________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 705 ) संयुक्त होता है, नाना प्रकार के परिवर्तन होते हैं। पीछे हटाना, निकाल देना, बंद कर देना-प्रतिउदा०--अर्टि बन्धू भौंहों में बल डालना, स्योरी बध्नाति हि श्रेयः पूज्यपूजाव्यतिक्रमः-रषु० 1179 चढ़ाना, मुष्टि बन्ध मुट्ठी बाँधना, अञ्जलि बन्छ नम्र 5. रोकना, हस्तक्षेप करना-मैनमन्तरा प्रतिबध्नीतम् निवेदन के लिए हाथ जोड़ना, चित्तं, धियं, श० 6, सम्- 1. मिला कर बांधना या कसना, एकत्र मनः, हदयं, बन्ध मन लगाना, दिल लगाना, करना, संयुक्त करना, साथ लगाना 2. संरचन करना, प्रीति, भावं, रागं बन्ध, प्रेमपाश में बद्ध होना, बनाना-दे० संबद्ध। मुग्ध होना,-सेतुं बन्धु पुल बनाना, सेतु का निर्माण वन्धः [वन्ध-घञ] 1. ग्रन्थि, बन्धन---यथा-आशाबन्ध) करना, वरं बन्ध् घृणा पैदा होना, शत्रुता, 2. वालों को बांधने की पट्टी, फीता -विक्रम०४।१०, सख्यं, सौहदंबन्ध मंत्री करना, गोलं बन्ध गोल श० 130 3. श्रृंखला, वेड़ी 4. बेड़ी डालना, बाँधना, मंडलं बन्ध, मंडल बनाना, गोल बांध कर कारागार में डालना, जेल में बंद करना- मनु० बैठना, मौनं बन्ध, चुप्पी साधना, परिकर बन्ध , कक्षा 81310 5. बोचना, पकड़ना, पकड़ लेना--गजबन्ध बन्ध कमर कसना, तैयार हो जाना दे० बद्ध के नीचे ---रघु० 16 / 2 6. निर्माण, संरचना, व्यवस्थापन समस्त शब्द, प्रेर० - बंधवाना, बनवाना, रचवाना, ...-सर्गबन्धो महाकाव्यम–सा.द. 6 7. भावना, निर्माण करवाना--रघु० 12170, अनु -1. बांधना, धारणा, विचारना-- हे राजानस्त्यजत सुकविप्रेमबन्धे जकड़ना --शि० 8 / 69 2. लग जाना, चिपकना, जुड़ विरोधम्-विक्रमांक०१८।१०७,रघु०६८१ 8. संयोग, जाना-- तान्येवाक्षराणि मामनुबध्नन्ति उत्तर० 3, मिलन, अन्तः सम्पर्क 9. जोड़ना, मिलाना, मिश्रण 3. उपस्थित रखना, चुपचाप अनुसरण करना, पद करना-रषु०१४।१३, अञ्जलिबन्ध आदि 10. पट्टी, चिह्नों पर चलना मधुकरकुलरनुबध्यमानम् का. तनी 11. सहमति, सामनस्य 12. प्रकटीकरण, प्रदर्शन, 139, को नु खल्वयमनुबाध्यमानस्तपस्विनीभ्यामबाल- निरूपण--रघु० 18152 13.बंधन, भवबंधन (विप० सत्त्वो बाल: श० 7 4. दबाव डालना, प्रेरित करना, मुक्ति०---अर्थात् सांसारिक बंधनों से पूर्ण मोक्ष) बन्धं अत्यंत आग्रह करना, आ --, 1. बांधना जकड़ना, मोक्षं च या वेत्ति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी--भग. कसना-मनु० 111205 2. बनाना, निर्माण करना, 18130, बन्धान्मुत्य खलु मखमुखान् कुर्वते कर्मव्यवस्थित करना----आबद्धमण्डला तापसपरिषद--का० पाशान्--भामि० 4 / 21, रघु० 13 / 58, 187 49, आबद्धमालाः ---मेघ० 9, भट्टि० 3 / 30, कि० 14. फल, परिणाम 15. स्थिति, अंगविन्यास,---आसन५।