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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 706 ) तोसि मयेति बन्धकीधार्टयम्-का० 237, / कर्तव्य-त्वयि तु परिसमाप्तं बन्धुकृत्यं प्रजानाम् - श० 3. हथिनी। 5 / 8 2. मैत्रीपूर्ण कार्य या सेवा कच्चित्सौम्य व्यवबन्धनम् बन्ध+ल्युट] 1.बाँधने की क्रिया, जकड़ना, कसना, सितमिदं बन्धुकृत्यं त्वया मे- मेष. ११४,--जनः कु०४८ 2. चारों ओर से बाँधना, लपेटना, आलिंगन 1. रिस्तेदार, भाई-बंधु 2. बंधुवर्ग, स्वजन, - जीवः,-विनम्रशाखाभुजबन्धनानि-कु०३।३९, घटय भुज जीवकः वृक्ष का नाम-बन्धुजीवमधुराधरपल्लवमुल्लबंधनम्-गीत०१०, रघु० 19 / 17 3. गांठ, प्रन्थि सितस्मितशोभेम्-गीत० 2, रघु० १११२५,--दत्तम् (आलं० से भी) रघु० 12176, आशाबन्धनम् आदि एक प्रकार का स्त्रीधन या स्त्री की संपत्ति, विवाह के 4. बेड़ी डालना, जंजीर से बाँधना, कैद करना अवसर पर कन्या के संबन्धियों द्वारा कन्या को दिया 5. श्रृंखला, बेड़ी, पगहा, रज्जु आदि 6. गिरफ्तार गया धन-~-याज्ञ० 21144, -प्रीतिः ( स्त्री०) करना, पकड़ना 7. बांधना, कैद, जेल, कारा, जैसा 1. रिस्तेदार का प्रेम-बन्धुप्रीत्या-मेघ० 49 2. मित्र कि 'बन्धनागार' में 8. बन्दीगृह कारागार, जेलखाना. के लिए प्रेम,—भावः 1. मित्रता 2. रिश्तेदारी-वर्गः --त्वां कारयामि कमलोदरबन्धनस्थम् / श०६।२०, भाई-बन्धु, स्वजन,-हीन (वि.) बंधुबांधवों या मित्रों मनु० 9 / 286 1. बनाना, निर्माण, संरचना,-सेतु से रहित / बन्धनम् कु० 4 / 6 10. संयक्त करना, मिलाना, बन्धुक: 1. बंधुजीव नामक पेड़ 2. हरामी (सन्तान) वर्णजोड़ना 11. चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना 12. डंडौ, संकर,- का, की असती स्त्री (दे० बंधकी)। डंठल, (फूल का) वृन्त-श० 36, 618, कु० | बन्धुता [ बन्धु+तल+टाप् ] 1. रिश्तेदार, भाई-बंधुः 4 / 14 13. स्नायु, पुट्ठा 14. पट्टी। सम० स्वजन (सामूहिक रूप से) 2. रिश्तेदारी, संबंध / - आ(आ)गारः,-रम्,-आलयः कारागार, जेलखाना, | बंधुवा [ बन्धु+दा+क+टाप् ] असती स्त्री। -प्रन्यिः 1. पट्टी की गांठ 2. जाल 3. पशुओं को | बंधुर (वि.) [बं+उरच ] 1. डांवाडोल, लहरदार, बांधने का रस्सा,--पालकः, रक्षिन् (पुं०) काराध्यक्ष, ऊँचा-नीचा-शि० 7.34, कु० 142 2. झुका हुआ, जेल का अधीक्षक, वेश्मन् (नपुं०) कारागार-स्थ: रुझान वाला, विनत - बन्धुरगात्रि-रघु० 13147, बंदी, कैदी,-स्तम्भः खूटा, (हाथी आदि पशुओं को (-सनतांगि) 3. टेढ़ा, वक्र 4. सुहावन, मनोहर, बांधने का) खंभा,-स्थानम् अस्तबल, घुड़साल। सुन्दर, प्रिय-श०६।