________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 741 ) 4. बौद्ध भिक्षक। सम०-चर्या भिक्षा माँगना, खोलना, भण्डाफोड़ करना 14. भटकाना, उचाट करना साधु का जीवन,-सङ्गः बौद्ध भिक्षुओं का समाज / 15. भेद करना, विविक्त करना / कर्मवाच्य–भिद्यते, -सङ्घाती फटे पुराने कपड़े, चीवर / 1. टुकड़े 2 होना, फटना, थरथराना-मुच्छ० 5 / 22 भिक्षुकः [भिक्षु+उक् ] भिखारी, साधु--मनु० 6 / 51 / 2. बांटा जाना, वियुक्त किया जाना 3. फैलाना, भित्तम् [भिद्+क्त ] 1. भाग, अंश 2. खण्ड, टुकड़ा खिलना, खिलाना 4. शिथिल या विश्रांत किये जाना 3. दीवार, विभाजक दीवार / -प्रस्थानभिन्नां न बबन्ध नीवीम् -रघु० 719, 66 भित्तिः [ भिद्+क्तिन् ] 1. तोड़ना, खण्ड-खण्ड करना, 5. .. 'पृथक् होना (अपा० के साथ) रघु० 5 / 37, बाँटना 2. दीवार, विभाजक दीवार, समया सौध उत्तर०४ 6. नष्ट किया जाना 7. भंडाफोड़ किया भित्तिम्-दश०, शि० 4 / 67 3. (अतः) कोई स्थान, जाना, धोखा दिया जाना, दूर चले जाना-षट्कों जगह या भूमि जिस पर कुछ किया जा सके, आधार, भिद्यते मन्त्र:-पंच 199 8. तंग, पीड़ित, या व्यथित आश्रय-चित्र-कर्म रचनाभित्ति विना वर्तते-मुद्रा० किये जाना--प्रेर० भेदयति-ते 1. खण्ड 2 करना, 214 4. खण्ड, लव, टुकड़ा, अंश 5. कोई भी ट्टी फाड़ना, बाँटना फाड़ना आदि 2. नष्ट करना, विघटित हुई दस्तु 6. दरार, तरेड़ 7. चटाई 8. कमी, खोट करना 3. जोड़ खोलना, पृथक् 2 करना 4. भटकना 9. अवसर। सम०-खातनः चहा,-चोरः सेंध 5. सतीत्व या सत्पथ से डिगाना / इच्छा० (बिभित्सति लगा कर घर में घुसने वाला चोर,-पातनः 1. एक -ते) तोड़ने की अभिलाष करना, अनु-, बांटना, प्रकार का चूहा 2. चूहा। तोड़ डालना, उन्-, फूटना, जमना (पौधा) पैदा भित्तिका [भिद्+तिकन्+टाप् ] 1. दीवार, विभाजक होना-कु० १।२४-रघु० 13121, मिस्-, दीवार 2. घर की छोटी छिपकली। 1. फाड़ना, फटकर अलग 2 होना, टूटना--भट्टि. 9167 2. खोलना, धोखा देना-उत्तर 331, प्र.--, भिद i (म्वा० पर०-भिन्दति) बाँटना, टुकड़े 2 करके बाँटने वाला। ii (रुधा० उभ० भिनत्ति, भित्ते, 1. तोड़ना, फाड़ना, फाड़कर पृथक् 2 करना 2. चूना, (हाथी के गण्डस्थल से) कु० 5 / 50, प्रति-, पाड़ भिन्न) तोड़ना, फाड़ना, टुकड़े 2 करना, काटकर लगाना, भेदना, घुसना 2. भेद खोलना, घोखा देना अलग 2 करना, फट जाना, छिद्र करना, बीच में से 3. झिड़कना, गाली देना, निन्दा करना---प्रतिभिद्य तोड़ना-अतिशीतलमप्यम्भः किं भिनत्ति न भभूतः कान्तमपराधकृतम् ---शि० 9 / 58, रघु० 19 / 22 -हि० 3 / 45 तेषां कथं नु हृदयं न भिनत्ति लज्जा--- 4. अस्वीकार करना, मुकरना, 5. छूना, सम्पर्क करना मुद्रा० 3 / 34, शि० 8 / 39, मनु० 3 / 33 रघु०८1५५, --कु० 7.35, वि-, 1. तोड़ना फाड़ना 2. छेद 12177 2. खोदना, उखड़ना, खुदाई करना-उत्तर० करना, घुसना 3. बांटना, अलग 2 करना 4. हस्तक्षेप 1123 3. बीच में से निकल जाना-पंच० 11211, करना 5. बखेरना, तितरबितर करना, सम्--, 212 4. बाँटना, पृथक-पृथक् करना-द्विधा भिन्ना 1. तोड़ना, फाड़ कर टुकड़े 2 करना, टुकड़े 2 होना शिखण्डिभिः ---रघु० 1139, अप्रसन्न करना -- रघु० 2. मिल जाना, संगठित होना, सम्बद्ध होना, मिश्रित 13 / 3 5. उल्लंघन करना, अतिक्रमण करना, तोड़ना, होना, मिलाना, एक जगह रखना--अन्योन्यसंभिन्नदशां भंग करना-समयं लक्ष्मणोऽभिनत्-रघु० 15 / 94, निहतश्च स्थिति भिन्दन् दानवोऽसौ बलद्विषा-भट्टि सखीनाम् -- मा० 1133, भट्टि० 7 / 5 / 7 / 68 6. हटाना, दूर करना ---शि० 15487 | भिवकः [भिद्+क्वुन्] तलवार,---कम 1. हीरा, 2. इन्द्र 7. विघ्न डालना, रुकावट डालना - जैसा कि 1 का वज्र। 'समाधिभेदिन' में 8. बदलना, परिवर्तन करना, (न) भिदा [भिद्-अङ्+टाप्] 1. तोड़ना, फटना, फाड़ना, भिदन्ति मन्दां गतिमश्वमुख्यः–कु० 1111 या | चीरना-शि०६५ 2. वियोग 3. अन्तर 4. प्रकार, विश्वासोपगमादभिन्नगतयः शब्दं सहन्ते मृगाः / जाति, किस्म / -श० 1414 1. खिलाना, फुलाना, फैलाना भिदिः, भिदिरम् भिदुः [भिद्+इ, किरच् कु वा] इन्द्र का -सूर्यांशुभिभिन्नमिवारविन्दम् - कु० 1112, नवोषसा वज्र। भिन्नमिवैकपङ्कजम्–श० 7 / 16, मेघ० 107, भिदुर (वि०) [भिद+कुरच] 1. तोडने वाला, फाडने 10. तितरबितर करना, बखेरना, उड़ा देना-भिन्नसा वाला, टुकड़े टुकड़े करने वाला 2. भरभरा, शीघ्र रङ्गयथः—श० 1133, विक्रम० 1616 11. जोड़ टूटने वाला 3. सम्मिश्रित, चितकबरा, मिला हुआ, खोलना, वियुक्त करना, पृथक् 2 करना मुद्रा० संश्लिष्ट-नीलाश्मद्युतिभिदुराम्भसोऽपरत्र-शि० 4 / 26, 3613 12. ढीला करना, विश्राम करना, घोलना १९।५८,-रः प्लक्ष वृक्ष,-रम् वज्र / ---पर्यङ्कबन्वं निबिडं बिभेद - कु०३१५९ 13. भेद | भिद्यः [भिद्+क्यप] 1. वेग से बहने वाला दरिया 2. एक For Private and Personal Use Only