________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष नद का नाम-तोयदागम इवोद्धयभिद्ययो - हुआ, विघटित,-स्वर (वि.) 1. बदली ह ई आवाज भधेयसदृशं विचेष्टितम्-रघु० 1138 (दे० मल्लि.)। वाला, हकलाने वाला 2. बेसुरा,-हृदय (वि०) भिद्रम् [भिद्+रक्] वन्छ। जिसका हृदय बींध दिया गया हो.-रघु० 11 / 19 / भिन्द (वि) पालः [भिन्द्+इन् =भिन्दि पालयति--पाल भिरिटिका (स्त्री) एक प्रकार का पौधा, श्वेतगुजा, सफेद +अण्] 1. हाथ से फेंका जाने वाला छोटा भाला धुंघची। 2. गोफिया, (गोफिया या गुलेल जैसा एक उपकरण भिल्लः [भिल+लक ] एक जंगली जाति / सम... गवी जिसमें रखकर पत्थर फेंके जायें)। नील गाय, तरः लोधवृक्ष, ...-भूषणम् घुघची का भिन्न (भू० क० कृ०) [भिद्+क्त, तस्य नः] 1. टूटा पौधा। हुआ, फटा हुआ, टुकड़े टुकड़े किया हुआ, फाड़ा हुआ भिल्लोटः, - टकः [भिल्लप्रियम् उटं पत्रं यस्य ब० स०, 2. विभक्त, वियुक्त 3. पृथक्कृत, विच्छिन्न, अलगाया भिल्लोट+कन् ] लोध्रवृक्ष / हुआ 4. फैलाया हुआ, फुलाया हुआ, खुला हुआ भिषज (पुं०)[ बिभेत्यस्मात रोग: भीषक, ह्रस्वश्च ] 5. अलग, इतर (अपा० के साथ)-तस्मादयं भिन्नः 1. वैद्य, चिकित्सक -भिषजामसाध्यम् - रघु० 8 / 93 6. नानारूप विविध, 7. ढोला किया हुआ 8. संश्लिष्ट, 2. विष्णु का नाम / सम० --जितम् औषधि या दवा, मिलाया हुआ, मिश्रित 9. विचलित 10. परिवर्तित -पाशः कठवैद्य,---वरः श्रेष्ठ वैद्य / / 11. प्रचण्ड, मदोन्मत्त 12. रहित, हीन, वंचित, | भिष्मा, भिष्मिका, भिस्सटा, भिस्सिटा (स्त्री०) भुना (दे०भिद),-किसी रत्न में दोष या खोट,-नम् हुआ या तला हुआ अनाज / 1. लव, खण्ड, टुकड़ा 2. मंजरी 3. घाव, (छरे आदि भिस्सा (स्त्री०) [ भस् +-स, टाप, इत्वम् ] उबाले हुए भोंकने का) आघात 4.भिन्न राशि / समग-अञ्जनम् / चावल / बहुत सी औषधिषों को पीसकर तैयार किया गया | भी (जहो० पर: बिभेति, भीत) 1. डरना, भय खाना, सूर्मा--प्रयान्ति....."भिन्नाञ्जनवर्णतां घना:----शि० भयभीत होना-मृत्योविभेषि कि बाल, न स भीतं विम्१२॥६८ मेघ० 59, ऋतु० ३१५,-अर्थः स्पष्ट, चति 1. रावणादिभ्यती भृशम्-भट्टि० 870, शि० विशद, सुबोध,-उदरः 'दूसरी माता से उत्पन्न' 3 / 45 2. आतुर या उत्कंठित होना (आ०)-प्रेर० सौतेला भाई, करटः मदोन्मत्त हाथी (जिसके (भाययति) डराना, -कुंचिकयनं भाययति-सिद्धा. मस्तक से मद रिसता है),-कूट (वि०) (भापयते, भीषयते) डराना, त्रास देना, संत्रस्त करना नेतहीन (सेना आदि),-क्रम (वि०) क्रमहीन, -मुंडो भापयते-सिद्धा०, स्तनितेन भीषयित्वा धाराक्रमरहित,—गति (बि०) 1. पग छोड़ कर चलने हस्तः परामृशसि-मृच्छ० 5 / 28 / वाला, 2. तेज चाल चलने वाला,----गर्भ (वि०) भी (स्त्री०) [ भी+क्विप् ] भय, डर, आतंक, संत्रास, (केन्द्र में) टूटा हुआ, अव्यवस्थित,-गुणनम् भिन्न त्रास, अभीः 'निर्भय'-रघु० 15 / 8, वपुष्मान् वीतभीराशियों की गुणा,-घनः भिन्नराशि का विघात, वांग्मी दूतो राज्ञः प्रशस्यते--मनु० 7 / 64 / - वशिन् (वि०) अन्तर देखने वाला, आंशिक, | भीत (भू० क० कृ०) [भी-|-क्त] 1. संवस्त, डराया हुआ, --प्रकार (वि.) अलग प्रकार या किस्म का, आतंकित, अस्त (अपा० के साथ)-न भीतो मरणा- -भाजनम् टुट्टा बर्तन, ठीकरा,---मर्मन (वि०) दस्मि-मृच्छ० 10 / 27 2. खतरे में डाला हुआ, मर्मस्थल में घाव खाया हुआ, प्राणघातक चोट से आपद्ग्रस्त / सम०-भीत (वि०) अत्यन्त डरा आहत, मर्याद (दि०) जिसने उचित सीमाओं का हुआ। उल्लंघन कर दिया है, निरादरयुक्त,-आः, तातापवा- भीतङ्कार (वि.) [ भीतं+कृअण 1 डराने वाला। दभिन्नमर्याद–उत्तर० 5 2. असंयत, अनियंत्रित, भीतङ्कारम् (अव्य०) [भीतं+कृ-|-घा / किसी को ----हचि (वि.) अलग रुचि रखने वाला,-भिन्नरु- कायर के नाम से पुकारना। चिहि लोक......रघु०६।३०,-लिङ्गम्-वचनम् रचना | भीतिः (स्त्री०) [ भी+क्तिन् ] 1. डर, आशंका, भय, में लिंग और वचन की असंगति -दे० काव्य० 10, त्रास 2. कंपकंपी, थरथराहट / सम-नाटितकम् --वर्चस, ---वर्चस्क (वि.) मलोत्सर्ग करने वाला, भयभीत होने का नाट्य करना या हावभाव दिख... वृत्त (वि.) बरा जीवन बिताने वाला, परित्यक्त, लाना। ... बत्ति (वि.) 1. बरा जीवन बिताने वाला, भीम (वि.) [ बिभेत्यस्मात, भी अपादाने मक ] भयाकुमार्ग का अनुसरण करने वाला 2. अलग प्रकार की नक, त्रास देने वाला, भयावह, डरावना, भीषण-न भावनाएँ, रुचि या संवेग रखने वाला 3. नाना प्रकार भेजिरे भीमविषेण भीतिम् --भर्तृ० 2180, रघु० के व्यवसाय करने वाला, संहति (वि.) न जुड़ा / 1616, ३।५४,--मः 1. शिव का विशेषण 2. द्वितीय For Private and Personal Use Only