१३, (यहाँ इसका अर्थ 'डांवाबंधित (वि.) [बंध+इतच्] 1. बंधा हुआ, जकड़ां डोल' भी है) 5. बहरा 6. हानिकर, उत्पातप्रिय, हुबा 2. कैदी, बंदी। -र: 1. हंस 2. सारस 3. औषधि 4. खलीं 5. योनि, बन्धित्रः [बंध् + इत्र ] 1. कामदेव 2. चमड़े का पंखा --राः (ब० व.) मुर्मरे या खाद्य पदार्थ,-रा असती 3. धब्बा, मस्सा। स्त्री, -- रम् मुकुट, ताज / बन्धुः [.बन्ध+उ] 1. रिस्तेदार, बंध, बांधव, संबंधी-यत्र | बन्षुल (वि.) [बन्धु+उलच् ] 1. झुका हुआ, वक्र, द्रुमा अपि मृगा अपि बन्धवो मे - उत्तर० 318, मातृ- रुझान वाला 2. सुहावन, खुशनुमा, आकर्षक, सुन्दर, बन्धुनिवासनम् - रघु० 12 / 12, श० 6 / 22, भग० -ल: 1. हरामी (संतान)-परगहललिताः परान्नपुष्टाः 69 2. किसी प्रकार के संबंध से बंधा हुआ, भाई, परपुरुषर्जनिताः पराङ्गनास, परधननिरता गुणेष्ववाच्या -प्रवासबन्धुः सह यात्री, धर्म बन्धुः आध्यात्मिक भ्राता गजकलभा इव बन्धुला ललाम:- मृच्छ० 4 / 28, -श. 49 3. (विधि में) सजातीय बंधुजन, (विदूषक के प्रश्न 'भोः के ययं बन्धुला नाम ?' का अपना निजी सगोत्र बंधु (बंधु तीन प्रकार के हैं: - यह उत्तर है जो स्वयं बंधलों ने दिया) 2. वेश्या आत्म, पितृ तथा मात) 4. मित्र (जैसा कि नीचे का सेवक 3. बंधूक नाम का पेड़। 'बंधुकृत्य' में) प्रायः समास के अन्त में--मकरन्दगन्ध- बन्धकः [बन्ध + ऊक] एक वृक्ष का नाम-तव करनिकरण बन्यो-मा० 1236, 'गंध का मित्र अर्थात् सुवासित' स्पष्टबन्धकसूनस्तबकरचितमेते शेखरं बिभ्रतीव-शि० 9 / 13 5. पति–वैदेहिबंघोहृदयं विदद्रे - रघु० 11146, ऋतु० ३१५,---कम् इस वृक्ष का फूल 14 // 33 6. पिता 7. माता 8. भ्राता 9. बंधुजीव - बन्धूकद्युतिबान्धवोऽयमघरः-गीत० 10, ऋतु० नाम का वृक्ष 10. वह व्यक्ति जिसका किसी जाति 3 / 25 / या व्यवसाय से नाममात्र का संबंध हो, अर्थात् जो बन्धूर (वि.) [बन्ध-न-ऊरच् ] 1. डांवाडोल, उन्नतावनत जाति में जन्म लेकर अपनी उस जाति के कर्तव्यों का 2. झुका हुआ, रुझानवाला, विनत 3. सुहावना, पालन न करता हो (प्रायः तिरस्कारसूचक शब्द) / खुशनुमा, प्रिय, तु० बंधुर,-रम् छिद्र, सूराख / स्वमेव ब्रह्मबन्धुनोद्भिन्नो दुर्गप्रयोगः-मालवि० 4, बन्धूलिः [बंध+ऊलि ] बन्धुजीव नामक वृक्ष / तु. मात्रबंषु / सम-कृत्पम् 1. सगोत्रबंधु का | बल्य (वि.) [बन्ध + ण्यत्] 1. बांधे जाने के योग्य, बेड़ी For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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