________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 743 ) पाण्डव राजकूमार (यह पवन देव द्वारा कुन्ती से / भीर (ल) क (वि०) [भी+ +कन, बलकन वा] उत्पन्न हुआ था, बचपन से ही यह अपनी असाधारण 1. डरपोक, कायर, बुजदिल, साहसहीन 2. संकोची, शक्ति का प्रदर्शन करने लगा, अतः इसका नाम भीम -क: 1.रीछ 2. उल्ल 3. एक प्रकार का गन्ना,-कम् पड़ा / बहुभोजी होने के कारण इसे वृकोदर 'भेड़िये जंगल, बन / के पेट वाला' भी कहते थे। इसका अचूक शस्त्र | भीरू (ल) (स्त्री०) [ भीरु-+ऊड, पक्षे रलयोरभेदः] इसकी गदा थी। महाभारत के युद्ध में इसने महत्त्व- डरपोक स्त्री,--त्वं रक्षसा भीरु यतोऽपनीता-रघु० पूर्ण कार्य किया और युद्ध के अन्तिम दिन अपनी। 13 / 24 / अमोघ गदा से दुर्योधन की जंघा को चीर दिया। भील (ल) कः [भी+क्लुकन् ] रीछ, भालू / इसके जीवन की कुछ पहली मुख्य घटनाएँ है- हिडिब भीषण (वि.) [ भी+णिच्+ल्युट्, षुकागमः ] त्रासऔर बक राक्षस को पछाड़ना, जरासंघ को परास्त करना, कौरवों के विशेष कर दुःशासन के जनक, विकराल, डरावना, घोर, दारुण - बिभ्युबि डालेक्षणभीषणाभ्यः-शि० 3145,-- णः (साहित्य (जिसने द्रौपदी के प्रति अपमानजनक आचरण किया ) विरुद्ध भीपण प्रतिज्ञा, दुःशा __ में) 1. भयानक रस--दे० भयानक 2. शिव का नाम 3. कबुतर, कपोत,-णम् भय को उत्तेजित करने वाली सन के रक्त को पीकर प्रतिज्ञा की पूर्ति, कोई भी वस्तु। जयद्रथ को पराजित करना, राजा विराट के यहाँ रसोइये के रूप में कीचक के साथ मल्लय द्ध, तथा कुछ भीषा [ भी+-णिच् + अङ्---टाप, पुकागमः ] 1. त्रास देने या डराने की क्रिया, धमकाना 2. डराना, स देना। और कारनामें जिनमें उसने अपनी असाधारण वीरता दिखलाई। इसका नाम अपनी असीम शक्ति व साहस भीषित (वि.) [भी- णिच्+क्त, पुकागमः ] डराया के कारण लोक प्रसिद्ध हो गया)। सम... उदरी हुआ, मंत्रस्त। उमा का विशेषण,---कर्मन (वि०) भयंकर पराक्रम भीष्म (वि.) [ भी+ णिच् +मक षुकागमः ] भयावाला भग० 1115, दर्शन डरावनी शक्ल का, नक, इरावना, भीपण, कराल,-,मः (साहित्य विकराल,- नाद (वि.) डरावना शब्द करने वाला, में) 1. भयानक रस, दे० भयानक 2. राक्षस, (दः) 1. भयानक या ऊँची आवाज शि० 15:10, पिशाच, दानव, भूत-प्रेत 3. शिव का विशेपण 2. सिंह 3. उन सात वादलों में से एक जो सष्टि के 4. शन्तन का गंगा से उत्पन्न पूत्र (शंतन से गंगा प्रलय के समय प्रकट होंगे,.. पराक्रम (वि०) भयानक में आठ पुत्र हुए, आठवाँ पुत्र यही था, पहले सात पराक्रम वाला,-रथी मनुष्य के सतत्तरवें वर्ष में सातवें पुत्रों के मर जाने के कारण यह आठवाँ पुत्र ही अपने पिता की राजगद्दी का उत्तराधिकारी था। एक बार महीने की सातवीं रात (यह अत्यंत संकट का काल कहा जाता है) (सप्तसप्ततिमे वर्षे सप्तमे मासि राजा शंतनु नदी के किनारे घूम रहे थे तो उनकी दृष्टि सत्यवती नामक एक लावण्यमयी तरुणी कन्या सप्तमी, रात्रिर्भीमरथी नाम नराणामतिदुस्तरा।), पर पड़ी, वह एक मछुवे की बेटी थी। यद्यपि राजा -रूप (वि०) भयानक रूप का..--विक्रम (वि.) ढलती उमर का था फिर भी उसके मन में उसके भयानक विक्रमशील,-विक्रान्तः सिंह,... विग्रह (वि०) लिए उत्कट उत्कंठा जागरित हुई, फलतः उसने इस विशालकाय, डरावनी सूरत का,.. शासनः यम का अपने पुत्र को बातचीत करने के लिए भेजा। लड़की विशेषण, सेनः 1. द्वितीय पांडवराजकुमार 2. एक के माता पिता ने कहा कि यदि शन्तनु द्वारा हमारी प्रकार का कपूर। पुत्री के कोई पुत्र हुआ तो, राजगद्दी का उत्तराधिकारी भीमरम् (नपुं०) युद्ध, लड़ाई। शंतनु का पुत्र विद्यमान होने के कारण, उसे राजगद्दी भीमा [ भीम+टाप ] 1. दुर्गा का विशेषण 2. एक प्रकार न मिल सकेगी। परन्तु शंतनु के पुत्र ने अपने पिता __का गंधद्रव्य, रोचना 3. हंटर / को प्रसन्न करने के लिए उनके सामने भीषण प्रतिज्ञा भोर (वि.) (स्त्री० रु, रू) [ भी+ ] 1. डरपोक, की कि मैं कभी राजगद्दी पर नहीं बैठेगा, और न कायर, भयपुक्त,-क्षांत्या भीरु:--हि० 2 / 26 2. डरा कभी विवाह करूँगा जिससे कि किसी समय भी किसी हआ (वहधा समास में) पाप, अधर्म,° प्रतिज्ञाभंग पुत्र का पिता न बन सकं अतः यदि आपकी पुत्री से आदि,--ह: 1. गीदड़ 2. व्याघ्र, रू (नपुं०) चाँदी, मेरे पिता का कोई पुत्र होगा तो निश्चित रूप से वही स्त्री० 1. डरपोक 12. बकरी 3. छाया 4. कान- राजगद्दी का अधिकारी होगा। यह भीषण प्रतिज्ञा खजूरा / सम० चेतस् (पुं०) हरिण, - रन्ध्रः चूल्हा, शीघ्र ही लोगों में विदित हो गई और तब से लेकर भट्टी,-सत्त्व (वि.) कायर, डरा हुआ,--हृदयः उसका नाम भीष्म पड़ गया। वह आजीवन अविहरिण। बाहित रहा, और अपने पिता की मृत्यु के बाद उसने For Private and Personal Use Only