई की होना 3. जाना, चलना-फिरना 4. चमकना 5. अलंकृत रस्सी लपेटी जाती है। करना। मजीलः (पुं० ) वह गांव जिसमें धोबियों का निवास हो / मञ्चः (मञ्च् + घा] 1. शय्या, चारपाई, पलंग, बिस्तरा मञ्ज (वि.) [मञ्ज + उन्] प्रिय, सुन्दर, मनोहर मधुर, 2. उभरा हुआ आसन, वेदी, सम्मान का आसन, सुखद, रुचिकर, आकर्षक-स्खलदसमञ्जसमञ्जुजल्पितं राज्यासन, सिंहासन-तत्र मञ्चेषु मनोज्ञवेषान् -रघु० ते (स्मरामि),उत्तर० 4 / 4, अयिदलदरविन्द स्यन्दमानं 6 / 1, 3 / 10 3. मकान, टांड (खेत के रखवाले के मरन्दं तव किमपिलिहन्तोम गुञ्जन्तु भङ्गा:-भामि० लिए) 4. व्यासपीठ, ऊँचा आसन / 25, तन्मङ्घमन्दहसितं श्वसितानि तानि-२।५ / सम० मञ्चकम् [मञ्च+-कन] 1. शय्या, बिस्तरा, पलंग 2. उभरा -केशिन् (पुं०) कृष्ण का विशेषण,-गमन (वि०) हुआ आसन या वेदी 3. आँख सुरक्षित रखने का सुन्दर गति वाला, (ना) 1. हंसिनी 2. राजहंस, गतः हारा / सम-आश्रयः खटमल, खाट में रहने वाला नेपाल देश का नाम,-गिर् (वि.) मधुर स्वर कीड़ा। बाला-एते मञ्जुगिरः शुक:-काव्या० २।९,--गुजः मञ्चिका [मञ्चक+टाप, इत्वम्] 1. कुर्सी 2. कठौती, प्यारी गूंज,--घोष (वि.) मधुर स्वर बोलने वाला, थाली, 3. माची (चार पायों से बनाया हुआ स्टैण्ड -नाशी 1. सुन्दर स्त्री 2. दुर्गा का विशेषण 3. इन्द्र जिसपर बुगचों में भरा सामान लदा रहता है)। की पत्नी शी का विशेषण, पाठकः तोता,-प्राणः मञ्जरम् मज् + अर] 1. फूलों का गुच्छा 2. मोती ब्रह्मा का विशेषण,-भाषिन्,-वाच् (वि०) मधुर 3. तिलक नाम का पौधा। बोलने वाला --गिरमनुवदति शुकस्ते मजुवाक मञ्जरिः,-री (स्त्री०)मिज+ऋ+इन् शक० पररूपम्, पञ्जरस्थ:-रघु० 5 / 74, १२।३९-वक्त (वि०) पक्षे डीप्] 1. कोंपल, अंकुर, बौर---निवपे: सहकार सुन्दर मुख वाला, मनोहर, स्वन,-स्वर (वि०) मञ्जरी:-कु० 4 / 38, सदृशकान्ति रलक्ष्यत मञ्जरी मीठे स्वर वाला। - रघु० 9844, 16151, इसी प्रकार-स्फुरतु कुच- मञ्जुल वि०) [म +उ+लच वा]प्रिय, सुन्दर, रुचिकर, कुम्भयोरुपरिमणिमञ्जरी-गीत०१०, मुखं मुक्तारुचो- __ मनोहर, मधुर, सुरीली (आवाज),-संप्रति मजलधत्ते धर्माम्भःकणमञ्जरी-काव्य० 2171, 2. फूलों का वञ्जुल सीमनि केलिशयनमनुयातम् ----गीत० 11, गुच्छा 3. फूल कली 4. फूल का वन्त 5. समानान्तर जितं राजहंसानां वर्धते मदमञ्जुलम् --काव्या. रेखा 6. मोती 7. लता 8. तुलसी 9..तिलक का / 2 / 334, - लम् 1. लतामण्डप, कुंज, लतागृह पौधा / सम०-चामरम् मंजरी की शक्ल का चंवर, / 2. निर्झर, कुआँ,-लः एक प्रकार का जलकुक्कुट / पंखे जैसी मजरी विक्रम 4 / 4, ननः 'वेतस' मञ्जूषा [ म + ऊषन्+टाप्] 1. संदूक, डब्बा, पेटी, का पौधा। आधार ---मदीयपद्यरत्नानां मजरेषा मया कृता मजरित (वि.) [मञ्जर-+-इतच] 1. फूलों या बोरों के -भामि० 4 / 45, 2. बड़ी टोकरी, पिटारा 3. मजीठ गुच्छों से युक्त 2. वृंत पर लगी हुई कली आदि। 4 पत्थर। मजा [म +अच-+-टाप्] 1. बकरी 2. बौरों (फूलों) मटकी, मटती [ मट्+अप्=मट+चि+डि+की, मट् का गुच्छा 3. लता। +शत+डी ] ओला / मञ्जिः , जो मज्+इन्, पक्षे डोष्] 1. फूलों (या | मटस्फटि: [मट+स्फट् +-इ] 'घमंड का आरम्भ', आरब्ध बोरों) का गुच्छा 2. लता। सम० --फला केले का / अभिमान / पौधा। मट्टकम् (नपुं०) छत को मुंडेर / मजिका मज्+ण्वुल टाप+इत्वम् ] वेश्या, वारांगना, मठ (भ्वा० पर० मठति) 1. रसना, बसना 2. जाना, बाजारू स्त्री, रंडी। 3. पीसना। मञ्जिमन् (पुं०) [मजु+इमनिच सौन्दर्य, मनोहरता। मठः,-उम् [ मठत्यत्र मठ घनार्थे क] 1. संन्यासी की मजिष्ठा [अतिशयेन मञ्जिमती इष्ठन् मतपो लोप: -- कोठरी, साधक की कुटिया 2. विहार, शिक्षालय तारामजीठ। सम० प्रमेहः एक प्रकार का मूत्र- 3. विद्यामंदिर, महाविद्यालय, ज्ञानपीठ 4. देवालय, रोग,-राग: 1. मजीठ का रंग 2. मजीठ के रंग जैसा मन्दिर 5. बैलगाड़ी,-ठी 1. कोठरी 2. मढ़ी, विहार / आकर्षक और टिकाऊ अर्थात स्थायी अनुराग। सम०---आयतनम् विद्यामन्दिर, महाविद्यालय / मजोरः-रम् [म +ईरन्] नपुर, पैर का आभूषण मठर (वि.) [मन्+अर, ठ अन्तादेशः ] नशे में चूर, --सिञ्जानमञ्जमजीरं प्रविवेश निकेतनम् -गीत / मद्य पीकर मतवाला। 96 For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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