३३,-आबद्धरेखमभितो नवमञ्जरीभिः--गीत०११ बन्धधीरः--रघु० 2 / 6 कु. 3 / 45, 59 16. मैथुन 3. स्थिर करना, जमाना, निदेशित करना-रघ० करते समय विशेष आसन, रतिबंध, (रतिमंजरी में 1140, उद्---, बांधना, लटकाना - कठमुद्बध्नाति इस प्रकार के 16 आसन बताये गये हैं, जब कि और -मुद्रा० 6, रघु०१६।६५, नि , बांधना, कसना / लेखक 84 तक बढ़ा देते हैं) 17. गोट, किनारी, रूप जकड़ना, श्रृंखलित करना, वेड़ी में बांधना आत्म- रेखा, ढांचा 18. किसी श्लोक का कोई विशिष्ट रूपवन्तं न कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय भग० 4 / 41, उदा० खङ्गबंध, पद्मबंध, मजबंध-काव्य० 9 9 / 9, 147, 18 / 17, मनु० 674, कु० 5 / 10 19. स्नाय, कण्डरा 20. शरीर 21. अमानत, धरोहर / 2. स्थिर करना, जमाना -त्वयि निवद्धरतं विक्रम सम० --करणम् बेड़ी डालना, कारागार में डालना, 4 / 29 3. बनाना, निर्माण करना, संरचना करना - तन्त्रम् पूरी सेना या चतुरंगिणी सेना अर्थात् गजाव्यवस्थित करना-हेमनिबद्ध चक्रम्, पाषाणचयबद्धः रोही, अश्वारोही, रथारोही तथा पदाति,-पाष्यम् कपः आदि 4. लिखना, रचना करना - मया निबद्धेय- अस्वाभाविक या कृत्रिम शब्दरचना,-स्तम्भः पशुओं मतिद्वयी कथा-क० 5, निस् , दबाव डालना, प्रेरित को बांधने का खूटा (उदा० हाथी आदि)। करना, अत्यंत आग्रह करना, परि -,1. कसना, बाँधना | बन्धकः [बन्ध वल] 1. बांधने वाला, पकड़ने वाला 2. पहनना 3. घेरा डालना, चारों ओर से बांधना 2. बोचने वाला 3. बंध, गांठ, रस्सी, चमड़े का तस्मा 4. गिरफ्तार करना, ठहराना 5. विघ्न डालना, 4. मेंढ, किनारा, बांध 5. धरोहर, अमानत 6. शरीर रुकावट डालना, प्रति , 1. कसना, जकड़ना, बांधना का अंगन्यास 7. अदलाबदली, विनिमय 8. भंग करने ---पोतप्रतिबद्धवत्साम् (धेनुम्) -रघु० 211 2. स्थिर वाला, तोड़ने वाला 9. प्रतिज्ञा 10. नगर 11. भाग करना, निदेशित करना, कु० 7.91 3. खचित करना, या अंश (द्विगु समास के अन्त में)-ऋणं सदशबन्धकम् जड़ना, मढ़ना-यदि मणिस्त्रपुणि प्रतिबध्यते पंच ------याज्ञ०२।७६,-कम बांधना, सीमित करना,-की 1175, बहलानुरागकुरुविन्ददलप्रतिबद्धमध्यमिव दिग्व- 1. असती स्त्री-न मे त्वया कौमारबन्धक्या प्रयोजनम् लयम-शि० 98 4. अवरोध करना, विघ्न डालना, ' -मा० 7, वेणी० 2 2. वेश्या, वारांगना--बलात् धान्मुक्त्य 21, रघु त्यास, आसमान 89 For Private and Personal Use Only